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आगरा-ताज के रास्ते में निकली मुगलकालीन कब्र

निर्लोष कुमार, इतिहास की दास्तान समेटे ताजमहल के आसपास न जाने कितने राज दबे पड़े हैं। रास्ते में इतिहास की कड़ी मिली है। ताजगंज प्रोजेक्ट के तहत पूर्वी गेट के रास्ते पर हो रही खुदाई में एक मुगलकालीन कब्र निकली है, लेकिन काम में बाधा न आए इसलिए कार्यदायी संस्था राजकीय निर्माण निगम ने मामले को दबा दिया। खुदाई के निकले कब्र के तावीज [कब्र के ऊपर लगा पत्थर] सड़क किनारे पुलिस बूथ के पास रख दिया।

By Edited By: Published: Fri, 26 Sep 2014 10:54 AM (IST)Updated: Fri, 26 Sep 2014 10:59 AM (IST)
आगरा-ताज के रास्ते में निकली मुगलकालीन कब्र

आगरा, [निर्लोष कुमार]। इतिहास की दास्तान समेटे ताजमहल के आसपास न जाने कितने राज दबे पड़े हैं। रास्ते में इतिहास की कड़ी मिली है। ताजगंज प्रोजेक्ट के तहत पूर्वी गेट के रास्ते पर हो रही खुदाई में एक मुगलकालीन कब्र निकली है, लेकिन काम में बाधा न आए इसलिए कार्यदायी संस्था राजकीय निर्माण निगम ने मामले को दबा दिया। खुदाई के निकले कब्र के तावीज [कब्र के ऊपर लगा पत्थर] सड़क किनारे पुलिस बूथ के पास रख दिया।

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ताज से सटे ताजगंज क्षेत्र को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए 176 करोड़ रुपये के ताजगंज प्रोजेक्ट पर काम शुरू हुआ है। पहले चरण में ताज के पूर्वी गेट पर हाईटेंशन लाइन, विद्युत केबिलों, टेलीफोन केबिलों को अंडरग्राउंड करने के लिए डक्ट बनाई जा रही है। डक्ट के लिए सड़क किनारे आठ फुट गहरी खुदाई का सिलसिला चल रहा है। सूत्रों के मुताबिक इसी दौरान जालमा कुष्ठ आश्रम के वैकल्पिक मार्ग के सामने मुगलकालीन कब्र का तावीज मिला है। यह मुगलकालीन स्मारकों में स्थित कब्रों के तावीज के समान ही है, लेकिन डक्ट निर्माण का काम कर रहे राजकीय निर्माण निगम ने प्रोजेक्ट के नोडल विभाग उप्र पर्यटन के अधिकारियों तक को इसकी जानकारी नहीं दी। खुदाई वाली जगह सीमेंट से पक्की करा दी और तावीज नजदीक स्थित पुलिस केबिन के पास रखा है।

शिल्पग्राम होकर ताजमहल आने वाले सैलानी और स्थानीय लोगों में यह तावीज, जिज्ञासा का केंद्र बना हुआ है, लेकिन किसी भी विभाग ने इसकी जांच करने या उसे सुरक्षित रखने को कोई प्रयास नहीं किया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण [एएसआइ] के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर तावीज के मुगलकालीन होने की पुष्टि की है।

ऐसा है कब्र का तावीज

पत्थर का तावीज अच्छी तरह तराशा हुआ है। इसके ऊपरी हिस्से पर वर्गाकार और गोलाकार डिजाइन बने हैं। तावीज का एक किनारा टूट गया है। डक्ट से जेसीबी मशीन द्वारा निकाले जाने के कारण उस पर निशान भी बन गए हैं।

इतिहासकार राजकिशोर राजे के अनुसार मुगलकाल में ही कब्र के ऊपर यह तावीज लगाए जाते थे। मुगलकाल से पहले और बाद में तावीज नहीं लगे। औरंगजेब को छोड़ हर मुगल बादशाह की कब्र पर तावीज लगा हुआ है।

न रिसीव हुए फोन

ताजगंज प्रोजेक्ट के तहत चल रही खुदाई में कब्र निकलने की जानकारी को लेकर क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी दिनेश कुमार और राजकीय निर्माण निगम के प्रोजेक्ट मैनेजर जीपी शर्मा को फोन किया लेकिन रिसीव न हुआ।

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'कब्र का तावीज जहां मिला है, वहां पूर्व में कब्रिस्तान था। कई गुंबद वहां बने हुए थे। मगर, वहां एक निर्माण के दौरान सब ढहा दिए गए। जालमा में ताज से पुरानी एक मस्जिद भी है। उसका द्वार बहुत सुंदर है। एएसआइ ने मुख्य स्मारकों को छोड़कर अन्य के संरक्षण की ओर ध्यान नहीं दिया। जिससे वह ध्वस्त हो गए।' -शमसुद्दीन, पूर्व अध्यक्ष, अप्रूव्ड गाइड एसोसिएशन

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