Move to Jagran APP

Rising India: कोरोना के ख़िलाफ़ विश्व युद्ध में मानवता की आस बने भारतीय योद्धा, वैक्सीन बनाने में जी जान से जुटे

कोरोना महामारी के विरुद्ध जारी वैश्विक लड़ाई में दुनिया भारतीय वैक्सीन निर्माता SII पुणे की हर गतिविधि पर टकटकी लगाए हुए है। दुनिया में वैक्सीन के इस सबसे बड़े उत्पादक ने भारत सहित दुनिया के तमाम देशों को कोविशील्ड नामक कोविड-19 वैक्सीन उपलब्ध कराने का जिम्मा ले रखा है।

By Manish MishraEdited By: Published: Sun, 13 Dec 2020 06:01 AM (IST)Updated: Sun, 13 Dec 2020 07:48 AM (IST)
Rising India: कोरोना के ख़िलाफ़ विश्व युद्ध में मानवता की आस बने भारतीय योद्धा, वैक्सीन बनाने में जी जान से जुटे
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, पुणे में वैक्सीन निर्माण संबंधी गतिविधि में जुटे कर्मचारी। सौ. सीरम इंस्टीट्यूट

अतुल पटैरिया, नई दिल्ली। कोरोना महामारी के विरुद्ध जारी वैश्विक लड़ाई में दुनिया भारतीय वैक्सीन निर्माता सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, पुणे की हर गतिविधि पर टकटकी लगाए हुए है। दुनिया में वैक्सीन के इस सबसे बड़े उत्पादक ने भारत सहित दुनिया के तमाम देशों को 'कोविशील्ड' नामक कोविड-19 वैक्सीन उपलब्ध कराने का जिम्मा ले रखा है, खासकर गरीब अफ्रीकी देशों को। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा विश्व के अलग-अलग हिस्सों में कुल 20 हजार लोगों पर किए गए ट्रायल में यह वैक्सीन 70.4 प्रतिशत कारगर साबित रही है। जबकि कंपनी का कहना है कि दो डोज पूरे होने के निर्धारित समय बाद यह टीका 90 प्रतिशत तक प्रभावशाली होगा। बीते सोमवार को कंपनी के सीईओ अदार पूनावाला ने ट्वीट कर घोषणा की कि- भारत में निर्मित इस पहली कोविड-19 वैक्सीन के आपात उपयोग हेतु अनुमति प्रदान किए जाने के लिए ड्रग्स कंट्रोलर ऑफ इंडिया को आवेदन भेज दिया गया है...।

loksabha election banner

सीरम ने बताया कि अनुमति मिलते ही शुरुआती चरण के टीकाकरण के लिए कंपनी भारत को दस करोड़ डोज (दो का सेट) उपलब्ध करा देगी। पांच करोड़ डोज पहले से तैयार हैं, जबकि अनुमति मिलने पर उत्पादन को तेज कर दिया जाएगा। अदार पूनावाला कहते हैं कि यह तो समय ही बताएगा कि वैक्सीन कितनी कारगर होती है, लेकिन अब तक के ट्रायल ने उम्मीद जगाई है कि यह भरपूर कारगर है और अनगिनत जिंदगियों को बचाएगी। सीरम ने जो तैयारी की है और दुनिया ने उस पर जो भरोसा जताया है, वह भारत का गौरव बढ़ाने वाला है। बड़ी बात यह भी है कि इस वैक्सीन को सामान्य फ्रिज में रखा जा सकता है, इसे माइनस 70 वाले कोल्ड स्टोरेज नहीं चाहिए। इससे भी काम आसान हो जाएगा। उम्मीद है कि 2021 के समाप्त होते तक भारत की यह कंपनी आधी दुनिया को कोविड-19 का टीका उपलब्ध करा देगी। 

(सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, पुणे में वैक्सीन निर्माण संबंधी गतिविधि में जुटे कर्मचारी। सौ. सीरम इंस्टीट्यूट)

