Nirbhaya Case: फांसी की सजा को लेकर सबसे ज्यादा परेशान है विनय
Nirbhaya Case डेथ वारंट जारी होने के बाद से ही निर्भया के दोषियों को मौत का खौफ सता रहा है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। डेथ वारंट जारी होने के बाद से ही निर्भया के दोषियों को मौत का खौफ सता रहा है। सूत्रों के मुताबिक विनय के व्यवहार में सबसे अधिक परिवर्तन देखा जा रहा है। बुधवार को वह जेल की अपनी कोठरी में बेसुध हो गया था। आनन फानन में उसे अस्पताल भेजा गया, जहां इलाज किया गया। वह खाना ठीक से नहीं खा रहा है, जिससे धीरे-धीरे कमजोर होता जा रहा है।
विनय के परिजनों ने की मुलाकात
शुक्रवार को जारी पटियाला हाउस कोर्ट द्वारा जारी नया डेथ वारंट देर शाम तिहाड़ जेल पहुंच गया, चारों दोषियों को 1 फरवरी को सुबह 6 बजे फांसी दिए जाने के लिए कहा गया है। इससे कुछ देर पहले ही दोषी पवन से उसकी दादी, बहन और पिता ने मुलाकात की, जो करीब आधा घंटे चली। जेल संख्या तीन में ले जाए जाने के बाद किसी दोषी की परिजनों से पहली मुलाकात है। बताते हैं कि जेल संख्या तीन में लाए जाने के बाद दोषियों को नींद नहीं आ रही है। जेल अधिकारी लगातार इन पर नजर रखे हुए हैं। बीच-बीच में आकर इनसे बातचीत करते रहे।
विनय के खुदकुशी की कोशिश की अफवाह को किया खारिज
जेल अधिकारियों के अनुसार चारों दोषियों के स्वास्थ्य पर पूरी नजर रखी जा रही है। इनका डायट चार्ट भी बनाया जा रहा है ताकि वजन एकाएक कम नहीं हो। हालांकि, गुरुवार को विनय के खुदकशी की कोशिश की अफवाह फैल गई थी। जेल अधिकारियों ने इस बात से साफ-साफ इन्कार कर दिया। जेल अधिकारियों का कहना है कि डेथ वारंट जारी होने के बाद से ही चारों दोषियों पर नजर रखने के लिए चौबीस घंटे एक सुरक्षाकर्मी की डयूटी लगी रहती है। कोठरी के भीतर और बाहर दोनों जगह सुरक्षाकर्मियों को उन पर नजर रखने का निर्देश है। दोषी तनाव में न रहें इसके लिए उनकी काउंसिलिंग भी कराई जा रही है।
फांसी या फांसी घर के बारे में बातचीत की मनाही
सूत्रों का कहना है कि दोषियों को ऐसे सेल में रखा गया है जहां से फांसी घर नजर नहीं आता है। हालांकि दूरी बहुत कम है। प्रशासन मान रहा है कि यदि फांसी घर इन्हें दिखेगा तो इनके भीतर भय के कारण तनाव हो सकता है। सुरक्षाकर्मियों को हिदायत दी गई है कि दोषियों से फांसी से जुड़े उनके किसी भी सवाल का जवाब न दें।
नहीं जाहिर की कोई इच्छा
जेल सूत्रों का कहना है कि अभी तक दोषियों ने कोई किताब या धार्मिक पुस्तक उपलब्ध कराने की कोई इच्छा जाहिर नहीं की है। प्रशासन का कहना है कि यदि वे इस तरह की कोई इच्छा जाहिर करते हैं तो ध्यान दिया जाएगा।
फांसी पर लटकाने के लिए पूरी तरह स्वस्थ रहना जरूरी
जेल मैनुअल के अनुसार फांसी पर लटकाने के लिए दोषी का पूरी तरह से स्वस्थ होना जरूरी है। उसका शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य पूरी तरह ठीक रहना चाहिए। इसके लिए जल्द ही मेडिकल बोर्ड का गठन किया जाएगा। जेल संख्या तीन में उनकी स्वास्थ्य जांच रोजाना हो रही है। यहां तिहाड़ का केंद्रीय अस्पताल भी है। जल्द ही यहां एक वार्ड आरक्षित कर दिया जाएगा ताकि यदि किसी दोषी की तबीयत खराब हो तो उसे भर्ती किया जा सके। वार्ड में सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं ताकि इन पर नजर रखी जा सके। शुक्रवार को चिकित्सकों ने दोषियों की जांच उनके सेल में ही जाकर की।
जानिये 20112 के निर्भया केस के बारे में
16 दिसंबर को पैरा मेडिकल की छात्रा निर्भया के साथ दक्षिण दिल्ली के वंसत विहार इलाके में चलती बस में दरिंदगी हुई थी। मिली जानकारी के मुताबिक, बस में मौजूद ड्राइवर राम सिंह, एक नाबालिग के अलावा अक्षय सिंह कुमार, विनय कुमार शर्मा, पवन कुमार गुप्ता और मुकेश सिंह ने निर्भया के साथ दरिंदगी की थी। इसी के साथ निर्भया को मानसिक और शारीरिक कष्ट इस कदर दिया कि इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
इसके बाद पूरे देश में गुस्से की लहर दौड़ गई और पूरे देश में प्रदर्शन हुए। इसको देखते हुए केंद्र सरकार के निर्देश पर फास्ट ट्रैक कोर्ट में मुकदमा चला था। पहले निचली अदालत, फिर दिल्ली हाईकोर्ट और अंत में सुप्रीम कोर्ट ने चारों दोषियों अक्षय, मुकेश, पवन और विनय की फांसी पर मुहर लगाई, वहीं, राम सिंह ने जेल में ही फांसी लगाकर जान दे दी थी तो अन्य नाबालिग जुवेनाइल कोर्ट में सजा पूरी कर चुका है।