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कोरोना काल में इम्युनिटी बूस्टर बनी आयुर्वेदिक औषधि अश्वगंधा से किसान हो रहे मालामाल

शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली आयुर्वेदिक औषधि अश्वगंधा कोरोना महामारी के दौरान मप्र के विदिशा जिले के किसानों को मालामाल कर रही है। विदिशा जिले के 40 गांवों में बड़े पैमाने पर अश्वगंधा की खेती हो रही है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Mon, 10 May 2021 06:29 PM (IST)Updated: Mon, 10 May 2021 06:29 PM (IST)
कोरोना काल में इम्युनिटी बूस्टर बनी आयुर्वेदिक औषधि अश्वगंधा से किसान हो रहे मालामाल
शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली आयुर्वेदिक औषधि अश्वगंधा

अजय जैन, भोपाल। शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली आयुर्वेदिक औषधि अश्वगंधा कोरोना महामारी के दौरान मप्र के विदिशा जिले के किसानों को मालामाल कर रही है। विदिशा जिले के 40 गांवों में बड़े पैमाने पर अश्वगंधा की खेती हो रही है। महामारी में अश्वगंधा की मांग बढ़ने से किसान लागत से 16 गुना मुनाफा कमा रहे हैं। खास बात यह है कि इस बार कंपनियां फसल खरीदने के लिए किसानों से संपर्क कर रही हैं। इस वजह से किसानों की परिवहन की लागत कम हुई है और पिछले साल से मुकाबले दोगुना कीमत मिल रही है। विदिशा जिले के कुछ गांवों में पिछले सात साल से किसान अश्वगंधा की खेती कर रहे हैं। 

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मप्र के विदिशा जिले में इस साल 40 हजार रुपये प्रति क्विंटल मिल रहे दाम

पाली गांव में लंबे समय से अश्वगंधा की खेती कर रहे किसान लखन पाठक बताते हैं कि कोरोना की दूसरी लहर में अश्वगंधा की भारी मांग है। इस बार भाव भी पिछले साल की तुलना में दोगुना मिल रहे हैं। वे बताते हैं कि पिछले साल 20 हजार रुपये क्विटंल में अश्वगंधा बेची थी। इस बार 40 हजार रुपये क्विंटल भाव चल रहे हैं।

कंपनियां खुद आकर खरीद रहीं इसलिए परिवहन की लागत भी हुई कम

अभी मंडी बंद है तो आयुर्वेदिक कंपनियां सीधे किसानों से संपर्क कर रही हैं। इससे फसल के परिवहन पर खर्च होने वाली रकम भी बच रही है। फिलहाल खेत से फसल निकल रही है। जड़ों को सुखाने के बाद इन्हें बेचा जाएगा। ग्राम मोही के किसान बलवीर सिंह बताते हैं कि उनके लिए अश्वगंधा की खेती फायदे का धंधा बन गई है। इसमें परंपरागत फसलों से काफी अधिक मुनाफा है।

लागत कम और मुनाफा ज्यादा

काकरखेड़ी के किसान श्यामलाल शर्मा बताते हैं कि अश्वगंधा की खेती में एक बीघा में अधिकतम छह हजार रुपये की लागत लगती है, जबकि पैदावार दो से ढाई क्विंटल होती है। यानी एक बीघा में एक लाख रुपये की औषधि प्राप्त हो रही है और 16 से 17 गुना मुनाफा हो रहा है। वे बताते हैं कि अश्वगंधा की फसल पांच से छह माह की होती है। इसका बीज 100 रुपये प्रति किलो मिलता है। एक बीघा में अधिकतम 10 किलो बीज लगता है। शर्मा के मुताबिक अश्वगंधा की जड़ों से आयुर्वेदिक दवा बनती है। वहीं पत्तों से भूसा बनता है। यह भूसा भी दो से तीन हजार रुपये क्विंटल बिकता है।

अश्वगंधा के फायदे

- रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।

- बलव‌र्द्घक और स्फूर्तिदायक होता है।

- तनाव मुक्त करता है।

- स्मरणशक्ति भी बढ़ाता है।

डॉक्टर की राय

बिना सलाह उपयोग न करें

वरिष्ठ आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. अनिल अग्रवाल ने बताया कि अश्वगंधा औषधि के कई फायदे हैं, लेकिन यह ऐसी दवा है जिसे बिना आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह के नहीं लेना चाहिए। डॉक्टर औषधि की मात्रा और इसे लेने के सही तरीके की जानकारी देते हैं।

विदिशा में जिला उद्यानिकी अधिकारी केएल व्यास ने कहा कि कम लागत में अधिक मुनाफा होने के कारण विदिशा जिले में अश्वगंधा की खेती की ओर किसानों का रुझान बढ़ रहा है। जिले में अभी करीब 40 गांवों में 400 एकड़ में अश्वगंधा की खेती हो रही है। 


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