अदार पूनावाला ने कहा कि भारत सरकार से हालांकि फिलहाल हमारा कोई करार नहीं हुआ है, लेकिन सरकार ने जुलाई तक देश में 40 करोड़ डोज की आवश्यकता जताई है। यदि हमसे कहा जाता है तो हम इसकी पूर्ति करने में सक्षम हैं। कम आय और संसाधन वाले अफ्रीकी देशों को भी हम न्यूनतम कीमत पर यह वैक्सीन मुहैया कराने में सहायक बन रहे हैं। हमारा लक्ष्य लोगों को न्यूनतम कीमत पर गुणवत्तापूर्ण वैक्सीन उपलब्ध कराना है। मूल्य का निर्धारण लागत पर आधारित है, मुनाफे पर नहीं। गरीब देशों के लिए एक डोज की कीमत अधिकतम तीन अमेरिकी डॉलर होगी, जिसे गावी नामक समाजसेवी संगठन मुहैया कराएगा। जबकि भारत में एक डोज की कीमत 400 रुपये के आसपास होगी। संपूर्ण टीकाकरण में दो डोज लेना अनिवार्य होगा।

(सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा तैयार कोविड-19 वैक्सीन- कोविशील्ड। सौ. सीरम इंस्टीट्यूट)

समाजसेवी संस्था बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन ने पूनावाला ग्रुप की इस कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया प्रा.लि. को 300 मिलियन डॉलर (करीब 22.5 अरब रुपये) का फंड मुहैया कराया है। वहीं, सीरम इंस्टीट्यूट भी इस प्रोजेक्ट पर 250 मिलियन डॉलर यानी करीब 18.5 अरब रुपये खर्च कर रहा है। ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने वैक्सीन को ईजाद करने और ट्रायल इत्यादि में तकनीकी सहयोग किया है। बता दें कि 28 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कंपनी की यूनिट का दौरा कर वैक्सीन निर्माण की प्रगति का निरीक्षण किया था।

कंपनी के चेयरमैन व मैनेजिंग डायरेक्टर सायरस पूनावाला कहते हैं कि लोगों की जान बचाकर जो संतोष प्राप्त होता है, वह अपने आप में विशिष्ट अनुभव है। हम इस वैक्सीन से मुनाफा नहीं कमाना चाहते हैं। कंपनी के सीईओ 39 वर्षीय अदार पूनावाला सायरस के इकलौते बेटे हैं, जो अब कंपनी में अग्रणी भूमिका में हैं। बता दें कि गावी के साथ ही धन कुबेर बिल गेट्स लंबे समय से सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के साथ मिलकर गरीब देशों को टीकाकरण में सहयोग करने का काम करते आ रहे हैं। बिल गेट्स 2012 में पुणे स्थित इकाई का दौरा भी कर चुके हैं और तब उन्होंने कहा था- यह कंपनी अद्भुत है और इसकी क्षमताएं विश्व में अग्रणी हैं। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया गरीब देशों के लिए सस्ती लेकिन गुणवत्तायुक्त वैक्सीन का उत्पादन करती है, जिसका लाभ 140 देशों को मिलता है। उन्होंने वैश्विक मंच पर कंपनी को 'वैक्सीन हीरोज' कहकर भी संबोधित किया है।  

धनाढ्य परिवार से ताल्लुक रखने वाले सायरस पूनावाला ने अपने हॉर्स फार्म की जगह वैक्सीन (सीरम) बनाने का यह उद्यम 1966 में स्थापित किया था। घोड़ों के लिए सीरम बनाने से इसकी शुरुआत हुई थी, जो आज दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीन उत्पादक के रूप में सामने है। तब से विभिन्न रोगों की वैक्सीन के डेढ़ अरब डोज तैयार कर दुनिया के 170 देशों में बेचे जा चुके हैं। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के अनुरूप जरूरतमंदों को कारगर और सस्ती वैक्सीन उपलब्ध कराने के पीछे बिजनेस नहीं बल्कि समाजसेवा का ध्येय मुख्य भूमिका में रहा है। अदार कहते हैं कि पूनावाला परिवार के इस योगदान के बारे में भारत में ही बहुत कम लोग जानते होंगे। हमें हमारे हॉर्स फार्म, ऊंची बिल्डिंगों, आलीशान कारों इत्यादि के लिए लोग अधिक जानते हैं, लेकिन हम दुनिया को जीवनरक्षी वैक्सीन बिना कोई खास मुनाफा कमाए दशकों से उपलब्ध कराते आए हैं और इस महामारी के दौर में भी कराने जा रहे हैं।   

सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया में कार्यरत विज्ञानियों-कर्मचारियों ने भी अपना-अपना दायित्व देशसेवा के जज्बे के साथ निभाया, जिसमें वह अब भी समर्पण भाव से जुटे हुए हैं। यहां बीते छह वर्षों से सेवाएं दे रहे सहायक अधिकारी (प्रोडक्शन) जितिन मोरे बताते हैं कि कंपनी ने महामारी के दौरान अपने प्रत्येक सदस्य और उसके पूरे परिवार का हरसंभव ध्यान रखा है, जिससे सभी लोग अपनी जिम्मेदारी चिंतामुक्त होकर निभा पाए हैं। वहीं. कंपनी के एक विज्ञानी संतोष नरवडे ने कहा कि हम सभी ने इस जज्बे के साथ काम किया कि हम लोग देश और दुनिया को इस महामारी से बचने का उपाय देने जा रहे हैं...।  

(28 नवंबर को प्रधानमंत्री को यूनिट के बारे में जानकारी देते अदार पूनावाला। सौ. सीरम इंस्टीट्यूट)

सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने जागरण को बताया कि हमारी उत्पादन क्षमता इस समय सात करोड़ डोज (सेट) प्रति माह की है, जबकि फरवरी से प्रति माह 10 करोड़ डोज का उत्पादन किया जा सकेगा क्योंकि मांजरी की इकाई भी गतिशील हो जाएगी। तैयारी है कि हम अगले साल जल्दी ही 2.5 अरब डोज के सालाना उत्पादन के लक्ष्य को हासिल कर लेंगे। इस समय हमें वैश्विक फार्मास्यूटिकल कंपनी एस्ट्रा जेनेका के साथ हुए करार के तहत आगामी समय में 100 करोड़ डोज का उपलब्ध कराने हैं। इसके अलावा नोवावैक्स को भी 100 करोड़ डोज तैयार करके देना है। वहीं समाजसेवी संगठन गावी को 20 करोड़ डोज उपलब्ध कराए जाने हैं, जिन्हें उसके द्वारा अफ्रीकी देशों में गरीब लोगों तक पहुंचाया जाएगा। भारत सरकार से एप्रूवल मिलते ही सबसे पहले भारत के लिए पूरी क्षमता के साथ उत्पादन किया जाएगा। करीब पांच करोड़ डोज बनकर तैयार हैं।  

पुणे के हड़पसर में संचालित मुख्य इकाई के अलावा अब निकट ही मांजरी में एक और विशाल यूनिट स्थापित हो गई है ताकि महामारी या ऐसे अन्य कारकों पर काबू पाने का काम तेज गति से हो सके। इसमें जिपलाइन और सरकार की भी सहभागिता है। उम्मीद है कि हम 2021 में जल्द ही ढाई अरब डोज के सालाना उत्पादन के लक्ष्य को प्राप्त कर लेंगे।  

(अदार पूनावाला, सीईओ, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, पुणे। सौ. सीरम इंस्टीट्यूट) 

सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला ने कहा कि ट्रायल में यह वैक्सीन 70.4 प्रतिशत तक कारगर रही है। लोगों को अस्पताल में भर्ती कराने की आवश्यकता समाप्त हो गई, जबकि संक्रमित व्यक्तियों में भी तेजी से सुधार हुआ और उनके जरिये औरों के संक्रमित होने का खतरा सीमित हो गया। सरकार से एप्रूवल मिलते ही उत्पादन को गति दे दी जाएगी। उम्मीद है कि यह वैक्सीन जीवन को बचाने में सहायक बनेगी। आम जन के बीच वैक्सीन को लेकर आपाधापी या पैनिक न हो, इसका हम सभी को ध्यान रखना होगा। खासकर मीडिया को इसके लिए लोगों को सचेत करना चाहिए। क्योंकि यह एक लंबी प्रक्रिया है और हर व्यक्ति तक वैक्सीन को पहुंचाने के लिए बहुत सारी तैयारियां करनी होंगी। दुनिया में कई कंपनियां वैक्सीन बनाने में जुटी हुई हैं। इनमें से हम भी एक हैं, लेकिन हमारे ऊपर जिम्मेदारी कुछ बड़ी है। इतनी कम कीमत पर, इतने बड़े पैमाने पर और इतनी जल्दी यह वैक्सीन उपलब्ध कराना आसान काम नहीं। फिलहाल लागत का एक बहुत बड़ा हिस्सा हम स्वयं वहन कर रहे हैं।

Coronavirus: निश्चिंत रहें पूरी तरह सुरक्षित है आपका अखबार, पढ़ें- विशेषज्ञों की राय व देखें- वीडियो


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.