नेशनल हेराल्ड मामलाः सोनिया-राहुल ने हाई कोर्ट में नकारे आरोप
नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र की अरबों रुपये की संपत्ति को हड़पने के मामले में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी व उपाध्यक्ष राहुल गांधी समेत अन्य आरोपियों ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को हाई कोर्ट में नकार दिया।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली । नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र की अरबों रुपये की संपत्ति को हड़पने के मामले में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी व उपाध्यक्ष राहुल गांधी समेत अन्य आरोपियों ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को हाई कोर्ट में नकार दिया। न्यायमूर्ति सुनील गौड़ के समक्ष सोनिया गांधी की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि यह सरासर झूठा आरोप है कि सोनिया ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआइसीसी) से जुड़े नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र की अरबों रुपये की संपत्ति को हड़पने का षड्यंत्र किया है।
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सिब्बल ने कहा कि मामले में किसी भी शेयरधारक ने अभी तक कहीं शिकायत नहीं की है। ऐसे में याचिकाकर्ता बताए कि मामले में किससे धोखाधड़ी हुई और किसके साथ अमानत में खयानत हुई है। ऐसे में उनके खिलाफ समन जारी करने संबंधी निचली अदालत के फैसले को रद किया जाए। अदालत में राहुल गांधी की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र कांग्रेस पार्टी से जुड़ा है। ऐसे में पार्टी की भावनाएं उससे जुड़ी हैं। यही वजह है कि आर्थिक तंगी में पार्टी ने समाचार पत्र को आर्थिक मदद दी थी। उन्होंने कहा कि फंड कांग्रेस पार्टी का है और उसे किस प्रकार प्रयोग करना है, यह उसके अधिकार क्षेत्र में अाता है। अधिवक्ताअों ने कहा कि यह मामला पूरी तरह से कंपनी एक्ट का है और इसमें किसी प्रकार की अनियमितताएं नहीं बरती गई। पूरे मामले में तय नियमों का पालन किया गया है और समाचार पत्र की संपत्ति किसी को स्थानांतरित नहीं की गई। केवल शेयर स्थानांतरित किए गए हैं, जो कोई अपराध नहीं हैं।
अधिकार क्षेत्र बनता है : स्वामी
अदालत के पूछने पर याचिकाकर्ता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कहा कि किसी भी प्रकार के अपराध की जानकारी मिलने पर कोई भी व्यक्ति शिकायत करने का अधिकार रखता है, जबकि यह मामला तो जनहित से जुड़ा हुआ है। जनहित में ही शिकायत दायर की गई है। इससे पहले भी वह 2जी स्पेक्ट्रम मामले में शिकायत कर चूके हैं। उल्लेखनीय है कि विगत 26 जून को इस मामले में निचली अदालत ने सोनिया गांधी व राहुल गांधी के अलावा एआइसीसी के कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा, जनरल सेक्रेटरी ऑस्कर फर्नाडीस, सुमन दुबे व एक अन्य को समन जारी किए थे। निचली अदालत के इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। पेश मामले में आरोप लगाया गया है कि सोनिया गांधी व अन्य ने मिलकर षड्यंत्र रचा और यंग इंडिया के नाम से एक कंपनी बनाई, जिसने नेशनल हेराल्ड की पब्लिशर एसोसिएटिड जर्नल्स लिमिटेड को अपने कब्जे में ले लिया। इसके बाद एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड को पचास लाख रुपये देकर यंग इंडिया लिमिटेड ने 90.25 करोड़ रुपये वसूलने का अधिकार ले लिया।
राजनीतिक पार्टी से सबको मतलब रहता है: कोर्ट
न्यायमूर्ति सुनील गौड़ ने सुनवाई के दौरान कहा कि मामले में केवल व्यावसायिक लेन-देन ही नहीं किया गया है, इसमें उससे भी आगे बढ़कर कुछ और भी हुआ है। एक राजनीतिक पार्टी क्या कदम उठाती है, उससे सब लोगों को मतलब रहता है। तभी तो यह मामला जांच के घेरे में है।
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