आरक्षण के दायरे में आ सकता है 'माननीयों' का केंद्रीय विद्यालय का कोटा, शिक्षा मंत्रालय सक्रिय, जल्द हो सकता है फैसला
केंद्रीय विद्यालयों में प्रवेश के लिए सांसदों को मिलने वाला कोटा भी अब आरक्षण के दायरे में आ सकता है। माना जा रहा है कि सरकार जल्द ही इसे लेकर कोई अहम फैसला ले सकती है। पढ़ें यह रिपोर्ट...
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। केंद्रीय विद्यालयों में प्रवेश के लिए सांसदों को मिलने वाला कोटा भी अब आरक्षण के दायरे में आ सकता है। अभी तक इसमें किसी तरह का कोई आरक्षण लागू नहीं है। सांसद अपने क्षेत्र या फिर राज्य के किसी भी बच्चे का इस कोटे के जरिये केंद्रीय विद्यालयों में सीधे प्रवेश दिलाने में सक्षम हैं। हालांकि कुछ सांसदों की ओर से कोटे की पूरी व्यवस्था को और ज्यादा पारदर्शी बनाने की बात हो रही थी। कोटे से जुड़े कानूनी पहलुओं की जानकारी जुटाई जा रही है। माना जा रहा है कि सरकार जल्द ही इसे लेकर कोई अहम फैसला ले सकती है।
आरक्षण पर अहम फैसले कर चुकी है सरकार
सरकार इससे पहले केंद्रीय विद्यालयों और नवोदय विद्यालयों के प्रवेश में ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) आरक्षण को लागू करने का फैसला ले चुकी है जो पिछले सत्र से ही लागू किया गया है। इससे पहले इनमें सिर्फ एससी और एसटी को ही आरक्षण मिलता था। आरक्षण पर सरकार कई और भी अहम फैसले कर चुकी है। इनमें हाल ही में मेडिकल कालेजों में दाखिले के लिए निर्धारित आल इंडिया कोटे में ओबीसी आरक्षण को लागू करने का निर्णय भी शामिल है। ओबीसी को भी अब आल इंडिया कोटे में 27 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा।
आरक्षण के दायरे में प्रक्रिया
मंत्रालय से जुड़े सूत्रों की मानें तो केंद्रीय विद्यालयों में प्रवेश के तय कोटे को और पारदर्शी बनाने की पहल वैसे तो शिक्षा मंत्री की ओर से खुद अपने कोटे को स्थगित करने के साथ ही शुरू हुई थी जिसमें केंद्रीय विद्यालयों में दाखिले के तय कोटे की व्यवस्था को भी समीक्षा के दायरे में रखा गया था। हालांकि सांसदों से जुड़ा मामला होने से मंत्रालय अब तक इस पर पूरी तरह से चुप्पी साधे हुए था। जो जानकारी सामने आ रही है, उससे साफ संकेत मिल रहे है कि सांसदों के कोटे में तो कोई कटौती नहीं होगी, लेकिन पूरी प्रक्रिया को आरक्षण के दायरे में जरूर लाया जा सकता है।
सांसद कोटे से हर साल भरी जाती है करीब आठ हजार सीटें
सभी सांसदों के पास मौजूदा समय में केंद्रीय विद्यालयों में प्रवेश के लिए दस बच्चों का कोटा होता है। यानी वह किसी भी दस बच्चे को इनमें प्रवेश दिला सकते है, जबकि संसद के दोनों सदनों में मौजूदा समय में सदस्यों की संख्या करीब 788 है। ऐसे में इस कोटे से हर साल करीब आठ हजार बच्चों को प्रवेश दिया जाता है। इन आठ हजार सीटों के प्रवेश में अभी किसी तरह तक का कोई आरक्षण नहीं है।