Move to Jagran APP

Mushroom Education: अब देश की इस यूनिवर्सिटी में होगी मशरूम की पढ़ाई, जानें क्या हैं इसके फायदे

Mushroom Education कम लागत में ज्यादा आय अर्जित कर बेरोजगार युवक-युवतियां आज आर्थिक स्वावलंबन की दिशा में आगे बढ़ चुके हैं।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Thu, 10 Sep 2020 04:26 PM (IST)Updated: Thu, 10 Sep 2020 04:29 PM (IST)
Mushroom Education: अब देश की इस यूनिवर्सिटी में होगी मशरूम की पढ़ाई, जानें क्या हैं इसके फायदे
Mushroom Education: अब देश की इस यूनिवर्सिटी में होगी मशरूम की पढ़ाई, जानें क्या हैं इसके फायदे

अनंगपाल दीक्षित, अंबिकापुर। उत्तरी छत्तीसगढ़ खासकर सरगुजा जिले में मशरूम उत्पादन को लेकर युवाओं के रूझान ने राज्य सरकार के उच्च शिक्षा विभाग को मशरूम उत्पादन के डिप्लोमा कोर्स संचालन की अनुमति देने मजबूर कर दिया। मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ में संत गहिरागुरू विश्वविद्यालय एकमात्र ऐसा विश्वविद्यालय है, जहां मशरूम उत्पादन का डिप्लोमा पाठ्यक्रम का संचालन इसी सत्र से शुरू होने वाला है।सरगुजा संभाग में बेरोजगार युवक- युवतियों ने मशरूम उत्पादन को आजीविका संवर्धन का माध्यम बना लिया है। संभाग में उत्पादित मशरूम की मांग कई शहरों में है। कम लागत में ज्यादा आय अर्जित कर बेरोजगार युवक-युवतियां आज आर्थिक स्वावलंबन की दिशा में आगे बढ़ चुके हैं। स्थानीय राजीव गांधी स्नातकोत्तर महाविद्यालय में इसी सत्र से मशरूम कल्टीवेशन डिप्लोमा कोर्स शुरू हो जाएगा। यहां मशरूम उत्पादन के लिए आइकॉन बने लोग ही डिप्लोमा कोर्स करने वालों को तकनीकी जानकारी देंगे। यह कोर्स छह माह का होगा।

loksabha election banner

सरगुजा में इस डिप्लोमा कोर्स के शुरू होने के पीछे यहां के मशरुम कृषकों की ही मेहनत का नतीजा है। प्रदेश में सरगुजा विश्वविद्यालय ऐसा पहला विश्वविद्यालय होने जा रहा है जो मशरुम उत्पादन में डिप्लोमा कोर्स का संचालन करने जा रहा है। सरगुजा के युवा मशरूम कृषकों, राष्ट्रीय आजीविका मिशन से जुड़ी हुई महिला स्वम सहायता समूहों के सदस्यों ने मशरुम उत्पादन से ऐसी पहचान बनाई की उच्च शिक्षा विभाग ने मशरुम उत्पादन को स्व रोजगार का उपयुक्त माध्यम माना। अब छत्तीसगढ़ में इसकी संभावना को देखते हुए इसे डिप्लोमा पाठ्यक्रम के रूप में मान्यता दी है। वर्ष 2002 से उद्यानिकी विभाग द्वारा संचालित राज्य की एकमात्र बायोटेक लैब अपने स्थापना वर्ष से ही मशरुम उत्पादन एवं मशरुम प्रसंस्करण को बढ़ावा देने का काम कर रही है। प्रयोगशाला द्वारा मशरुम उत्पादन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से समय समय पर मशरुम उत्पादन तकनीक पर प्रशिक्षण का आयोजन एवं मशरुम उत्पादन हेतु मशरुम बीज स्पान का निर्माण होता है। सरगुजा संभाग का जलवायु मशरुम उत्पादन के लिए वर्ष अच्छा रहता है, साथ ही मशरुम उत्पादन के लिए आवश्यक कृषि अवशिष्ट पैरा (पुआल) और भूसा यहां पर्याप्त मात्रा में वर्ष भर उपलब्ध रहता है। यही कारण है कि संभाग में मशरुम की खेती वर्ष भर की जा सकती है।

साल भर हो सकती है मशरूम की खेती

बायोटेक लैब के प्रभारी डॉ प्रशांत शर्मा के मुताबिक मशरुम की खेती के लिए आवश्यक तापमान 26 से 30 सेंटीग्रेड और आद्रता 80 से 90 फीसद होती है।सरगुजा संभाग जंगलों से घिरे होने के कारण यह वातावरण कमोबेश साल भर बनी रहती है, यही कारण है कि सरगुजा में साल भर मशरूम की खेती होती है।उन्होंने बताया कि मशरुम की खेती मिट्टी खपरैल से निर्मित घरों में अच्छा होता है क्योंकि ऐसे घरों में मशरुम खेती के लिए आवश्यक तापमान और आद्रता का नियंत्रण गर्मी के दिनों में भी किया जा सकता है।उन्होंने बताया कि कम समय,कम लागत,कम मेहनत ,कम जगह में मशरूम उत्पादन किया जा सकता है। अब यह इसका डिप्लोमा कोर्स होने जा रहा है यह बड़ी बात है। हमारी मेहनत रंग लाई है।अब बड़ी संख्या में युवा डिप्लोमा कोर्स कर घर बैठे लाभ कमाएंगे। सरगुजा कलेक्टर संजीव कुमार झा मशरूम उत्पादन को लेकर काफी उत्साहित हैं। कलेक्टर ने जिले के बेरोजगार युवाओं और महिलाओं को मशरूम उत्पादन से जोड़ने कहा है।

