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2016 में ब्रूसेल्स अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर आतंकी हमले के बाद भारत ने लिया सबक

आइजीआइ देश का सबसे व्यस्ततम एयरपोर्ट है। यहां से रोजाना डेढ़ लाख से ज्यादा यात्री हवाई यात्रा करते हैं। वहीं, राजधानी में स्थित यह एयरपोर्ट दहशतगर्दों के निशाने पर है।

By Edited By: Published: Mon, 10 Sep 2018 11:48 PM (IST)Updated: Tue, 11 Sep 2018 07:41 AM (IST)
2016 में ब्रूसेल्स अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर आतंकी हमले के बाद भारत ने लिया सबक
2016 में ब्रूसेल्स अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर आतंकी हमले के बाद भारत ने लिया सबक

नई दिल्ली (संतोष शर्मा)। इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय (आइजीआइ) एयरपोर्ट पर तैनात सीआइएसएफ के सभी जवान अब शार्प शूटर कमांडो होंगे। उनकी एक गोली हमलावरों का काम तमाम करने के लिए काफी होगी। इसके लिए उन्हें प्रशिक्षण देने का काम शुरू कर दिया गया है। प्रशिक्षण के लिए एयरपोर्ट पर विशेष तौर से अत्याधुनिक सुविधा से लैस ट्यूबलर शूटिंग रेंज स्थापित की गई है। उसमें इनडोर तकनीक प्वाइंट टारगेट, लैंडस्कैप और मूविंग परिस्थिति में दुश्मन को मार गिराने का अभ्यास शामिल है।

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केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआइएसएफ) के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अभी तक चार हजार से ज्यादा जवान सटीक निशाने का प्रशिक्षण पा चुके हैं। मार्च 2016 में ब्रूसेल्स अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर आत्मघाती हमलावर ने आतंकी घटना को अंजाम दिया था, लेकिन, वहां तैनात सुरक्षा कर्मी उसे तुरंत नहीं मार सके थे। इसी से सबक लेते हुए आइजीआइ एयरपोर्ट पर इसकी तैयारी शुरू कर दी गई।

आइजीआइ देश का सबसे व्यस्ततम एयरपोर्ट है। यहां से रोजाना डेढ़ लाख से ज्यादा यात्री हवाई यात्रा करते हैं। वहीं, राजधानी में स्थित यह एयरपोर्ट दहशतगर्दों के निशाने पर है। वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आतंकी हमले के मद्देनजर आइजीआइ पर तैनात सीआइएसएफ व अन्य सुरक्षा एजेंसियां पूरी तरह सचेत हैं। लेकिन, ब्रूसेल्स हमले के बाद यह तय किया गया कि यहां तैनात जवान इस प्रकार प्रशिक्षित हों कि उनकी एक गोली से हमलावर ढ़ेर हो जाए।

एयरपोर्ट पर वर्तमान में सीआइसएफ के करीब 5500 जवान तैनात हैं। इन्हें एके-47, इंसास राइफल, एमपी5 गन सहित ग्लॉक पिस्टल से लैस किया गया है। अधिकारी के मुताबिक, वैसे तो पहले से ही जवानों को नियमित समय पर गोली चलाने की दक्षता की जांच के लिए प्रशिक्षित किया जाता रहा है लेकिन, अब निशाने को और बेहतर बनाने के लिए ट्यूबलर शूटिंग रेज में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि एयरपोर्ट पर दिसंबर 2017 में 40 फुट लंबे ट्यूबलर शूटिंग रेंज की शुरुआत की गई थी।

इसमें वर्तमान में क्विक रिएक्शन टीम (क्यूआरटी), एंटी टेरर स्क्वायड (एटीएस) के 906 सहित कुल 4466 जवानों को ट्रेनिंग दी जा चुकी है। एक समय में दो जवान प्रशिक्षण पा सकते हैं। किसकी गोली चलाने की कितनी दक्षता है, इसका डाटा भी रेंज में लगी मशीन रिकॉर्ड करती है। सीआइएसएफ के सहायक महानिरीक्षक व प्रवक्ता हेमेंद्र सिंह ने बताया कि बल में जवानों द्वारा वर्ष में एक बार गोली चलाने की दक्षता का अभ्यास कराया जाता है। महीने में एक बार इस प्रक्रिया की पुनरावृत्ति कराई जाती है।

मौजूदा चुनौतियों को देखते हुए जवानों की दक्षता में और वृद्धि के लिए विशेष योजना बनाई गई है। इसके तहत एयरपोर्ट पर तैनात सभी जवानों को ट्यूबलर शूटिंग रेंज में शूटिंग की ट्रेनिंग दी जा रही है। कई अत्याधुनिक सुविधाओं से है लैस ट्यूबलर शूटिंग रेंज एक एडवांस वेपन सिमुलेटर है। यह पूरी तरह स्वचालित और इनडोर तकनीक से लैस है।

इसमें कई अत्याधुनिक उपकरण लगे हैं जिससे यह जवानों को फायरिंग रेंज से ज्यादा सटीक शूटिंग की सुविधा प्रदान करता है। इसमें इनडोर तकनीक प्वाइंट टारगेट, लैंडस्कैप और मूविंग परिस्थिति में भी टारगेट सेट कर अभ्यास किया जा सकता है। 40 फुट लंबे कंटेनर में बने इस शूटिंग रेंज के अंत में वर्चुअल टारगेट बनाया गया है।

वहीं, इसमें इंस्ट्रक्टर कानसोल, विजुअल मॉड्यूल, कैमरा, एयर कंप्रेशर यूनिट और इंटर कम्युनिकेटर डिवाइस लगा है। इसके गन में लेजर लाइट लगी होती है। फायर करते ही लेजर लाइट दूसरे सिरे पर मौजूद टारगेट से टकराती है। गोली दागने वाले में कितनी दक्षता है यह वहां लगा कंप्यूटर बता देता है। इसमें 10 फीट से 600 मीटर की दूरी तक फायर करने का अभ्यास किया जा सकता है।


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