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Coronavirus: कोरोना से उच्च मृत्यु दर वाले 13 जिलों को जांच की समस्या दूर करने की सलाह

स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि भारत में कुल उपचाराधीन मरीजों में से करीब नौ प्रतिशत इन्हीं जिलों से हैं और कोरोना से होने वाली मौतों में इन जिलों का प्रतिशत करीब 14 है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Sat, 08 Aug 2020 05:57 PM (IST)Updated: Sat, 08 Aug 2020 10:15 PM (IST)
Coronavirus: कोरोना से उच्च मृत्यु दर वाले 13 जिलों को जांच की समस्या दूर करने की सलाह
Coronavirus: कोरोना से उच्च मृत्यु दर वाले 13 जिलों को जांच की समस्या दूर करने की सलाह

नई दिल्ली, प्रेट्र। आठ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 13 जिलों में कोरोना से होने वाली मौतों की दर राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है और केंद्र की तरफ से इन जिलों को सलाह दी गई है कि वे कम जांच और जांच नतीजों में देरी जैसी समस्याओं को दूर करें और मरीजों को समय पर अस्पताल में भर्ती कराना सुनिश्चित करें।

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कुछ इलाकों में अस्पताल में भर्ती कराए जाने के 48 घंटे के अंदर ही मरीजों की मौत हो जाने की खबरों के मद्देनजर केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग ने जिलों से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि कोरोना मरीजों को समय पर अस्पताल में भर्ती करने के लिए रेफर किया जाए और वह भर्ती भी हों।

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण की अध्यक्षता में हुई एक उच्च स्तरीय वर्चुअल बैठक में आठ राज्यों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि और कोरोना मरीजों के लिए फौरन एंबुलेंस उपलब्ध कराई जाएं।

लखनऊ और दिल्ली भी हैं शामिल

शनिवार को हुई बैठक आठ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के जिन 13 जिलों पर केंद्रित रही वे असम में कामरूप मेट्रो, बिहार में पटना, झारखंड में रांची, केरल में अलपुझा और तिरुवनंतपुरम, ओडिशा में गंजम, उत्तर प्रदेश में लखनऊ, बंगाल में उत्तर 24 परगना, हुगली, हावड़ा, कोलकाता, व मालदा और दिल्ली।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा, भारत में कुल उपचाराधीन मरीजों में से करीब नौ प्रतिशत इन्हीं जिलों से हैं और कोरोना से होने वाली मौतों में इन जिलों का प्रतिशत करीब 14 है। प्रति दस लाख की आबादी पर यहां जांच भी कम है जबकि मरीजों के मिलने का प्रतिशत ज्यादा है।

मंत्रालय ने कहा, चार जिलों कामरूप मेट्रो, लखनऊ, केरल में तिरुवनंतपुरम और अलप्पुझा में रोजाना नए मामलों की संख्या में तेजी देखने को मिली है। इस डिजिटल बैठक में आठ राज्यों के प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य), प्रबंध निदेशक (राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन) के अलावा जिला निगरानी अधिकारी, जिलाधिकारी, नगर निगमों के आयुक्त, मुख्य चिकित्सा अधिकारी और मेडिकल कॉलेजों के चिकित्सा अधीक्षक शामिल हुए। इस दौरान मृत्युदर घटाने के लिए कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई।


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