सीबीएसई स्कूलों में नए शैक्षणिक सत्र से मिलेंगी एनसीईआरटी की सस्ती किताबें
निजी स्कूलों का अब तक आरोप था, कि एनसीईआरटी किताबों को वह पढ़ाना तो चाहते है, लेकिन किताबें ही उपलब्ध नहीं हो पाती है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। स्कूलों की महंगी किताबों से राहत दिलाने के लिए सरकार ने ज्यादा स्कूलों तक एनसीईआरटी (राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद) की सस्ती किताबों को पहुंचाने को तैयारी की है। अगले शैक्षणिक सत्र से पहले एनसीईआरटी की करीब दस करोड़ किताबों को छापने का लक्ष्य रखा गया है।
सरकार ने अपने इस अभियान के तहत पिछले साल करीब छह करोड़ एनसीईआरटी की किताबों का प्रकाशन किया था। जो पिछले साल के मुकाबले करीब तीन गुना अधिक थी। अभी भी निजी स्कूलों में निजी प्रकाशकों की महंगी किताबों को पढ़ाया जाना एक बड़ा मुद्दा है। जिसका बोझ अभिभावकों को उठाना पडता है। ऐसे में सरकार ने अपना लक्ष्य बढ़ाया है। इसका एक राजनीतिक पहलू भी है।
अगले साल जब नए शैक्षणिक सत्र की शुरूआत होगी, उस समय सरकार भी चुनाव के मैदान में रहेगी। ऐसे में यह कोई मुद्दा न बन सके, इसलिए सरकार इस अभियान को पूरी ताकत के साथ आगे भी जारी रखने का ऐलान किया है।
निजी स्कूलों का अब तक आरोप था, कि एनसीईआरटी किताबों को वह पढ़ाना तो चाहते है, लेकिन किताबें ही उपलब्ध नहीं हो पाती है। ऐसे में सरकार ने निजी स्कूलों के इन आरोपों के जवाब में एनसीईआरटी की किताबों की उपलब्धता बढ़ाने की कोशिशों में लगातार जुटी हुई है।
पिछले साल यानि वर्ष 2018-19 में सरकार ने इसे लेकर बड़ी कोशिश की। इसके तहत करीब छह करोड़ किताबों का प्रकाशन किया गया। इससे पहले 2017-18 में एनसीईआरटी की करीब दो करोड़ किताबें छापी गई थी। पिछले साल इस अभियान के तहत करीब छह हजार नए सीबीएसई स्कूलों ने एनसीईआरटी की किताबों को अपने यहां लागू किया था। मौजूदा समय में देश में 20 हजार से ज्यादा सीबीएसई स्कूल है।