MP Honeytrap Case: तीन लिफाफों में एसआइटी ने हाईकोर्ट को सौंपी नाम और स्टेटस रिपोर्ट
हनीट्रैप मामले की जांच कर रही स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआइटी) ने तीन बंद लिफाफों में जांच में सामने आए नाम और स्टेटस रिपोर्ट गुरुवार को मप्र हाईकोर्ट को सौंप दी।
इंदौर, राज्य ब्यूरो। मध्य प्रदेश के बहुचर्चित हनीट्रैप मामले की जांच कर रही स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआइटी) ने तीन बंद लिफाफों में जांच में सामने आए नाम और स्टेटस रिपोर्ट गुरुवार को मप्र हाईकोर्ट को सौंप दी। कोर्ट ने अन्य दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए एसआइटी को वक्त देते हुए 13 अगस्त को अगली सुनवाई तय की।
सीबीआइ जांच की मांग को लेकर दायर याचिका पर हुई सुनवाई
हनीट्रैप मामले को लेकर मप्र हाईकोर्ट में यह याचिका श्रीश मिश्रा ने एडवोकेट निधि बोहरा के माध्यम से दायर की है। 27 जुलाई को याचिकाकर्ता ने आवेदन देकर मांग की थी कि मामले की जांच सीबीआइ से करवाई जाए क्योंकि आशंका है कि एसआइटी जांच में कई तथ्यों को छिपा रही है। पूछताछ में जो नाम सामने आए हैं और आरोपितों ने जो नाम बताए हैं, उन नामों का उल्लेख भी नहीं किया गया है। ट्रायल कोर्ट में प्रस्तुत चालान में भी कई खामियां हैं। ऐसा लगता है कि कुछ आरोपितों को बचाने का प्रयास हो रहा है। इस पर मप्र हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने आदेश दिया था कि एसआइटी प्रमुख बताएं कि अब तक हुई जांच में किस-किस के नाम सामने आए हैं। पहले दिन से अब तक हुई जांच का ब्योरा दें और स्टेटस रिपोर्ट पेश करें।
स्टेटस रिपोर्ट भी पेश, एसआइटी के प्रमुख वीसी से हुए उपस्थित
गुरुवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान एसआइटी प्रमुख स्वयं उपस्थित थे। शासन की तरुफ से पैरवी महाधिवक्ता पुरषेंद्र कौरव और अतिरिक्त महाधिवक्ता पुष्यमित्र भार्गव ने की। एसआइटी ने तीन बंद लिफाफों में स्टेटस रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष पेश कर दी। इन लिफाफों में ही जांच के दौरान सामने आए नाम भी हैं। इसके साथ ट्रायल कोर्ट में प्रस्तुत चालान, प्रोग्रेस रिपोर्ट आदि हैं। याचिका में एसआइटी की बजाए सीबीआइ से कराने की मांग भी की थी, लेकिन मप्र शासन ने सीबीआइ से जांच को लेकर गुरुवार को कोई जवाब नहीं दिया।
अब बंद कमरे में होगी सुनवाई
गुरुवार को शासन का पक्ष रखते हुए महाधिवक्ता कौरव ने हाईकोर्ट को बताया कि अब तक हुई जांच में पता चला है कि आरोपितों ने कई लोगों से बातचीत भी की थी, लेकिन हर बातचीत का संबंध अपराध से हो यह जरूरी नहीं। ऐसी स्थिति में जांच में सामने आए नामों को सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिए। महाधिवक्ता ने मांग की कि अगली सुनवाई बंद कमरे में की जाए। मामले की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने उनकी बात स्वीकारते हुए आदेश दिया कि अगली सुनवाई बंद कमरे में (इन कैमरा प्रोसिडिंग) होगी।
यह सौंपा बंद लिफाफे में
-एसआइटी ने हनीट्रैप सिंडिकेट में शामिल सभी महिलाओं से जब्त मोबाइल, गैजेट्स, ऑडियो-वीडियो की जानकारी कोर्ट को दी।
-हैदराबाद एफएसएल लैब में जांच के लिए जितने भी गैजेट्स भेजे गए हैं उसकी भी जानकारी दी गई है।
-आरोपितों से पूछताछ, गैजेट्स में बातचीत, रिकॉर्डिग, वीडियो के आधार पर जिन लोगों की पहचान हुई है, उनके नाम भी सौंपे गए हैं।
यह है हनीट्रैप मामला
इंदौर नगर निगम के तत्कालीन सिटी इंजीनियर हरभजन सिंह ने पलासिया थाना में रिपोर्ट दर्ज करवाई थी कि कुछ महिलाएं अश्लील वीडियो के नाम पर उन्हें ब्लैकमेल कर तीन करोड़ रुपये मांग रही हैं। शिकायत पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने पांच महिलाओं सहित छह लोगों को गिरफ्तार किया था। वहीं हरभजन सिंह को भी निलंबित किया जा चुका है।