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Chhattisgarh : नक्‍सलियों का आतंक, 18 बार नाकाम रहे ठेकेदार, अब पुलिस बना रही बमरोधी सड़क

सुकमा जिले की दोरनापाल-जगरगुंडा सड़क को खूनी सड़क कहा जाता है। 18 बार टेंडर जारी करने के बाद जब किसी भी ठेकेदार ने इसमें दिलचस्‍पी नहीं दिखाई तो सरकार ने...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sun, 28 Jun 2020 06:04 AM (IST)Updated: Sun, 28 Jun 2020 06:04 AM (IST)
Chhattisgarh : नक्‍सलियों का आतंक, 18 बार नाकाम रहे ठेकेदार, अब पुलिस बना रही बमरोधी सड़क
Chhattisgarh : नक्‍सलियों का आतंक, 18 बार नाकाम रहे ठेकेदार, अब पुलिस बना रही बमरोधी सड़क

अनिल मिश्रा, जगदलपुर। छत्तीसगढ़ में सुकमा जिले की दोरनापाल-जगरगुंडा सड़क को खूनी सड़क कहा जाता है। प्रदेश में सबसे भयावह नक्सल वारदात इसी सड़क पर हुई हैं। नक्सलियों की दहशत यहां इस कदर है कि लोक निर्माण विभाग दोगुने-चौगुने रेट पर इस 56 किलोमीटर की सड़क के लिए वर्षों तक निविदा जारी करता रहा लेकिन किसी भी ठेकेदार ने इसमें दिलचस्‍पी नहीं दिखाई। 18 बार टेंडर जारी करने के बाद लोक निर्माण विभाग ने केंद्र सरकार को रिपोर्ट दी कि यह काम नहीं हो सकता है। इसके बाद सरकार ने छत्तीसगढ़ पुलिस को काम सौंपा है। अब यहां बमरोधी बेहद मजबूत सड़क बनाई जा रही है।

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अब दोबारा काम हुआ शुरू

इस सड़क को अब तक बन जाना चाहिए था लेकिन बीच में दो साल अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया। कुछ महीने पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस मसले पर अधिकारियों जब बैठक ली तब दोबारा काम शुरू किया गया है। अनलाक-1 के लागू होते ही अब तेजी से काम शुरू हो गया है। दोरनापाल से बुरकापाल तक करीब 40 किलोमीटर सड़क का काम हो चुका है। दोरनापाल से पश्चिम की ओर घने जंगलों से होकर जगरगुंडा का रास्ता निकलता है। रास्ते के सभी पुलों, भवनों को नक्सलियों ने ध्वस्त कर दिया था। जगह-जगह सड़क काट दी थी। इस रास्ते से सिर्फ बाइक ही जा सकती थी।

2010 में हुई थी ताड़मेटला की वारदात

बता दें कि इसी रास्ते पर मुकरम के पास साल 2010 में ताड़मेटला की वारदात हुई थी। इसमें सीआरपीएफ के 76 जवान शहीद हुए थे। वर्ष 2008 में नक्सली हमले में जगरगुंडा के थानेदार समेत 12 जवानों को जान गंवानी पड़ी थी। वर्ष 2017 में इसी रास्ते के बुरकापाल गांव के पास सड़क निर्माण की सुरक्षा में लगे सीआरपीएफ जवानों पर नक्सलियों ने हमला किया था जिसमें 25 जवान शहीद हुए थे। इसके अलावा अनेक छिटपुट घटनाओं हुई हैं।

इस तरह पुलिस को दी गई जिम्मेदारी

लोक निर्माण विभाग के हाथ खड़े करने के बाद तत्कालीन डीजीपी नक्सल ऑपरेशन डीएम अवस्थी ने काम अपने हाथ में ले लिया। अवस्थी अब प्रदेश के डीजीपी हैं। वर्ष 2012 में पुलिस हाउसिंग कार्पोरेशन का गठन किया गया था। अवस्थी 2018 तक कार्पोरेशन के अध्यक्ष रहे हैं। कार्पोरेशन ने प्रदेश में 450 थाने और 10 हजार पुलिस आवास बनाए हैं। वर्ष 2015 में परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के सामने लोक निर्माण विभाग के सचिव अमिताभ जैन ने जगरगुंडा सड़क पर असमर्थता जताई थी। इसी दौरान मुद्दा उठा कि पुलिस जब थाने बना सकती है तो सड़क बनाने का काम भी उन्हें ही दे दिया जाए। वर्ष 2016 से सड़क का काम शुरू हुआ। अब यहां एक फुट मोटी और सात मीटर चौड़ी बमरोधी सीसी सड़क बन रही है। 


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