मुठभेड़ों पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने यूपी को भेजा नोटिस
आयोग ने प्रदेश के मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर छह सप्ताह में मुठभेड़ों पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कानून व्यवस्था सुधारने के लिए अपराधियों को मुठभेड़ में मारे जाने को उपलब्धि के रूप में गिनाना उत्तर प्रदेश सरकार को मंहगा पड़ा है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इस बारे में मीडिया में आयी खबरों पर स्वयं संज्ञान लेते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है। आयोग ने प्रदेश के मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर छह सप्ताह में मुठभेड़ों पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
आयोग ने मामले पर चिंता जताते हुए कहा है कि गत 19 नवंबर के अखबारों में प्रदेश के मुख्यमंत्री का बयान छपा है जिसमें कहा गया है कि अपराधी या तो जेल में होंगे या फिर मुठभेड़ में मारे जाएंगे। आयोग ने कहा है कि उसे पता चला है कि प्रदेश पुलिस ने 2017 में अब तक कुल 22 मुठभेड़ की हैं।
आयोग का कहना है कि राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति गंभीर होने पर भी ऐसा तरीका नहीं अपनाया जा सकता जिसमे अपराधियों की गैर कानूनी हत्या होती हो। मुख्यमंत्री का कथित बयान पुलिस और प्रशासन को अपराधियों से निबटने की खुली छूट देता प्रतीत होता है। इससे लोकसेवक अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर सकते हैं। एक सभ्य समाज में इस तरह का भय का माहौल पैदा होना ठीक नहीं है। ये जीवन और कानून के समक्ष बराबरी के सिद्धांत का उल्लंघन है।
आयोग ने गत पांच अक्टूबर की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा है कि इस सरकार के आने के बाद मार्च 2017 से पिछले छह महीने में 433 मुठभेड़ें हुईं। इन मुठभेड़ो में कुल 19 अपराधी मारे गए और 89 घायल हुए। इसके अलावा 98 अधिकारी भी घायल हुए और एक की मृत्यु हुई। 16 सितंबर की एक अन्य खबर के मुताबिक नयी सरकार आने के बाद से 15 लोग मुठभेड़ में मारे गए। प्रदेश सरकार मुठभेड़ को कानून व्यवस्था सुधारने के नाम पर उपलब्धि की तरह बता रही है।
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