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MV Act: भारी पेनाल्टी से लोगों में आक्रोश, गरमाई देश की सियासत; केंद्र से लचीले रुख का संकेत

यातायात नियमों के उल्लंघन के लिए भारी पेनाल्टी की व्यवस्था ने केंद्र सरकार अैार राज्य सरकारों को नए सिरे से सोचने के लिए मजबूर कर दिया है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Wed, 11 Sep 2019 08:52 PM (IST)Updated: Thu, 12 Sep 2019 06:58 AM (IST)
MV Act: भारी पेनाल्टी से लोगों में आक्रोश, गरमाई देश की सियासत; केंद्र से लचीले रुख का संकेत
MV Act: भारी पेनाल्टी से लोगों में आक्रोश, गरमाई देश की सियासत; केंद्र से लचीले रुख का संकेत

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। यातायात नियमों के उल्लंघन के लिए भारी पेनाल्टी की व्यवस्था ने राज्य सरकारों के लिए राजनीतिक संकट खड़ा कर दिया है तो केंद्र के लिए असहज स्थिति पैदा कर दी है। यही कारण है कि केवल कांग्रेस सरकारें ही नहीं बल्कि भाजपा की राज्य सरकारों ने भी जल्द से जल्द इसमें बदलाव की कवायद शुरू कर दी है। वहीं अब केंद्र से भी लचीले रुख का संकेत दिया जाने लगा है और यह बताया जाने लगा है कि राज्य अपने स्तर पर कुछ बदलाव कर सकते हैं।

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मध्य प्रदेश और पंजाब ने जहां सीधे तौर पर इसे लागू करने से मना कर दिया है और कहा कि वह अध्ययन कर रहे हैं। वहीं उत्तराखंड ने कैबिनेट की बैठक बुलाकर कुछ पेनाल्टी को बदलने का निर्णय ले लिया। जबकि झारखंड नेतृत्व ने दूसरे राज्यों में चल रही कवायद पर नजर रखने का आदेश दिया है। जाहिर है कि कुछ माह में आने वाले चुनाव को देखते हुए अंदर कसमसाहट है और जल्द ही बदलाव होंगे।

हिमाचल प्रदेश में अभी तक यह लागू नहीं है, और माना जा रहा है कि वहां भी कैबिनेट के जरिए बदलाव लाने के बाद ही इसे लागू किया जाएगा। हरियाणा में यह शुरूआती कुछ दिनों तक तो यह लागू रहा, लेकिन बाद में अनौपचारिक रूप से पुलिस को निर्देश दे दिया गया है कि बड़े चालान न काटें। जबकि महाराष्ट्र में इसे स्थगित कर दिया गया है। यानी नए नियम रोक दिए गए।

केंद्र की भाजपा सरकार के लिए यह असहज है क्योंकि बड़ी मशक्कत के साथ इसे संसद से पारित करवाया गया था। विपक्ष की ओर से इसे स्थायी समिति में भेजने का दबाव था। बताया तो यह भी जा रहा है कि पूर्व की बैठकों में कम से कम भाजपा की सभी राज्य सरकारों ने समर्थन किया था, लेकिन अब जनता के रोष को देखते हुए हाथ पांव फूलने लगे हैं।

राज्यों की मजबूरी अब केंद्र को भी समझ आ रही है। यही कारण है कि अब केंद्र से बताया जा रहा है कि राज्य चाहें तो वह कुछ बदलाव ला सकते हैं। उत्तराखंड सरकार ने बदलाव किया है। वहीं, महाराष्ट्र ने औपचारिक रूप से और हरियाणा ने अनौपचारिक रूप से इसे रोक ही दिया है।

इसे खारिज नहीं किया जा सकता है कि अगले साल होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव के मद्देनजर प्रदेश भाजपा भी ऐसा आग्रह लेकर केंद्र के सामने पहुंचे। माना जा रहा है कि केंद्र भी देर सबेर कुछ बदलाव की सोच सकता है।


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