Move to Jagran APP

राष्ट्रीय मौद्रीकरण योजना: आधारभूत संरचना की क्षमता बढ़ाने की पहल, मुनाफे का चारा न बन जाए आम आदमी

प्राइवेट क्षेत्र रेलवे स्टेशन पर माल बेचने का ठेका भारी भरकम राशि चुकाकर लेगा तो भला उनको पैसा कमाने से कौन रोकेगा। यानी कुल मिलाकर जनता को जिबह करने के लिए सरकार ही प्राइवेट कसाई के सामने उसे पेश कर रही है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 03 Sep 2021 12:09 PM (IST)Updated: Fri, 03 Sep 2021 12:10 PM (IST)
राष्ट्रीय मौद्रीकरण योजना: आधारभूत संरचना की क्षमता बढ़ाने की पहल, मुनाफे का चारा न बन जाए आम आदमी
देशी-विदेशी निवेशक मुनाफा कमाएंगे किससे? आम जनता से। प्रतीकात्मक

लोकमित्र। केंद्र की राष्ट्रीय मौद्रीकरण योजना के जरिये बुनियादी ढांचा योजनाओं पर खर्च के लिए पैसे जुटाने का जो रोड मैप बनाया गया है, सरकार के मुताबिक उससे सरकारी संपत्तियों में निजी क्षेत्र को निवेश और पैसा कमाने का मौका मिलेगा। इससे रोजगार के साधन पैदा होने के साथ विदेशी निवेशकों को भी मुनाफा कमाने का अवसर मिलेगा। लेकिन सवाल है कि ये देशी-विदेशी निवेशक मुनाफा कमाएंगे किससे? आम जनता से। यानी केंद्र सरकार अपनी कुछ संपत्तियों को अगले कुछ वर्षो के लिए ठेके पर इसलिए देना चाहती है, क्योंकि वह खुद इनसे मुनाफा नहीं कमा पा रही।

loksabha election banner

सोचने की बात यह है कि अगर सरकार किसी क्षेत्र से पैसा नहीं कमा पा रही है तो निजी क्षेत्र उससे पैसा कैसे कमा लेगा? जाहिर है इसमें कुछ न कुछ गलत या अनैतिक तरीका अवश्य अपनाया जाएगा यानी सरकार आने वाले दिनों में निजी क्षेत्र की इन गतिविधियों से आंख मूंदेगी। अगर सरकार निजी क्षेत्रों की इन मनमानियों पर लगाम लगाने की कोशिश करेगी तो पलटकर कहा जाएगा, फिर आप स्वयं ही इसे चलाइए। ऐसे में सरकार के पास निजी निवेशकों पर लगाम कसने का नैतिक बल नहीं होगा।

सरकार के तमाम मंत्री खासकर नितिन गडकरी टोल पर होने वाली उगाही के प्रति अपनी असहमति व्यक्त करते रहे हैं। लेकिन अब जब सरकार ने अपनी योजना में ही आगामी दो वर्षो में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण से 17,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है, तो भला आम जनता से हमदर्दी व्यक्त करने के लिए टोल टैक्स पर रोक लगाने की बात कैसे की जा सकती है? यही हाल पावर ग्रिड कारपोरेशन और बिजली वितरण प्राधिकरण का भी होगा, अगर इन्हें डेढ़ लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य दिया जाएगा तो आम लोगों को भला सस्ती बिजली कैसे मिलेगी?

सड़कों और रेलवे के जरिये जो रुपये जुटाए जाएंगे उसका तरीका क्या होगा, उसका सहज अनुमान लगाया जा सकता है। इसके लिए 400 रेलवे स्टेशनों को निजी हाथों में दिया जाएगा और सौ से अधिक यात्री ट्रेनें कुछ तय कंपनियां चलाएंगी। करीब 750 किमी का कोंकण रेलमार्ग भारतीय रेल की अथक परिश्रम और जबरदस्त प्रतिभा का परिचायक है, जहां सैकड़ों पहाड़ियों को काटकर और गुफाओं को चौड़ा करके रेल की पटरी बिछाई गई। अब यह अद्भुत रेल ट्रैक भी प्राइवेट क्षेत्र के पैसा कमाने का जरिया होगा। आज भी मुंबई के लोकल रेलवे स्टेशनों में आठ रुपये का वड़ा और तीन रुपये का पाव यानी 11 रुपये का वड़ा पाव मिल रहा है। वही वड़ा पाव हवाई अड्डे में 80-90 से लेकर 120-130 रुपये तक का मिलता है। क्या भविष्य में मुबंई के लोकल रेलवे स्टेशनों में पांच रुपये की कटिंग चाय मिल पाएगी?

एक बार रेलवे स्टेशन प्राइवेट क्षेत्र के हाथ में गए तो आम लोगों के लिए प्लेटफार्म तक पहुंचकर अपने परिजनों को रिसीव करना भी बहुत मुश्किल हो जाएगा, क्योंकि जिस प्लेटफार्म टिकट की कीमत आज 10 रुपये है उसकी कीमत 50 रुपये से भी अधिक होने की आशंका है। इसे पिछले साल प्रयोग के तौर पर दक्षिण रेलवे में कई दिनों तक 100 रुपये का भी बेचा गया। साल 2017 से रेलवे का चुपचाप निजीकरण जारी है और इस समय देश में करीब 70 रेलवे स्टेशनों में कई चीजें प्राइवेट हो गई हैं और करीब 20 रेलवे स्टेशन पूरी तरह से प्राइवेट हो गई हैं, जहां साफ सफाई और तमाम दूसरी सुविधाओं के एवज में मनमानी वसूली हो रही है। लेकिन इसमें प्राइवेट क्षेत्र का भी क्या कसूर?।

(ईआरसी)

[वरिष्ठ पत्रकार]


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.