एनजीटी ने कहा- बैंक्वेट और मैरिज हॉलों के नियमन की गाइडलाइंस को लागू करें सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को बैंक्वेट और मैरिज हॉलों के नियमन से संबंधित गाइडलाइंस को लागू करने का निर्देश दिया है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को बैंक्वेट और मैरिज हॉलों के नियमन से संबंधित गाइडलाइंस को लागू करने का निर्देश दिया है। साथ उनसे पर्याप्त पार्किंग सुविधा और ठोस व तरल कचरे का निपटान सुनिश्चित करने के लिए भी कहा है।
जस्टिस गोयल ने कहा- सभी राज्य केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की गाइडलाइंस को लागू करें
एनजीटी के चैयरपर्सन जस्टिस एके गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की गाइडलाइंस को अपनाने और लागू करने के लिए कदम उठाने को कहा है ताकि जल, ठोस व तरल कचरा प्रबंधन प्रणाली का सतत उपयोग और वैधानिक पर्यावरणीय मानकों का अनुपालन सुनिश्चित हो सके।
एनजीटी पीठ ने कहा- उल्लंघन पर राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए
तिमाही रिपोर्ट तलब करते हुए पीठ ने कहा, 'स्थानीय निकायों और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों समेत सभी वैधानिक नियामक प्राधिकारियों को ऐसे मानकों के अनुपालन पर नजर रखनी चाहिए। जब उल्लंघन हो तब गैर-अनुपालन गतिविधियों को रोककर, अभियोजन शुरू करके और मुआवजे की वसूली करके कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। नागरिकों के स्वच्छ पर्यावरण के अधिकार को लागू करने के लिए यह जरूरी है क्योंकि यह जीवन के अधिकार का ही एक हिस्सा है।'
एनजीटी ने दी चेतावनी, कहा- दोषी अफसरों पर गिर सकती है गाज
एनजीटी ने चेतावनी दी कि अगर अनुपालन नहीं हुआ तो उसे संबंधित अधिकारियों को मुआवजे के भुगतान के जरिये जवाबदेह बनाना पड़ सकता है और दोषी व अनियमितता बरतने वाले अफसरों को कार्रवाई का सामना भी करना पड़ सकता है।
सीपीसीबी जल्द ही सभी राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों के साथ वीडियो कांफ्रेंस करेगा- एनजीटी पीठ
पीठ ने कहा, 'सीपीसीबी एक महीने के भीतर सभी राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों के साथ वीडियो कांफ्रेंस कर सकता है जिसमें जहां तक संभव हो, वर्तमान के साथ साथ पर्यावरण से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण मसलों पर भी विचार-विमर्श किया जा सकता है। एक बैठक पर्याप्त न हो तो तो उचित अंतराल पर ऐसी कई बैठकें की जा सकती हैं ताकि प्रासंगिक सूचनाओं के संकलन में देरी न हो।'