जल संसाधन मंत्रालय की वजह से 'नमामि गंगे' की रफ्तार भी सुस्त
गंगा को निर्मल बनाने में केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय की सुस्ती रोड़ा बनी हुई है। धन आवंटन न होने की वजह से इसका काम सुस्त पड़ा हुआ है।
नई दिल्ली (जागरण ब्यूरो)। केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय की सुस्ती के चलते गंगा को निर्मल बनाने का सरकार का महत्वाकांक्षी नमामि गंगे कार्यक्रम गति नहीं पकड़ पा रहा है। हाल यह है कि कई जिलों में धन के अभाव और परियोजनाओं को मंजूरी मिलने में देरी की वजह से गंगा को निर्मल बनाने का काम सुस्त पड़ा है।
इस अहम तथ्य का खुलासा शनिवार को यहां गंगा व उसकी सहायक नदियों पर बसे दस शहरों के जिला प्रशासन और शहरी स्थानीय निकायों के अधिकारियों के साथ जल संसाधन मंत्रालय की वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान हुआ। मंत्रालय के अधिकारियों ने विज्ञान भवन से यह वीडियो कांफ्रेंसिंग की। हालांकि इस मौके पर जल संसाधन मंत्री उमा भारती मौजूद नहीं थी। वह उज्जैन के दौरे पर होने की वजह से वहां से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से इस बैठक में जुड़ी।
वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान हरिद्वार के अधिकारियों ने बताया कि धन के अभाव के कारण वहां निर्मल गंगा की योजनाओं के क्रियान्वयन में दिक्कत हो रही है। वहीं मथुरा जिले के जिलाधिकारी निखिल शुक्ला ने कहा कि मथुरा और वृंदावन में 220 करोड़ रुपये की लागत से सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाने का प्रस्ताव है। इनका डीपीआर बनाकर राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन की मंजूरी के लिए भेजा जा चुका है। वहीं इलाहाबाद के अधिकारी ने भी बताया कि वहां गंगा को निर्मल बनाने के कई कार्यो के डीपीआर चार-पांच महीने से एनएमसीजी में लंबित हैं। उन्होंने निर्मल गंगा के कार्यो में रक्षा और रेल मंत्रालयों से मंजूरी त्वरित सुनिश्चित करने को एनएमसीजी में एक विशेष सेल बनाने का भी सुझाव दिया।
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इन जिलों की इस शिकायत के बारे में जब जल संसाधन मंत्रालय के अधिकारियों से सवाल पूछा गया तो एनएमसीजी के मिशन निदेशक डा. रजत भार्गव ने कहा कि ये कार्य पुराने बीओटी मॉडल पर आधारित हैं जबकि सरकार ने अब नए हाइब्रिड एन्युटी मॉडल को मंजूरी दी है। इसलिए इसमें विलंब का कोई सवाल नहीं है।