facebook के जरिए महानायक ने कही 'मन की बात', बोले- 'बाबूजी' ने नहीं लिखी ये कविता
'कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती, ये कविता कई लोग समझ रहे हैं कि बाबूजी की लिखित है, नहीं, इस कविता के रचयिता हैं सोहन लाल द्विवेदी।'
नई दिल्ली [सुधीर कुमार पांडेय]। लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती...ये पंक्तियां सुनते ही साहस आता है, ऊर्जा आती है, असफलता को मात देने का और कुछ कर गुजरने का जज्बा जहन मेंं भर जाता है।
कविता को दिया था स्वर
महानायक अमिताभ बच्चन ने 'कौन बनेगा करोड़पति' में इस पूरी कविता को स्वर दिया था। अधिकांश लोग यह समझते हैं कि यह कविता मधुशाला जैसी कालजयी कृति लिखने वाले हरिवंश राय बच्चन की है। लेकिन, ऐसा नहीं है। यह कविता सोहन लाल द्विवेदी ने लिखी थी।
बाबूजी ने नहीं लिखी कविता
अमिताभ बच्चन ने गत दिनों (5 मई) फेसबुक पर लिखा, 'कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती, ये कविता कई लोग समझ रहे हैं कि बाबूजी की लिखित है, नहीं, इस कविता के रचयिता हैं सोहन लाल द्विवेदी।' अमिताभ बच्चन की आवाज में यह कविता यू ट्यूब पर अपलोड है, जिसे 15 लाख से ज्यादा लोग देख चुके हैं।
गूगल पर सर्च किए गए सोहन लाल द्विवेदी
फेसबुक पर यह पोस्ट करीब सात सौ लोग शेयर कर चुके हैं और करीब बाइस हजार लोग लाइक कर चुके हैं। ट्विटर पर भी यह पोस्ट 12 हजार लोग लाइक और करीब एक हजार बार रिट्वीट की जा चुकी है। इतना ही नहीं उस दिन सोहन लाल द्विवेदी को लेकर लोगों ने गूगल पर भी सक्रियता दिखाई। इंडियन पोएट की-वर्ड से सोहन लाल द्विवेदी को सर्च किया गया।
राजस्थान में दिखी सबसे अधिक उत्सुकता
राजस्थान, दिल्ली, मध्य प्रदेश, हरियाणा, बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और यहां तक कि तेलंगाना, महाराष्ट्र आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में भी इंटरनेट पर सर्च किया गया। सबसे ज्यादा उत्सुकता राजस्थान (100 फीसद), दिल्ली (29 फीसद) और मध्य प्रदेश (25), हरियाणा (25) बिहार (23) और उत्तर प्रदेश (20 फीसद) में दिखी।
महात्मा गांधी के दर्शन से थे प्रभावित
सोहन लाल द्विवेदी ने राष्ट्रीयता, चेतना और ऊर्जा से लबरेज कविताएं रचीं। वर्ष 1906 में उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के बिंदकी में उनका जन्म हुआ था। वह महात्मा गांधी के दर्शन से प्रभावित थे। उन्होंने बालोपयोगी रचनाएं भी लिखीं। 1969 में उन्हें पद्मश्री सम्मान दिया गया। उनकी प्रमुख रचनाएं भैरवी, पूजागीत सेवाग्राम, युगाधार, कुणाल, चेतना, बांसुरी, दूधबतासा हैं। भैरवी उनकी प्रथम रचना है। उन्होंने जो बालोपयोगी कविताएं लिखीं उनमें साहस कूट-कूटकर भरा था।
बढ़े चलो बढ़े चलो कविता की कुछ पंक्तियां देखें...
न हाथ एक अस्त्र हो,
न अन्न वीर वस्त्र हो,
हटो नहीं, डरो नहीं, बढ़े चलो, बढ़े चलो।
महात्मा गांधी पर लिखी युगावतार कविता भी उन्ही की है...
चल पड़े जिधर दो डग मग में
चल पड़े कोटि पग उसी ओर,
पड़ गई जिधर भी एक दृष्टि
गड़ गए कोटि दृग उसी ओर।
जहां तक मेरी स्मृति है, जिस कवि को राष्ट्रकवि के नाम से सर्वप्रथम अभिहित किया गया, वह सोहन लाल द्विवेदी थे। हरिवंश राय बच्चन
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पूरी कविता
लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती
नन्हीं चीटी जब दाना लेकर चलती है
चढ़ती दीवारों पर सौ बार फिसलती है
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है
आखिर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती
डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है
जा जाकर खाली हाथ लौटकर आता है
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में
बढ़ता दुगुना उत्साह इसी हैरानी में
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती
असफलता एक चुनौती है स्वीकार करो
क्या कमी रह गई देखो और सुधार करो
जब तक न सफल हो नींद चैन को त्यागो तुम
संघर्ष का मैदान छोड़ मत भागो तुम
कुछ किए बिना ही जय-जयकार नहीं होती
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती
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