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दिल्ली दंगा : नेताओं पर एफआइआर को लेकर तीन महीने में करें फैसला, हाई कोर्ट को सुप्रीम कोर्ट का निर्देश

दिल्ली दंगा मामले में नेताओं की कथित हेट स्पीच को याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट को तीन महीने के भीतर एफआइआर दर्ज करने और जांच शुरू करने को लेकर फैसला करने का निर्देश दिया है।

By TaniskEdited By: Published: Fri, 17 Dec 2021 03:59 PM (IST)Updated: Fri, 17 Dec 2021 03:59 PM (IST)
दिल्ली दंगा : नेताओं पर एफआइआर को लेकर तीन महीने में करें फैसला, हाई कोर्ट को सुप्रीम कोर्ट का निर्देश
दिल्ली दंगा मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई।

नई दिल्ली, एएनआइ। दिल्ली दंगा मामले में नेताओं की कथित हेट स्पीच को याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट को तीन महीने के भीतर एफआइआर दर्ज करने और जांच शुरू करने को लेकर फैसला करने का निर्देश दिया है। साल 2020 की शुरुआत में हुए दिल्ली दंगों के समय कथित हेट स्पीच को लेकर भाजपा नेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने और जांच की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इस याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट को यह निर्देश दिया है।

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याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता कालिन गोंजाल्विस ने जस्टिस एल. नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष कहा कि याचिकाकर्ता उम्मीद खोते जा रहे हैं, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद भी हाई कोर्ट कार्यवाही में देरी कर रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले साल मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट से मामले में समयबद्ध तरीके से फैसला करने के लिए कहा था। याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि सार्वजनिक रूप से भाषणों के वीडियो साक्ष्य के आधार पर पहले ही प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए थी। दलील दी गई कि मामले का फैसला करने में देरी ठीक नहीं है।

वकील ने पीठ के समक्ष कहा कि उनकी याचिका पर सुनवाई अभी शुरू होनी बाकी है। पीठ ने जवाब दिया कि वह केवल हाई कोर्ट से इस मामले की सुनवाई करने के लिए कह सकती है और यही एकमात्र राहत है, जो वह दे सकती है। वकील ने शीर्ष अदालत के समक्ष याचिका पर बहस करने पर जोर दिया। पीठ ने जवाब दिया कि वह वकील की चिंता को समझती है और 'मामले को उच्च न्यायालय में वापस भेजे जाने के बाद कुछ भी नहीं कर सकती है। 

गोंजाल्विस ने सुप्रीम कोर्ट से मामले को दूसरी पीठ को भेजने को कहा। कोर्ट इसपर सहमत नहीं हुआ। पीठ ने कहा कि वह संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर याचिका पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं है। गोंजाल्विस की यह बात भी मावी की याचिका पर सुनवाई को लेकर कोई प्रगति नहीं हुई है। अदालत ने उच्च न्यायालय को जल्द फैसला करने का निर्देश दिया। 


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