'सबमरीन किलर्स' खरीदने की तैयारी में भारतीय नौसेना, जानिए इसकी खासियत
सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण की प्रक्रिया पिछले 30 वर्षों से काफी सुस्त चल रही है। इसके कारण भारतीय नौसेना अपनी पनडुब्बियों के बेड़े का नवीनीकरण नहीं कर पाई है।
नई दिल्ली (आइएएनएस)। भारतीय नौसेना निगरानी और पनडुब्बी को नष्ट करने में सक्षम विमान 'बोइंग पी-8आइ' की और अधिक खरीद करने की योजना बना रही है। 'इंडिया स्ट्रेटेजिक' पत्रिका को दिए साक्षात्कार में एडमिरल सुनील लांबा ने कहा कि हवाई निगरानी की क्षमता नौसेना अभियानों के लिए महत्वपूर्ण है। यही वजह है कि नौसेना इन विमानों की और ज्यादा खरीद करेगी। हालांकि उन्होंने इसकी संख्या की जानकारी नहीं दी।
उनके पूर्ववर्ती ने लंबी दूरी की समुद्री टोह (एलआरएमआर) लेने वाले 30 विमानों की जरूरत बताई थी। इनमें से नौसेना आठ विमानों को खरीद चुकी है। चार और विमानों को खरीदने का ऑर्डर दे चुकी है। सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण की प्रक्रिया पिछले 30 वर्षों से काफी सुस्त चल रही है। इसके कारण भारतीय नौसेना अपनी पनडुब्बियों के बेड़े का नवीनीकरण नहीं कर पाई है। लेकिन पी-8आइ (आइ का मतलब इंडिया) विमानों के अधिग्रहण ने उसे विरोधियों की पनडुब्बियों का पता लगाने और उसे नष्ट करने की बहुत मजबूत आक्रामक क्षमता प्रदान की है।
समकालीन हथियार प्रौद्योगिकी के संदर्भ में पी-8आइ को अक्सर 'सबमरीन किलर्स' कहा जाता है। यह संभवत: सबसे उन्नत प्रणाली है। इन विमानों को भारतीय नौसेना ने 2013 में खरीदा था। उसी समय यह विमान अमेरिकी नौसेना में भी तैनात किया गया था।
हिंद महासागर में विरोधियों की पनडुब्बियों की बढ़ती संख्या पर एडमिरल सुनील लांबा ने कहा, 'एक पेशेवर सैन्य बल के रूप में हम लगातार समुद्री सुरक्षा की समीक्षा करते हैं। हमारी नौसेना समुद्री क्षेत्र में पैदा होने वाली किसी भी चुनौती से निपटने के लिए पूरी तरह सक्षम और तैयार है।'
बोइंग इंडिया के अध्यक्ष और अंतरराष्ट्रीय कारोबार के उपाध्यक्ष प्रत्यूष कुमार ने नौसेना के साथ हुए सौदे को लेकर कहा, 'ग्राहकों के साथ किए गए समय और लागत की प्रतिबद्धताओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए हमारी टीम काम कर रही है। इस सौदे से भारतीय नौसेना को पी-8आइ बेड़े की असाधारण क्षमता और तत्परता का आश्वासन मिलेगा।'