10 मीटर पहले ही दिव्यांगों को बता देगी छड़ी, IIT Delhi में तैयार नई तकनीक से होगी सुविधा
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली (IIT Delhi) के शोधकर्ता प्रोफेसर कई एेसे प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं जिनसे दिव्यांगों को बहुत सहायता मिलेगी।
नई दिल्ली (राहुल मानव)। आधुनिक तकनीक के सहयोग से दिव्यांगों की चुनौतियों को दूर करने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली (IIT Delhi) के शोधकर्ता, प्रोफेसर कई एेसे प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं, जिनसे दिव्यांगों को बहुत सहायता मिलेगी। अब एेसी ही तकनीक को समाज में नई दिशा देने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) दिल्ली की तरफ से पहल की जा रही है।
दिव्यांगों की सहायता के लिए कई प्रोजक्ट
आइआइटी दिल्ली चार दिवसीय एंपाॅवर सम्मेलन का आयोजन कर रहा है। इसमें कई प्रोजेक्ट को प्रदर्शित किया जाएगा, जिन्हें दिव्यांगों की सहायता के लिए तैयार की गई हैं। संस्थान की तरफ से माइक्रोसाॅफ्ट कंपनी के साथ मिलकर इस सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। आइआइटी दिल्ली टेक्नोपार्क, सोनीपत कैंपस में इस सस्मेलन का आयोजन किया जा रहा है।
माइक्रोसाॅफ्ट कंपनी के साथ हुई साझेदारी
शुक्रवार को लोदी रोड स्थित इंडिया हैबिटेट सेंटर में इस सम्मेलन की जानकारी देने के लिए प्रेसवार्ता का आयोजन किया गया। जिसमें आइआइटी दिल्ली के कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग के प्रोफेसर एम.बालाकृष्णन, मैकेनिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर पीवीएम राव, दिल्ली के राज्य आयुक्त (दिव्यांग) टी.डी.धरियाल और माइक्रोसाॅफ्ट रिसर्च के प्रमुख शोधकर्ता डॉ मनोहर स्वामीनाथन उपस्थित थे।
नॉन प्राॅफिट इंक्यूबेटिड स्टार्टअप
आइआइटी दिल्ली ने दृष्टिबाधितों के लिए आधुनिक तकनीक के माध्यम से कई उपयोगी समाधान देने के लिए एक नॉन प्राॅफिट इंक्यूबेटिड स्टार्टअप (बिना लाभ के लिए शुरू की गई कंपनी) असिस्टेक स्थापित की है। असिस्टेक के संस्थापक प्रो एम.बालाकृष्णन ने बताया कि एंपाॅवर सम्मेलन दूसरी बार आयोजित किया जा रहा है।
दिव्यांगों को हो सहूलियत
पिछले वर्ष इसे पहली बार आयोजित किया गया था। इस सम्मेलन के आयोजन का उद्देश्य है कि दिव्यांगों के जीवन की चुनौतियों के परखते हुए उनके लिए तकनीक को विकसित किया जाए। इस सम्मेलन में आइआइटी मद्रास, आइआइटी कानपुर, आइआइटी खड़कपुर, आइआइटी रूढ़की, आइआइटी गुवाहाटी के प्रतिनिधि एवं 20 एनजीओ भी हिस्सा लेंगी।
इंटरनेट पर मौजूद किताब पढ़ सकेंगे
प्रो एम.बालाकृष्णन ने बताया कि मैं दो प्रोजेक्ट पर काम कर रहा हूं। पहला प्रोजेक्ट है, जिसमें एनसीईआरटी-सीबीएसई की इंटरनेट में मौजूद किताबों को पढ़ने के लिए एक सॉफ्टवेयर तैयार किया जा रहा है। इसकी मदद से दृष्टिबाधित छात्र आॅडियो की मदद से किताबों की सामग्री को समझ सकें।
10 मीटर की दूरी से पहले रुकावट का पता चल जाएगा दृष्टिबाधितों को
दूसरा प्रोजेक्ट है कि दृष्टिबाधितों के लिए रास्ते में आने वाली हर रुकावट को उनकी छड़ी 10 मीटर की दूरी से पहले ही बता दे। अगर कोई कुत्ता या यातायात नियमों से जुड़ा कोई साइनबोर्ड उनके मार्ग पर आ रहा है, तो उन्हें छड़ी के जरिए सुनकर जानकारी मिल जाए। साथ ही यह छड़ी कंपन से भी दृष्टिबाधितों को रुकावट की सूचना दे देगी। इसके अलावा उन्होंने कहा कि दिल्ली की डीटीसी बसों में दृष्टिबाधितों के लिए एक डिवाइस भी तैयार किया है, जो बस के रूटों की जानकारी इन्हें देगा। लेकिन फंड ना हो पाने से इसे बसों में लागू नहीं किया जा रहा है।