Indigenous COVID-19 Vaccines: स्वदेशी टीके के दूसरे चरण के ट्रायल में पहली डोज देने का काम पूरा
ट्रायल से जुड़े डॉक्टर कहते हैं कि यदि सब कुछ सही रहा तो इस साल के अंत में या फिर अगले साल की शुरुआत में कोरोना का टीका उपलब्ध हो सकता है।
नई दिल्ली [रणविजय सिंह]। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) के सहयोग से भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड द्वारा विकसित कोरोना के स्वदेशी कोवैक्सिन टीके के दूसरे चरण के ट्रायल में देश भर के 12 चिकित्सा संस्थानों में करीब 750 लोगों को पहली डोज देने का काम पूरा हो गया है।
दूसरे चरण में एम्स में 50 लोगों को टीके की पहली डोज दी गई है। अभी तक किसी मरीज में कोई दुष्प्रभाव की बात सामने नहीं आई है। ट्रायल से जुड़े डॉक्टर कहते हैं कि यदि सब कुछ सही रहा तो इस साल के अंत में या फिर अगले साल की शुरुआत में कोरोना का टीका उपलब्ध हो सकता है।
किसी में नहीं देखा गया कोई दुष्प्रभाव
बता दें कि इस टीके का पहले व दूसरे चरण का ट्रायल एक साथ शुरू हुआ था। 12 चिकित्सा संस्थानों में 18 से 55 साल की उम्र के 1125 लोगों को टीका लगाया जाना था। पहले चरण में 375 लोगों को दो डोज टीके लगाए गए थे। उन सभी लोगों को पहला टीका लगाने के 14 दिन के अंतराल पर टीके की दूसरी डोज दी गई थी। तब एम्स में 16 लोगों को दो डोज टीका लगाया गया था। उनमें से किसी में अब तक दुष्प्रभाव नहीं देखा गया है।
सोमवार को मिली थी दूसरे चरण के ट्रायल के लिए मंजूरी
पहले चरण का ट्रायल पूरा होने के बाद सोमवार को दूसरे चरण के ट्रायल के लिए मंजूरी मिली थी। एम्स में इस टीके के ट्रायल के प्रमुख शोधकर्ता डॉ संजय राय ने बताया कि दूसरे चरण में पहला डोज लगाने का काम पूरा हो गया है। 14 दिन के अंतराल पर दूसरी डोज दी जाएगी। दूसरे चरण का ट्रायल सफल होने के बाद टीका आने का रास्ता काफी हद तक साफ हो जाएगा। इससे लाखों लोगों को काफी मदद मिलेगी। बता दें कि दिल्ली समेत पूरे देश में कोरोना के मामले लगातार तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसे में लोगों टीके से काफी उम्मीदें हैं।
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