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राजपथ पर इस बार काफी कुछ दिखाई देगा पहली बार, पाक को दहलाने वाली टुकड़ी भी बनी है हिस्‍सा

इस बार की गणतंत्र दिवस परेड अपने आप में बेहद खास है। इस बार राजपथ पर पाकिस्‍तान में सर्जिकल स्‍ट्राइक को अंजाम देने वाली बटालियन भी इसका हिस्‍सा बनी है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Thu, 23 Jan 2020 06:21 PM (IST)Updated: Sat, 25 Jan 2020 07:46 AM (IST)
राजपथ पर इस बार काफी कुछ दिखाई देगा पहली बार, पाक को दहलाने वाली टुकड़ी भी बनी है हिस्‍सा
राजपथ पर इस बार काफी कुछ दिखाई देगा पहली बार, पाक को दहलाने वाली टुकड़ी भी बनी है हिस्‍सा

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। इस बार की गणतंत्र दिवस की परेड न सिर्फ हमारे लिए बल्कि हमारे पड़ोसियों के लिए भी खास होने वाली है। भारत के पड़ोसी देशों के लिए यह परेड इस लिहाज से भी खास है क्‍योंकि इसमें उनके दिलों को दहलाने का पूरा प्रबंध किया गया है। इस बार काफी कुछ ऐसा है जो इस परेड में पहली बार दिखाई देने वाला है। इस बार पाकिस्‍तान उन बहादुर कमांडो की उस टुकड़ी को देख सकेगा जिसने पाकिस्‍तान की सीमा में घुसकर आतंकी कैंपों को तबाह किया था। इसके अलावा दुश्‍मन का दिल दहला देने और अचूक निशाना लगाने वाली ऑटोमैटिक तोप भी पहली बार इस परेड की शोभा बढ़ाएगी। इसके अलावा पहली बार सेना की पुरुषों की टुकड़ी की कमान एक महिला सैन्‍य अधिकारी के हाथों में होगी। 

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एंटी सेटेलाइट मिसाइल 

27 मार्च 2019 दिन बुधवार को कुछ ऐसा हुआ था जिसकी सूचना पूरी दुनिया को पीएम नरेंद्र मोदी की जुबानी मिली थी। यह सूचना थी मिशन शक्ति की। इस मिशन के तहत भारत ने पहली बार जमीन से अंतरिक्ष में अचूक निशाना लगाकर एक सेटेलाइट को नष्‍ट कर दिया था। यह उपलब्धि भारत के लिए बेहद खास थी। भारत ने पहली बार अपनी इस क्षमता का सफलतापूर्वक परिक्षण किया था। इस सेटेलाइट को डॉ एपीजे अब्दुल कलाम आईलैंड लॉन्च कॉम्पलेक्स से किया गया था। इस अभूतपूर्व मिशन को जिस बैलेस्टिक मिसाइल डिफेंस इंटरसेप्टर ने अंजाम दिया था उसको राजपथ पर इस बार पहली बार देखा जा सकेगा। एक आम आदमी के लिए इस मिसाइल को देखना और इसकी उपलब्धि के बारे जानना अपने आप में काफी खास है। 

ऑटोमेटिक सारंग तोप 

सारंग तोप को भी पहली बार गणतंत्र दिवस परेड का पहली बार हिस्‍सा बनाया गया है। इस तोप की सबसे बड़ी खासियत हर पांच सेकेंड में एक गोला दागना है। इसकी यही तेजी दुश्‍मन में खौफ पैदा कर सकती है। इस तोप को ऑर्डिनेंस फैक्ट्री कानपुर (ओएफसी) ने अपग्रेड कर इसकी मारक क्षमता को बढ़ाया है। गौरतलब है कि सोवियत संघ से खरीदी गईं तोपों में पहले 139 एमएम कैलिबर की बैरल लगी थी, जिसकी मारक क्षमता कम थी। इसको अपग्रेड करने के लिए इसको 155 एमएम कैलिबर बैरल वाली गन में बदला गया है। आपको बता दें कि सारंग तोप का अपग्रेड वर्जन पूरी तरह से स्‍वदेशी तकनीक पर तैयार किया है। यह सेमी ऑटोमैटिक ब्रीच मैकेनिज्म से युक्त हैं।

