National Technical Day: जब 20 सेकेंड तक साबुन हथेलियों पर लगाएंगे तब निकलेगा नल से पानी, जानिए कैसे
मैकेनिकल विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. गजेंद्र दीक्षित ने अपने सहयोगी शरद शर्मा के साथ मिलकर बनाया है। इस मशीन की खासियत यह है कि साबुन लगाने के बाद आपको 20 सेकेंड तक हाथ को घिसना पड़ेगा क्योंकि लिक्विड साबुन लेने के 20 सेकेंड बाद ही नल से पानी निकलेगा।
अंजली राय, भोपाल। कोरोना गाइडलाइन कहती है कि व्यक्ति को 20 सेकेंड तक हथेलियों पर साबुन लगाना है। इसके बाद ही हाथ धोना है। इसके बाद ही हथेलियां वायरस मुक्त होंगी। इस पूरी प्रक्रिया में चार लीटर पानी खर्च होता है। ऐसे में अगर दस बार भी हाथ धोए गए तो करीब 40 लीटर पानी खर्च होगा। पानी की बचत और कोरोना गाइडलाइन के पालन को ध्यान में रखते हुए भोपाल के मौलाना आजाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (मैनिट) के मैकेनिकल इंजीनियरों ने एक ऑटोमेटिक हैंड वाशिंग मशीन बनाई है। इसमें हाथ से बिना छुए लिक्विड साबुन और पानी निकलेगा।
इसे मैनिट के मैकेनिकल विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. गजेंद्र दीक्षित ने अपने सहयोगी शरद शर्मा के साथ मिलकर बनाया है। इस मशीन की खासियत यह है कि साबुन लगाने के बाद आपको 20 सेकेंड तक हाथ को घिसना पड़ेगा क्योंकि लिक्विड साबुन लेने के 20 सेकेंड बाद ही नल से पानी निकलेगा। यह सेंसर बेस्ड ऑटोमेटिक मशीन है, जिसमें आपको न तो साबुन को निकालने की आवश्यकता पड़ेगी और न ही पानी के लिए नल को छूने की जरूरत पड़ेगी। इस मशीन के सामने हाथ को ले जाने पर साबुन का लिक्विड पांच सेकेंड के लिए आएगा। इसके 20 सेकेंड बाद पानी आएगा, जो 15 सेकेंड तक चलेगा। इसमें टाइमर सेट किया गया है।
सोलर से भी चलेगी
इस मशीन में 10 लीटर लिक्विड साबुन और 100 लीटर क्षमता वाले टैंक में पानी जमा रहेगा। यह मशीन सोलर से भी चलेगी। इस मशीन से पानी और साबुन दोनों की बचत होगी। इसे बनाने में 20 हजार रूपये खर्च आया है। इसे मैनिट के मैकेनिकल विभाग में लगाया गया है। जल्द ही अन्य विभागों में भी लगाया जाएगा।
ऐसे बचेगा पानी
डॉ. दीक्षित के अनुसार कोरोना गाइडलाइन के अनुसार 20 सेकेंड तक खास तरीके से हाथ धोने पर ही वायरस और बैक्टीरिया दूर होते हैं। इतनी देर तक पानी नल से निकलता रहता है। इसे बनाने से पहले किए गए सर्वे के अनुसार 20 से 40 सेकेंड तक हाथ धोने पर लगभग चार लीटर पानी खर्च होता है। अगर साबुन लगाकर घिसने के दौरान नल बंद रखा जाए तो भी करीब दो लीटर पानी खर्च होता है। प्रति व्यक्ति दिन में अगर दस बार हाथों को साबुन से धोएगा, तो वह अकेला करीब 40 लीटर पानी खर्च करेगा। अगर इस मशीन से 60 फीसद पानी बचता है तो एक व्यक्ति के हाथ धोने से 24 लीटर पानी बचा पाएंगे।
फुट वाश बेसिन भी लगाया गया
इसके अलावा मैनिट ने अपने परिसर के सभी वाश बेसिन को फुट वाश बेसिन में बदल दिया है। यह मशीन पैर के स्पर्श से चलेगी। इसे बदलने में 150 रूपये का खर्च आता है। इससे घर के वाश बेसिन को भी फुट वाश बेसिन में बदल सकते हैं।
भोपाल के मैनिट मैकेनिकल विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ गजेंद्र दीक्षित ने बताया कि ऑटोमेटिक हैंड वाशिंग मशीन से पानी की बचत के साथ-साथ कोरोना गाइडलाइन का पालन होगा और संक्रमण से भी बचाव होगा। इसे हर परिसर में लगाया जाना चाहिए।