पोल्ट्री फार्मों को लेकर तीन महीने में नया आदेश जारी करे केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, एनजीटी ने दिए निर्देश
एनजीटी ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को निर्देश दिया है कि वह पोल्ट्री फार्मों को हरित श्रेणी के उद्योग के रूप में वर्गीकृत करने पर फिर से विचार करे।
नई दिल्ली, पीटीआइ। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को निर्देश दिया है कि वह पोल्ट्री फार्मों को हरित श्रेणी के उद्योग के रूप में वर्गीकृत करने पर फिर से विचार करे। हरित श्रेणी के उद्योग के रूप में वर्गीकृत किए जाने के चलते पोल्ट्री फार्मो को विभिन्न कानूनों से छूट मिली हुई है। एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एके गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने सीपीसीबी को तीन महीने के भीतर नया आदेश जारी करने के लिए कहा है। इसने कहा है कि यदि नया आदेश जारी नहीं किया जाता है, तो सभी राज्यों के प्रदूषण नियंत्रण बोर्डो को वायु, जल और पर्यावरण संरक्षण कानून के तहत सहमति तंत्र लागू करने की जरूरत पड़ेगी।
एनजीटी ने कहा कि तब तक सहमति तंत्र के बिना भी राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कड़ाई से पर्यावरण संबंधी नियमों को लागू कर सकते हैं। इसके अलावा वायु, जल और मिट्टी से संबंधित मानकों का उल्लंघन पाए जाने पर उचित कार्रवाई कर सकते हैं। एनजीटी ने कहा कि सतत विकास जीवन का हिस्सा है और सरकारी अधिकारियों का दायित्व है कि वे इसकी धारणा के अनुसार पर्यावरण की रक्षा करें। पर्यावरण के प्रति सरकार की जिम्मेदारी जन विश्वास सिद्धांत के तहत है। जल अधिनियम, वायु अधिनियम और पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम अंतरराष्ट्रीय संधियों के संदर्भ में बनाए गए हैं और अन्य सभी कानूनों से ऊपर हैं।
इससे इतर एनजीटी ने शुक्रवार को दिल्ली और हरियाणा के गुरूग्राम दोनों में पड़ने वाली नजफगढ़ झील को एक जलाशय घोषित करने को लेकर विवाद पर दोनों सरकारों को निर्देश दिया कि वे इलाके में अतिक्रमण और निर्माण कार्य रोकने के लिए एक योजना बनाएं। यही नहीं एनजीटी ने पर्यावरण एवं वन मंत्रालय से भी कहा कि वह केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड यानी सीपीसीबी की मदद से एक पर्यावरण प्रबंधन योजना तैयार करे। अधिकरण ने कहा कि गुरूग्राम के जिला मजिस्ट्रेट ने जो रिपोर्ट दी है उसके मुताबिक, राजस्व रिकॉर्ड में जलाशय की कोई प्रविष्टि नहीं है। यह क्षेत्र आंशिक रूप से सरकारी और आंशिक रूप से निजी है।
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