एयरफोर्स की झांकी में पहली बार राफेल

राफेल लड़ाकू विमान भारतीय वायु सेना में शामिल कर लिया गया है। इसको भारत की जरूरत के हिसाब से तैयार किया गया है। राफेल के मिलने के बाद भारतीय वायुसेना की ताकत में इजाफा हुआ है। वहीं दुश्‍मनों के दिल में भी डर पैदा हो गया है। यह लड़ाकू विमान कई खूबियों वाले राडार वार्निग रिसीवर, लो लैंड जैमर, दस घंटे तक की डाटा रिकार्डिग, इजरायली हेल्मेट उभार वाले डिस्प्ले, इन्फ्रारेड सर्च एवं ट्रैकिंग सिस्टम जैसी क्षमताओं से लैस है। इसका रडार सिस्‍टम 100 किलोमीटर की रेंज में एक साथ 40 टारगेट की पहचान कर सकता है। इसके अलावा इसमें लगा ह्यूमन मशीन इंटरफेस इसे दूसरे विमानों से ज्यादा सक्षम बनाता है। यही राफेल इस बार एयरफोर्स की झांकी का सबसे बड़ा आकर्षण है, जो पहली बार परेड का हिस्‍सा बन रहा है।  

अपाचे और चिनूक हेलीकॉप्‍टर 

हाल ही में भारतीय वायुसेना में शामिल हुए अमेरिकी हेलीकॉप्‍टर अपाचे और चिनूक पहली बार गणतंत्र दिवस परेड के दौरान राजपथ के ऊपर उड़ान भरते दिखाई देंगे। इसके अलावा इस कुछ दूसरे विमान भी इस फ्लाइंग पास्‍ट का हिस्‍सा बनेंगे। यह दोनों हेलीकॉप्‍टर हमला करने  के अलावा तेजी से सेना का साजो-सामान और जवानों को पहुंचाने में सक्षम हैं। इस बार वायुसेना दिवस पर पहली बार देशवासियों ने इन्‍हें देखा था। आपको यहां पर ये भी बता दें कि अपाचे दो टर्बोशाफ्ट इंजन और चार ब्लेड वाला अटैकिंग हेलीकॉप्टर है। यह अपने आगे लगे सेंसर की मदद से रात में भी आसानी से उड़ान भर सकता है। इसको दुनिया में सबसे ज्यादा प्रयोग होने वाले अटैकिंग हेलीकॉप्टर का दर्जा हासिल है। भारत को मिलाकर दुनिया की करीब 15 वायुसेना अपाचे का इस्‍तेमाल करती हैं। जहां तक इसका सौदा अमेरिकी कंपनी बोइंग के साथ 2015 में हुआ था। इसके तहत भारत को 15 हेलीकॉप्‍टर मिलने हैं जिनमें से अभी तक केवल चार ही हासिल हुए हैं। किसी भी मौसम में उड़ान भरने की क्षमता और दुर्गम इलाकों में पहुंच ही इसको दूसरे हेलीकॉप्‍टरों से अलग करती है। 

सर्जिकल स्‍ट्राइक वाली स्‍पेशल फोर्स

29 सितंबर 2016 को जिस पैरा कमांडो के जवानों ने पाकिस्‍तान में घुसकर सर्जिकल स्‍ट्राइल की थी और कई आतंकी कैंपों को तबाह किया था, पहली बार गणतंत्र दिवस की परेड में दिखाई देने वाली है। पाकिस्‍तान न तो कभी इस तारीख को और न ही इन जवानों को भूल पाएगा। इन जवानों ने पाकिस्‍तान से उरी हमले का बदला लिया था। 

 

