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केंद्र ने दिल्ली से पहले प्राथमिकता समूह को टीका लगाने को कहा, कोवैक्सीन उत्पादन के बयान पर चेताया

हेल्थकेयर वर्कर्स के टीकाकरण में राष्ट्रीय औसत से पीछे है दिल्ली राज्य। वहीं डॉ. वीके पॉल ने कोवैक्सीन का उत्पादन भारत बायोटेक के अलावा दूसरी कंपनियों को दिये जाने का बेवजह श्रेय लेने को लेकर भी आगाह किया।

By Nitin AroraEdited By: Published: Sat, 15 May 2021 09:07 PM (IST)Updated: Sat, 15 May 2021 09:07 PM (IST)
केंद्र ने दिल्ली से पहले प्राथमिकता समूह को टीका लगाने को कहा, कोवैक्सीन उत्पादन के बयान पर चेताया
केंद्र ने दिल्ली से पहले प्राथमिकता समूह को टीका लगाने को कहा, कोवैक्सीन उत्पादन के बयान पर चेताया

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। दिल्ली में 18 से 44 साल की उम्र के लोगों के लिए वैक्सीन की कमी को लेकर हाय-तौबा मचा रही दिल्ली सरकार को केंद्र ने पहले सभी हेल्थकेयर वर्कर्स और फ्रंटलाइन वर्कर्स को वैक्सीन लगाने की सलाह दी है। नीति आयोग के सदस्य और वैक्सीनेशन पर गठित टास्क फोर्स के प्रमुख वीके पॉल के अनुसार फ्रंटलाइन और हेल्थकेयर वर्कर्स के टीकाकरण में दिल्ली राष्ट्रीय औसत से काफी पीछे हैं। इसके साथ ही उन्होंने कोवैक्सीन बनाने की इजाजत अन्य कंपनियों को देने का बेवजह श्रेय लेने के प्रति भी आगाह किया।

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डॉ. वीके पॉल के अनुसार सारे देश में 89 फीसद हेल्थ केयर वर्कर्स को वैक्सीन का एक डोज दिया जा चुका है। कई राज्यों में यह राष्ट्रीय औसत से भी ज्यादा है। जैसे राजस्थान में 95 फीसद, मध्यप्रदेश में 96 फीसद और छत्तीसगढ़ में 99 फीसद हेल्थकेयर वर्कर्स को पहला डोज लगाया जा चुका है। वहीं दिल्ली में सिर्फ 78 फीसद हेल्थ केयर वर्कर्स को पहला डोज दिया गया है। इसी तरह से 80 फीसद फ्रंटलाइन वर्कर्स को वैक्सीन लगाने के बावजूद दिल्ली राष्ट्रीय औसत 82 फीसद से पीछे है। उनके अनुसार राष्ट्रीय राजधानी होने के कारण दिल्ली में न तो कनेक्टिविटी की दिक्कत है और न ही संसाधनों की। इसके बावजूद प्राथमिकता वाले समूह को वैक्सीन लगाने में दिल्ली अन्य राज्यों से काफी पीछे है। डॉ. पॉल ने इस पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत बताई।

डॉ. वीके पॉल ने कोवैक्सीन का उत्पादन भारत बायोटेक के अलावा दूसरी कंपनियों को दिये जाने का बेवजह श्रेय लेने को लेकर भी आगाह किया। दिल्ली में आम आदमी पार्टी के कुछ नेताओं ने दावा किया था कि उनके दबाव के कारण केंद्र सरकार ने कोवैक्सीन का फार्मूला अन्य कंपनियों को देने के लिए मजबूर होना पड़ा। डॉ. पॉल ने कहा कि ऐसा सोचना बिल्कुल गलत है। वैक्सीन का निर्माण एक जटिल प्रक्रिया है और किसी कंपनी ने शून्य से शुरू कर इसे तैयार किया है। दूसरी बात यह है कि लाइव वायरस से तैयार होने के कारण इसे केवल बीएसएल-तीन सुरक्षा मानक वाली इकाई में ही बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जिन तीन पीएसयू को इसके लिए तैयार किया गया है, उसके बारे में भी कई महीनों के विचार-विमर्श के बाद फैसला लिया गया। उन्होंने कहा कि आगे भी किसी भी निजी कंपनी या पीएसयू को कोवैक्सीन के उत्पादन की जिम्मेदारी भी काफी सोच-समझकर सौंपी जाएगी।


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