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Oxygen shortage: धड़कनें थाम रही ‘ऑक्सीजन’, सरकार कह रही ‘सब ठीक’

Oxygen shortage पंजाब-चंडीगढ़ में स्थिति बिगड़ते देख राज्य सरकार ने इंडस्ट्रीयल ऑक्सीजन के उत्पादकों को भी मेडिकल ऑक्सीजन के उत्पादन का लाइसेंस दे दिया है।

By JP YadavEdited By: Published: Thu, 17 Sep 2020 11:57 AM (IST)Updated: Thu, 17 Sep 2020 11:57 AM (IST)
Oxygen shortage: धड़कनें थाम रही ‘ऑक्सीजन’, सरकार कह रही ‘सब ठीक’
Oxygen shortage: धड़कनें थाम रही ‘ऑक्सीजन’, सरकार कह रही ‘सब ठीक’

नई दिल्ली [राहुल चौहान]। Oxygen shortage: ऑक्सीजन उत्पादकों का कहना है कि उत्पादन में कोई कमी नहीं है, समस्या सप्लाई को लेकर है। पर सच्चाई यही है कि मेडिकल ऑक्सीजन की उपलब्धता चुनौतीपूर्ण बनती जा रही है। कीमतों का बढ़ना भी यही बताता है। स्थिति यह है कि सोमवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को संसद में बयान देना पड़ा। सरकार कह रही है कि देश में इस समय केवल 5.8 प्रतिशत मामलों में (कोरोना रोगियों के) ऑक्सीजन थेरेपी की आवश्यकता पड़ रही है। वहीं, अस्पतालों का हाल कुछ और बता रहा है। पंजाब-चंडीगढ़ में स्थिति बिगड़ते देख राज्य सरकार ने इंडस्ट्रीयल ऑक्सीजन के उत्पादकों को भी मेडिकल ऑक्सीजन के उत्पादन का लाइसेंस दे दिया है। वहीं, नए प्लांट्स स्थापित किये जाने की बात भी हो रही है। हालांकि राजधानी दिल्ली में मेडिकल ऑक्सीजन की उपलब्धता को लेकर फिलहाल कोई संकट नहीं दिख रहा है। दिल्ली सरकार का तो यही कहना है कि स्थिति सामान्य है। ऑक्सीजन उद्योग की बात करें तो देश में कुल 12 बड़े और 500 मझौले-छोटे ऑक्सीजन उत्पादक हैं। इनमें गुजरात बेस्ड कंपनी आइनॉक्स एयर प्रोडक्ट्स प्रा.लि. देश की सबसे बड़ी ऑक्सीजन उत्पादक फर्म है। देशभर में इसके अनेक प्लांट्स हैं। इसी के समकक्ष दिल्ली बेस्ड गोयल एमजी गैसेस प्रा.लि. और कोलकाता बेस्ड कंपनी लिंडे इंडिया हैं।

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‘ऑल इंडिया इंडस्ट्रीयल गैसेस मेन्युफेक्चरर्स एसोसिएशन’ के अध्यक्ष साकेत टिकू का कहना है कि मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन चार गुना तक बढ़ा दिया गया है। मार्च, 2020 में जहां हम प्रतिदिन 750 टन मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन कर रहे थे, आज 2700 टन प्रतिदिन कर रहे हैं। पहले जहां औद्योगिक ऑक्सीजन का उत्पादन 70 प्रतिशत हो रहा था और मेडिकल ऑक्सीजन का 30 प्रतिशत, वह अनुपात मार्च के बाद उलट गया है। संगठन का कहना है कि उद्योग पर जबर्दस्त दबाव है। मार्च में जब प्रधानमंत्री ने मेडिकल इमरजेंसी सप्लाई से जुड़े सभी साझीदारों से चर्चा कर आर्पूित का आकलन किया था, तब पर्याप्त आर्पूित का आश्वासन दिया गया था। किंतु अनलॉक के बाद सभी उद्योग-धंधे शुरू हो गए, जिससे औद्योगिक ऑक्सीजन की मांग भी बढ़ गई। इधर, कोरोना मामलों की रफ्तार कई गुना आगे निकल चुकी है। मांग की आर्पूित कैसे होगी? इस पर बुधवार को केंद्र ने कहा कि ऑक्सीजन की कमी नहीं है। कुल खपत और मांग से लगभग 60 प्रतिशत अधिक उत्पादन हो रहा है। समस्या है सप्लाई की।

राजधानी दिल्ली की बात करें तो यहां मेडिकल ऑक्सीजन के खुदरा खरीदारों को ऑक्सीजन की कमी का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि टैंकर की कमी के कारण कंपनियां उन्हें खुदरा ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं करा पा रही हैं। इसी कारण इन्होंने मेडिकल ऑक्सीजन के दाम भी तीन गुना तक बढ़ा दिए हैं। ऐसे में प्रश्न यह है कि क्या टैंकर और सिलिंडर की उपलब्धता का आकलन नहीं किया गया था? दिल्ली बेस्ड एक कंपनी के अधिकारी ने बताया कि देश में मांग के सापेक्ष आर्पूित में इस समय करीब 250 टन प्रतिदिन की कमी है।

दिल्ली में मांग कई गुना बढ़ी, पर कमी नहीं!

दिल्ली के सबसे बड़े कोविड अस्पताल लोकनायक में नए भर्ती हो रहे 75 प्रतिशत मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है। डॉ. सुरेश कुमार ने बताया कि एक रोगी पर प्रतिदिन औसतन दस लीटर ऑक्सीजन की खपत है, जबकि मार्च में यह खपत प्रति मरीज औसतन पांच लीटर प्रतिदिन तक थी। वर्तमान में एक मरीज को करीब सात दिन तक ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है। मार्च माह के दौरान कोरोना संक्रमित करीब 20 मरीज भर्ती होते थे, जिनमें से दो-तीन को ही ऑक्सीजन की जरूरत होती थी। अब प्रतिदिन 100 मरीज भर्ती हो रहे हैं। जिनमें से 75 को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही ह अस्पताल में कोरोना मरीजों क लिए दो हजार बेड उपलब्ध हैं, जिनमें से फिलहाल 718 बेड भरे हैं।

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