सीआरपीएफ बाइक स्‍टंट सवार महिलाओं का दस्‍ता 

सीआरपीएफ की महिला बटालियन इस बार पहली बार गणतंत्र दिवस समारोह के दौरन राजपथ पर खतरनाक स्‍टंट करती दिखाई देगी। इस तरह के खतरनाक करतब पहले राजपथ पर सीमा सुरक्षा बल के जवान किया करते थे, लेकिन अब यही यह महिलाएं करने वाली हैं। हैरतअंगेज तरह से एक ही बाइक पर छह महिला जवान जब अत्‍याधुनिक वैपन हाथों में लिए दिखाई देंगी तो यकीनन हर कोई दांतों तले अंगुली दबा लेगा। 

सीबीआरएन सूट पहने खास दस्‍ता 

इस बार गणतंत्र दिवस समारोह पर निकलने वाली परेड में पहली बार जवान एक खास सूट पहने नजर आएंगे। यह सूट खासतौर पर केमिकल, बायोलॉजिकल, रेडियोलॉजिकल और परमाणु हमले से उनकी रक्षा करता है। इसको सीबीआरएएन सूट कहा जाता है। दिसंबर 2010 में पहली बार भारतीय सेना में इस क्षमता से लैस आठ व्‍हीकल्‍स को खरीदा गया था। इन्‍हें डीआरडीओ के सहयोग से ऑर्डिनेंस फैक्‍टरी में बनाया जा रहा है। इस तरह के व्‍हीकल्‍स और सूट का इस्‍तेमाल भारत को मिलाकर कुल दस देश करते हैं। इसके अलावा यूरोपीय संघ के भी कुछ देश इसका इस्‍तेमाल करते हैं। 

स्‍वदेशी विमानवाहक पोत का मॉडल 

कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में निर्माणाधीन स्वदेशी विमानवाहक (Indigenous Aircraft Carrier-IAC-1) विक्रांत के मॉडल की पहली बार झलक इसी गणतंत्र दिवस पर राजपथ पर देखने को मिलेगी। इसके इसी वर्ष भारतीय नौसेना में शामिल होने की उम्‍मीद भी की जा रही है। वर्ष 2003 में सुरक्षा संबंधी मंत्रिमंडलीय समिति ने इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दी थी। करीब छह वर्ष बाद इसका निर्माण भी शुरू कर दिया गया था।  

स्‍वदेशी अटेकिंग हेलीकॉप्‍टर

हिंदुस्‍तान एयरोनॉटिक्‍स लिमिटेड द्वारा तैयार किया जा रहा लाइट कॉम्‍बेट हेलीकॉप्‍टर ध्रुव इस बार की परेड का हिस्‍सा बनने वाला है। हालांकि यह हेलीकॉप्‍टर अभी सेना में शामिल नहीं हुआ है और इसकी टेस्‍ट फ्लाइट मार्च 2010 में हो चुकी है। कारगिल युद्ध के दौरान इस तरह के हेलीकॉप्‍टर की जरूरत महसूस की गई थी जो ऊंचाई वाले इलाकों में मौजूद दुश्‍मन पर हमला कर सकें और सेना की अन्‍य तरह से मदद भी कर सकें। इसको देखते हुए ही ध्रुव की प्‍लानिंक की गई थी। 

महिला सैन्‍य अधिकारी के हाथों में पुरुषों की टुकड़ी

आर्मी के कार्प्‍स ऑफ सिग्‍नल्‍स की कैप्‍टन तान्‍या शेरगिल इस बार के गणतंत्र दिवस परेड का कमान संभालेंगी।यह पहला मौका है जब पुरुष बटालियन की कमान किसी महिला सैन्‍य अधिकारी के हाथों में होगी। आपको बता दें कि वह अपने परिवार की चौथी पीढ़ी की सैन्‍य अधिकारी हैं। इससे पहले वह सेना दिवस पर भी परेड एडज्‍यूटेंट का जिम्‍मा संभाल चुकी हैं।   

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