Farmers Protest : संशय खत्म, आज फिर होगी किसानों से बात; कृषि मंत्री बोले, खुले मन से बैठक में शामिल होगी सरकार
Farmers Protest हजारों किसान जो मुख्य रूप से पंजाब हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हैं कई हफ्तों से दिल्ली की सीमा पर प्रदर्शन कर रहे हैं। ये सभी प्रदर्शनकारी किसान सरकार द्वारा बनाए गए नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कृषि सुधार के लिए संसद से पारित नए कानूनों पर आंदोलनकारी किसानों के साथ शुक्रवार को सरकार पूर्व निर्धारित बैठक करेगी। यह बैठक ऐसे समय पर हो रही है, जब सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों के बीच बने गतिरोध को तोड़ने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन कर दिया है। इसलिए पूर्व निर्धारित नौवें दौर की वार्ता को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई थी। हालांकि, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने गुरुवार को बताया कि बैठक होगी, जिसमें सकारात्मक नतीजे की पूरी उम्मीद है।
किसानों की आशंकाओं को दूर करेगी सरकार
तोमर ने पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में कहा कि सरकार खुले मन से बैठक में शामिल होगी और किसानों की आशंकाओं को दूर करेगी। आठ जनवरी को हुई आठवें दौर की वार्ता में भी कोई हल नहीं निकल सका था। आंदोलनकारी किसान संगठन अपनी पुरानी जिद पर ही अड़े रहे। इसीलिए 11 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने अपनी सुनवाई में कुछ अहम फैसले सुनाए थे। इसके तहत चार सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन कर दिया गया है, जो किसान संगठनों के साथ सरकार से भी बातचीत कर अपनी रिपोर्ट अदालत को सौंपेगी। इसके बाद नौवें दौर की बैठक को लेकर असमंजस बढ़ गया था। लेकिन स्थिति को स्पष्ट करते हुए तोमर ने कहा कि शुक्रवार को दोपहर 12 बजे बैठक होगी।
कल नहीं निकला समाधान तो यह होगी आखिरी वार्ता: राकेश टिकैत
वहीं, भारतीय किसान यूनियन (BKU) के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि प्रदर्शनकारी किसान संघ सरकार के साथ निर्धारित नौवें दौर की वार्ता में शामिल होंगे और उन्होंने कहा कि गतिरोध को सुलझाने के लिए बातचीत जारी रखना और आंदोलन समाप्त करना आवश्यक है। यह पूछे जाने पर कि क्या किसान संगठनों को शुक्रवार की बैठक से कोई उम्मीद है, तो टिकैत ने कहा कि देखते हैं कि कल क्या होता है। लेकिन, हमारी बैठकें सरकार के साथ तब तक जारी रहेंगी जब तक हमारा विरोध खत्म नहीं हो जाता। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हम सरकार के साथ बैठकों का विरोध नहीं करेंगे। अंत में उन्होंने कहा कि अगर कल कोई समाधान नहीं निकला तो सरकार के साथ नौवें दौर की वार्ता अंतिम हो सकती है।
आंदोलनकारी नेता विशेषज्ञों की समिति के समक्ष पेश होने को राजी नहीं
उधर, आंदोलनकारी किसान संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति के सदस्यों पर आक्षेप लगाते हुए उसके समक्ष जाने से मना कर दिया है। किसान संगठनों का कहना है समिति में नामित सदस्यों का रुख तीनों नए कानूनों के पक्ष में है। इस बीच, कोर्ट द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति में नामित भारतीय किसान यूनियन (मान) के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान ने समिति से अपना नाम वापस लेने का फैसला किया है। मान ने कहा है कि उन्होंने पंजाब और किसानों के हित में यह फैसला लिया है, जिसके लिए कोई भी पद छोड़ा जा सकता है।
शीर्ष अदालत ने मंगलवार को तीनों कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगा दी। कोर्ट ने समिति में मान के साथ शेतकारी संगठन (महाराष्ट्र) के अध्यक्ष अनिल घनवट, इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट के प्रमोद कुमार जोशी और कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी को नामित किया था। पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के हजारों आंदोलनकारी किसानों ने दिल्ली की सीमा पर कई सप्ताह से डेरा डाल रखा है। वे कृषि सुधार के तीनों कानूनों को रद करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी की मांग पर अड़े हुए हैं। वे सरकार के किसी प्रस्ताव पर चर्चा करने तक को राजी नहीं हैं।
19 को होगी समिति की पहली बैठक
नई दिल्ली, प्रेट्र : कृषि कानूनों की समीक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति की पहली बैठक 19 जनवरी को होने की उम्मीद है। समिति के सदस्य अनिल घनवट ने बताया कि यह बैठक पूसा परिसर में होगी। उन्होंने कहा कि समिति को यदि बातचीत करने के लिए आंदोलनकारी किसानों के पास जाना पड़ा तो वह इसके लिए भी तैयार है। घनवट ने बताया कि आगे की रणनीति पर चर्चा करने के लिए शुक्रवार को समिति के सदस्यों के बीच वर्चुअल बैठक हो सकती है।