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नगालैंड की घटना पर डीजीपी और आयुक्‍त की संयुक्‍त रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा, जानें- क्‍या हुआ था उस दिन

नगालैंड पुलिस ने खुद ही सेना के 21वें पैरा स्पेशल फोर्स के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की। यह मामला आईपीसी की धारा 302/307/34 के तहत हत्या हत्या के प्रयास और सभी के सामान्य इरादे को आगे बढ़ाने के लिए कई व्यक्तियों द्वारा किए गए आपराधिक कृत्य से संबंधित था।

By Nitin AroraEdited By: Published: Tue, 07 Dec 2021 01:03 PM (IST)Updated: Tue, 07 Dec 2021 01:27 PM (IST)
नगालैंड की घटना पर डीजीपी और आयुक्‍त की संयुक्‍त रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा, जानें- क्‍या हुआ था उस दिन
सेना ने गोलीबारी से पहले नहीं की नागरिकों की पहचान करने की भी कोशिश, शवों को छिपाने का हुआ प्रयास

कोहिमा, पीटीआइ। राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) टी जान लोंगकुमर और आयुक्त रोविलातुओ मोर की संयुक्त रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सेना ने शनिवार को नगालैंड के मोन जिले में एक पिकअप ट्रक पर काम से लौट रहे नागरिकों को गोली मारने से पहले उनकी पहचान का पता लगाने का कोई प्रयास नहीं किया।

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चश्मदीदों का हवाला देते हुए, दो शीर्ष अधिकारियों ने कहा है कि ग्रामीणों ने पाया कि सेना के विशेष बल छह लोगों के शवों को उनके आधार शिविर में ले जाने के इरादे से एक पिकअप वैन में लपेटकर और लोड करके छिपाने की कोशिश कर रहे थे। रविवार को राज्य सरकार को सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया है, '4 दिसंबर की शाम लगभग चार बजकर दस मिनट पर, जब आठ ग्रामीण तिरु में कोयला खनन कार्य से एक पिकअप ट्रक से घर लौट रहे थे, सुरक्षा बलों (असम में स्थित 21 वीं पैरा स्पेशल फोर्स) द्वारा घात लगाकर हमला किया गया और उनकी हत्या कर दी गई। जाहिरा तौर पर पहचान के किसी भी प्रयास के बिना'

कोयला खदानों में काम करने वाले निहत्थे नागरिक

अधिकारियों ने कहा कि पीड़ित सभी कोयला खदानों में काम करने वाले निहत्थे नागरिक थे। इनमें से छह की मौके पर ही मौत हो गई और दो गंभीर रूप से घायल हो गए। अधिकारियों ने रिपोर्ट में कहा है कि गोली की आवाज सुनकर ग्रामीण मौके पर पहुंचे। मौके पर पहुंचने पर, उन्होंने पिक-अप ट्रक और विशेष बल के कर्मियों को छह ग्रामीणों के शवों को एक अन्य पिकअप ट्रक (टाटा मोबाइल) में लपेटकर और लोड करके छिपाने की कोशिश करते हुए देखा, जाहिर तौर पर शवों को उनके आधार शिविर में ले जाने के इरादे से ऐसा सब हो रहा था।

शवों को ढका गया

तिरपाल से ढके शव मिलने पर ग्रामीणों और सुरक्षा बलों के बीच हिंसा हो गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि गुस्साए लोगों ने सुरक्षा बलों के तीन वाहनों में आग लगा दी। हाथापाई में, सुरक्षा कर्मियों ने फिर से ग्रामीणों के खिलाफ गोलियां चलाईं, जिससे सात और ग्रामीणों की मौत हो गई और प्रत्यक्षदर्शियों ने पुष्टि की कि विशेष बलों के कर्मियों ने अंधाधुंध गोलियां चलाईं, क्योंकि वे घटनास्थल से असम की ओर जा रहे थे, रास्ते में उन्होंने कोयला खदानों की झोपड़ियों में भी फायरिंग की।

केंद्र ने मानी गलती

वहीं, केंद्र ने खुद इसे गलत पहचान का मामला बताया है। गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में नगालैंड फायरिंग पर दुख जताते हुए कहा कि संदिग्धों की आशंका में यह घटना हुई। रिपोर्ट में कहा गया है कि शनिवार को कुल 13 नागरिक मारे गए, जबकि 14 गंभीर रूप से घायल हो गए और आठ को मामूली चोटें आईं। आगे कहा गया है कि गंभीर रूप से घायल दो व्यक्तियों को सुरक्षा बल स्वयं असम ले गए और डिब्रूगढ़ मेडिकल कालेज अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया है।

मोन टाउन में रविवार की घटना के बारे में, डीजीपी और आयुक्त की रिपोर्ट में कहा गया है कि कोन्याक यूनियन ने हेलीपैड पर 13 मृतक नागरिकों के लिए सामूहिक अंतिम संस्कार सेवा की घोषणा की थी, हालांकि, कार्यक्रम को सोमवार सुबह 10:00 बजे के लिए स्थगित कर दिया गया था, लेकिन स्थगित करने के बारे में कोई स्पष्ट घोषणा नहीं की गई थी।

भ्रम की स्थिति में भीड़ उत्तेजित हो गई और जनता का एक वर्ग जिला अस्पताल और कोन्याक संघ कार्यालय की ओर मार्च करने लगा। सभी मृतक कोन्याक जनजाति के थे। थमनन वार्ड में स्थित 27 असम राइफल्स पोस्ट की ओर बढ़ने से पहले, गुस्साई भीड़ ने कोन्याक यूनियन कार्यालय में तोड़फोड़ की।

हिंसक भीड़ ने पोस्ट के भीतर पथराव किया, संपत्ति में तोड़फोड़ की और तीन इमारतों में आग लगा दी। रिपोर्ट में कहा गया है कि असम राइफल्स के जवानों ने हवा में गोलियां चलाईं जिससे भीड़ और भड़क गई।

नागरिक प्रशासन और पुलिस अधिकारियों ने भीड़ को समझाने और शांत करने की कोशिश की, लेकिन उनकी संख्या कम थी। अधिकारियों ने रिपोर्ट में कहा कि लगभग 600-700 लोग लाठी, पाइप, तरल पदार्थ से लैस थे और उनमें से कुछ स्थानीय लोगों के पास तेज धार वाले हथियार, छुरे आदि थे।

जवान को लगी गोली

हाथापाई के लगभग एक घंटे के बाद, असम राइफल्स द्वारा दोबारा गोलीबारी की गई। इसमें ची गांव के एक प्रदर्शनकारी की मौके पर ही मौत हो गई और छह अन्य को गोली लगी, जिसमें एक भारतीय रिजर्व बटालियन का जवान भी शामिल था, जिन्हें जिला अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया था।

रिपोर्ट में कहा गया है कि मोन टाउन में स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सीआरपीसी की धारा 144 लागू की गई है, लेकिन स्थिति अभी भी तनावपूर्ण बनी हुई है।

रिपोर्ट दर्ज

नगालैंड पुलिस ने सोमवार को खुद ही सेना के 21वें पैरा स्पेशल फोर्स के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की। यह मामला आईपीसी की धारा 302/307/34 के तहत हत्या, हत्या के प्रयास और सभी के सामान्य इरादे को आगे बढ़ाने के लिए कई व्यक्तियों द्वारा किए गए आपराधिक कृत्य से संबंधित था। प्राथमिकी में अधिकारियों से दोषियों के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई करने का आग्रह किया गया।


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