Kisan Andolan : केंद्र सरकार से इस बार सकारात्मक वार्ता की संभावना : राकेश टिकैत
पिछले कुछ दिनों से बुजुर्ग किसानों की वापसी को देखते हुए आंदोलनरत किसानों ने रणनीति बदली और बढ़ती ठंड में पंजाब से युवाओं को बुलाया जा रहा है। दर्जनों ट्रैक्टर-ट्रालियों व अन्य वाहनों से सैकड़ों युवाओं का जत्था धरनास्थल पर पहुंच चुका है।
नई दिल्ली, जागरण टीम। कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान अब अपनी रणनीति बदलने लगे हैं। दिल्ली बार्डर पर डेरा डाले बुजुर्गो और बीमार लोगों को वापस घर भेजा जा रहा है और पंजाब से आकर युवा उनकी जगह ले रहे हैं। आगामी 30 दिसंबर को केंद्र के साथ प्रस्तावित बातचीत को लेकर भी उम्मीद जताई जा रही है। दिल्ली से गाजियाबाद को जोड़ने वाले यूपी गेट पर डेरा डाले भारतीय किसान यूनियन टिकैत गुट के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि इस बार सरकार से सकारात्मक वार्ता होने की संभावना है। उन्होंने उम्मीद जताई कि सरकार किसानों की बात इस बार जरूर मानेगी। कुंडली बार्डर पर 27 नवंबर से धरना देकर बैठे किसानों की मुश्किलें बढ़ती ठंड ने बढ़ा दी है।
कई दिनों से धरने में बैठे बुजुर्गों और बीमारों को भेजा जा रहा घर
शुरुआत में धरना में बुजुर्ग किसानों की संख्या काफी ज्यादा थी, लेकिन इस कड़ाके की ठंड में खुले आसमान के नीचे ट्रैक्टर-ट्राली में रहना उनके लिए परेशानी का सबब बन रहा है। बुजुर्ग किसान लगातार बीमार हो रहे हैं। हालांकि धरनास्थल पर गर्म पानी और गर्म खाना के अलावा ठंड से बचने के लिए अलाव, गर्म कपड़े, कंबल आदि की भी विशेष व्यवस्था की गई, लेकिन किसानों की तबीयत लगातार खराब होती जा रही है। इससे उनके स्वजन चिंतित हैं और उन्हें वापस घर भेजा रहा है।
बदल रही रणनीति, युवाओं की बढ़ा रहे भागीदारी
पिछले कुछ दिनों से बुजुर्ग किसानों की वापसी को देखते हुए आंदोलनरत किसानों ने अपनी रणनीति बदली और अब बढ़ती ठंड में आंदोलन की गर्माहट को बरकरार रखने के लिए पंजाब से युवाओं को बुलाया जा रहा है। तीन-चार दिनों में दर्जनों ट्रैक्टर-ट्रालियों व अन्य वाहनों से सैकड़ों युवाओं का जत्था धरनास्थल पर पहुंच चुका है। ये युवा धरनास्थल पर लंगर से लेकर बुजुर्गों की देखभाल का जिम्मा संभाल रहे हैं।
युवाओं को संभालना मुश्किल एक तरह से युवाओं ने आंदोलन की जिम्मेदारी संभाल ली है, लेकिन जोश के साथ उनके होश को बरकरार रखने की चिंता नेताओं को परेशान कर रही है। उनको लगातार नसीहत दी जा रही है कि जोश में कुछ गड़बड़ न करें। हर युवाओं की टोली के साथ कुछ बुजुर्ग किसानों की भी जिम्मेदारी लगाई गई है। मंच से भी बार-बार अति उत्साह में कोई गलत कदम नहीं उठाने की उद्घोषणा भी की जाती है।
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