ये हैं सरगुजा संभाग के सफल मशरुम कृषक

गजाला परवीन धौरपुर, सरगुजा, सुमति देवी अंबिकापुर, निशा लकड़ा , विद्या शाण्डिल्य अंबिकापुर, प्रकाश यादव चरचा बैकुंठपुर, रीना सिंग, तिलसिवा सूरजपुर, मदन मिश्रा सूरजपुर, रामजी सिंह, आरागाही बलरामपुर, धरम सिंह राजपुर, संतोष नाग प्रतापपुर, बबिता अगरिहा लुंड्रा, देवरजो यादव करौली लुंड्रा, शांता भगत लुडेग जशपुर, नंदकेस्वर दास,अंबिकापुर, जगदंबिका गुप्ता, सीतापुर, विनोद सिन्हा, अंबिकापुर।

सरगुजा संभाग में मशरुम की खेती कब से कब तक

-15 जून से 15 अप्रैल तक- आयस्टर मशरुम (प्लुरोटस साजोर काजू, प्लूरोटस फ्लोरिडा, प्लूरोटस सेपीडस, प्लूरोटस आयट्रेटस) की खेती की जा सकती है।

-15 अप्रैल से 15 अगस्त तक- वालवेरेलिया वालवेसिया (पैरा मशरुम) की खेती।

-15 नवंबर से 15 फरवरी तक- अगेरिकस बाईस्पोररस (बटन मशरुम)

-15 मई से 15 अगस्त तक- दूधिया मशरुम (मिल्की मशरुम)

सेहत का खजाना है मशरुम

-प्रतिरोधक क्षमता का विकास- फोलिक अम्ल, क्यूनान तत्व, पायरिमिडिन, टरपेराइन तत्व प्रचूर मात्रा में उपलब्ध।

-कुपोषण निवारक- प्रोटीन, एमिनो अम्ल और विटामिन-डी की प्रचूर मात्रा

-मधुमेह निवारक- इंसुलिन निर्माण, फाइबर की अधिकता।

-हृदय रोग से बचाव- पोटेशियम की अधिकता, वसा एवं कार्बोहाइड्रेट की कम मात्रा।

-हड्डियों की मजबूती- विटामिन-डी, विटामिन-बी-12, थायमिन और नियासीन की प्रचुर मात्रा।

-याददाश्त बढ़ाता है- बीटा ग्लूकॉन और कालीन तत्व की प्रचुर मात्रा।

-पेट रोग निवारक- सेलेनियम, कॉपर, आयरन और फॉस्फोरस की प्रचुर मात्रा।

-कैंसर से बचाव- सेलेनियम, फोलेट, बीटाग्लूटिन, लीनालिक अम्ल की प्रचुर मात्रा।

-खून की कमी- आयरन फाइबर की अधिकता, फोलिक अम्ल और विटामिन की प्रचूर मात्रा होने के कारण खून की कमी दूर करता है।

सरगुजा संभाग में 28 प्रकार के मशरूम खाने योग्य

युवा वैज्ञानिक डॉ प्रशांत शर्मा ने सरगुजा संभाग के जंगलों में पाए जाने वाले 28 प्रकार के मशरुम की पहचान कर डेटा बेस बना कर उसमें पाए जाने वाले औषधीय गुणों का अध्ययन किया है, ताकि यहां पाए जाने वाले जंगली मशरुम में उपलब्ध औषधि गुणों की पहचान कर उसका उपयोग रोगों के निवारण में किया जा सके। मशरुम की खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मशरुम की खेती का वीडियो बनाकर यू ट्यूब चैनल पर डाला गया है, जिसे लॉकडाउन के समय मे 15 हजार से अधिक लोगों ने देखा है।

कुलपति ने कहा- रोजगार का अवसर देगा कोर्स

संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय सरगुजा के प्रभारी कुलपति व सरगुजा संभाग के कमिश्नर डॉ संजय अलंग ने कहा कि निश्चित रूप से कृषि से जुड़े इस पाठ्यक्रम के शुरू हो जाने से युवाओं को लाभ मिलेगा।ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले युवा वैसे भी खेती किसानी से जुड़े हैं। अब युवा इस डिप्लोमा कोर्स को करेंगे और इससे बेहतर लाभ भी प्राप्त करेंगे। डिप्लोमा कोर्स शुरू होने से पहले भी सरगुजा इलाके में मशरूम की बेहतर खेती लोग कर रहे हैं तो निश्चित रूप से इसका लाभ भी आने वाले दिनों में और बेहतर तरीके से मिलेगा। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.