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कागजों में बांट दिए फलदार पौधे, दो साल में करोड़ों का घोटाला; विभागीय जांच में मामला उजागर

छत्तीसगढ़ में उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों ने सरगुजा से लेकर बस्तर तक कागजों में ही फलदार पौधे बांट दिए।

By Tilak RajEdited By: Published: Sat, 04 Jul 2020 11:58 PM (IST)Updated: Sat, 04 Jul 2020 11:58 PM (IST)
कागजों में बांट दिए फलदार पौधे, दो साल में करोड़ों का घोटाला; विभागीय जांच में मामला उजागर
कागजों में बांट दिए फलदार पौधे, दो साल में करोड़ों का घोटाला; विभागीय जांच में मामला उजागर

रायपुर, मृगेंद्र पांडेय। छत्तीसगढ़ में उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों ने सरगुजा से लेकर बस्तर तक कागजों में ही फलदार पौधे बांट दिए। राष्ट्रीय उद्यानिकी मिशन के फंड से दो साल के अंदर पांच करोड़ रुपये से अधिक की अनियमितता सामने आने के साथ कार्रवाई की औपचारिकताएं शुरू हो गई हैं। उद्यानिकी विभाग को सभी जिलों में फलदार पौधे बांटने थे, लेकिन अधिकांश जिलों में पौधे बांटे ही नहीं गए। मामले की शिकायत पर जांच हुई तो पता चला कि सिर्फ दो साल में ही अधिकारियों ने पांच करोड़ रुपये से ज्यादा का घोटाला किया है। इसमें कृषि विकास एवं किसान कल्याण तथा जैव प्राद्योगिकी विभाग ने तत्कालीन उद्यानिकी संचालक प्रभाकर सिंह की गंभीर संलिप्तता पकड़ी है।

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विभाग ने 25 जून को उनकी पांच वेतन वृद्धि रोक दी है। साथ ही अन्य अधिकारियों के खिलाफ भी जांच शुरू कर दी गई है। किसानों की आय दोगुना करने के उद्देश्य से प्रदेश के सभी जिलों में सब्जी उत्पादक किसानों और फसल चक्र परिवर्तन के लिए राशि जारी हुई थी। जांच में सामने आया कि अधिकारियों ने अपनी जेब भर ली। योजना में किसानों को कृषि उपकरण एवं सामग्री देने का प्रावधान है। इसके तहत स्प्रेयर, सिंचाई पंप, ग्रीन हाउस, जैविक खाद, बीज, किटनाशक एवं फलदार पौधों बांटे जाते हैं।

सिर्फ 11 जिलों की ही दी जानकारी

कृषि विकास एवं किसान कल्याण विभाग के अवर सचिव हेमिन बांधे ने बताया कि प्रभाकर सिंह के कार्यकाल में उन लोगों को अनुदान बांट दिया गया, जिनका कोई बाग नहीं था। जब उनसे जवाब मांगा गया, तो सही जानकारी नहीं दी। सत्यापन में सिर्फ 11 जिलों की जानकारी दी गई। गंभीर वित्तीय अनियमितता के बाद भी संचालक ने कोई सुधार नहीं किया। इस मामले में विभागीय स्तर पर आगे की कार्यवाही चल रही है।


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