नक्सलियों में दिखा लोकतंत्र पर आस्था का विश्वास, किया मतदान
दंतेवाड़ा के नक्सलियों में लोकतंत्र पर आस्था का भाव दिख रहा है। इस साल स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगे को सलामी और मतदान से यह साबित होता है।
दंतेवाड़ा, जेएनएन। स्वतंत्रता दिवस की परेड, तिरंगे को सलामी और 23 सितंबर को विधानसभा उपचुनाव में मतदान कर आत्मसमर्पण कर चुके नक्सलियों ने देश के प्रति अपने भावों को साबित कर दिया। लोकतंत्र पर आस्था को लेकर नक्सलियों में भी सकारात्मक भाव दिखने लगा है।
लोकतंत्र को मजबूत बनाने में दिया सहयोग
आत्मसमर्पण कर चुके नक्सलियों ने 15 अगस्त को परेड में शामिल होकर तिरंगे को सलामी दी वहीं अब 23 सितंबर को छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में विधानसभा उपचुनाव के दौरान मतदान कर लोकतंत्र को मजबूत करने में सहयोग दिया।
सरेंडर के 48 घंटों बाद मतदान
सोमवार को जिले गुमियापाल मतदान केंद्र में अन्य ग्रामीणों के साथ दो ऐसे मतदाता पहुंचे। जिन्होंने करीब 48 घंटे पहले ही सरेंडर किया है। दोनों ने मताधिकार कर बताया कि इससे पहले मतदान का बहिष्कार करते रहे। तब हमें लोकतंत्र की ताकत की जानकारी नहीं दी गई थी और कहा जाता रहा कि हम गुलाम है।
समझ आ गया आजादी और लोकतंत्र में अंतर
उन्होंने आगे बताया, ‘अब समझ में आ गया कि आजादी और लोकतंत्र क्या है। आज परिवार के साथ पहुंचकर मतदान करने के अनुभव अलग था, इसे बताना मुश्किल है।’
छह ग्रामीणों का किया था अपहरण
किरंदुल थाना क्षेत्र के ग्राम गुमियापाल पिछले दिनों काफी चर्चा में रहा। यहां के छह ग्रामीणों को नक्सलियों ने पिछले दिनों अपहरण कर लिया था। करीब दो सप्ताह के बाद उन्हें रिहा किया गया। इसी गांव के करीब मुठभेड़ में नक्सली नेता मुइया मारा गया था।
पहली बार मताधिकार का उपयोग
नीलो नामक नक्सली ने आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में लौट आया है। नीलो ने सोमवार को पहली बार मताधिकार का उपयोग किया। इसी तरह कांछा भीमा नामक ग्रामीण, जो नक्सलियों के साथ था। यह भी चुनावी प्रक्रिया के दौरान नक्सलियों के साथ मौजूद था और मुठभेड़ में फंस गया था। इस मुठभेड़ पोदिया नामक और एक अन्य नक्सली मारा गया। कांछा किसी तरह बचकर वहां से भाग गया। जिसे समाजसेवियों ने पुलिस गिरफ्त में होने की बात कही। 20 सितंबर को वह खुद पुलिस के समक्ष आकर आत्मसमर्पण कर दिया।
कांछा भी सोमवार को वोट डालने मतदान केंद्र पहुंचा था। इनके अलावा कारली पुलिस लाइन मतदान केंद्र सहित अन्य केंद्रों में आत्मसमर्पित नक्सलियों ने अपने परिवार के साथ पहुंचकर मताधिकार का उपयोग किया है।
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