Move to Jagran APP

एमपी हाई कोर्ट ने रेमडेसिविर की कालाबाजारी रोकने को लेकर महानगरों में विशेष टीम बनाने का दिया निर्देश

प्रदेश में कोरोना महामारी के इलाज में अव्यवस्था की शिकायतों पर स्वत संज्ञान लेकर हाई कोर्ट सुनवाई कर रही है। इस मामले के साथ इस विषय में प्रदेश भर से दायर अन्य याचिकाओं और हस्तक्षेप अर्जियों की भी सुनवाई की जा रही है।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Fri, 07 May 2021 10:22 PM (IST)Updated: Fri, 07 May 2021 10:22 PM (IST)
एमपी हाई कोर्ट ने रेमडेसिविर की कालाबाजारी रोकने को लेकर महानगरों में विशेष टीम बनाने का दिया निर्देश
कोर्ट ने 17 मई तक जवाब मांगा है।

जबलपुर, जेएनएन। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि सभी याचिकाकर्ताओं, हस्तक्षेपकर्ताओं के अधिवक्तागण ने एक स्वर में रेमडेसिविर इंजेक्शन व जीवनरक्षक दवाओं की जमकर कालाबाजारी की शिकायत की है। कोर्ट ने पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को निर्देश दिए कि जबलपुर, भोपाल, इंदौर व ग्वालियर सहित अन्य बड़े शहरों में इनकी कालाबाजारी रोकने के लिए विशेष टीमें बनाई जाएं। कालाबाजारी करने वालों को सख्ती से तलाश कर उन्हें ही नहीं बल्कि उसे भी गिरफ्तार कर कानूनी कार्रवाई की जाए। 

loksabha election banner

प्रदेश में कोरोना महामारी के इलाज में अव्यवस्था की शिकायतों पर स्वत: संज्ञान लेकर हाई कोर्ट सुनवाई कर रही है। इस मामले के साथ इस विषय में प्रदेश भर से दायर अन्य याचिकाओं और हस्तक्षेप अर्जियों की भी सुनवाई की जा रही है। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से यह भी पूछा कि निजी अस्पतालों को रेमडेसिविर की आपूर्ति व वितरण के लिए प्रदेश में दिल्ली की तर्ज पर व्यवस्था क्यों नहीं की जा सकती? मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक व जस्टिस अतुल श्रीधरन की युगलपीठ ने केंद्र सरकार से भी पूछा कि मध्य प्रदेश के लिए रेमडेसिविर का कोटा पूर्व निर्देश के तहत 20 फीसद क्यों नही बढ़ाया जा रहा है? कोर्ट ने 17 मई तक जवाब मांगा है।

निजी अस्पतालों की ओर से अधिक शुल्क वसूली के मामले पर कोर्ट को बताया गया कि चार मई को इसके लिए जिला स्तरीय समितियां गठित कर दी गई हैं। ऐसी किसी भी शिकायत पर ये समितियां कार्रवाई करेंगी। कोर्ट मित्र वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने कोर्ट को बताया कि 19 अप्रैल के आदेश के बाद अब राज्य में ऑक्सीजन की कमी नहीं रह गई। लेकिन इसके वितरण में भेदभाव हो रहा है। ऑक्सीजन आपूर्ति में सरकारी अस्पतालों को निजी अस्पतालों की तुलना मे प्राथमिकता दी जा रही है। इस पर कोर्ट ने महाधिवक्ता पुरषेंद्र कौरव से कहा कि वे अगली सुनवाई पर ऑक्सीजन वितरण व्यवस्था कितनी पर्याप्त है, कोर्ट को यह बताएं।

कंपनियों को सीधे आपूर्ति की अनुमति देने पर हो विचार

पुरषेंद्र कौरव ने कोर्ट को बताया कि एक मई को राज्य सरकार की ओर से प्रकाशित विज्ञापन के तारतम्य में निजी कंपनियों ने राज्य को सीधे रेमडेसिविर इंजेक्शन की आपूर्ति में उत्सुकता दिखाई है। लेकिन केंद्र सरकार की बंदिश के चलते वे राज्य को सीधे आपूर्ति नहीं कर पा रहे हैं। इसके लिए केंद्रीय ड्रग कंट्रोलर जनरल को सरकार की ओर से लिखा गया है। कोर्ट ने इस पर केंद्र सरकार के वकील विक्रम सिंह से कहा कि केंद्र इस पर विचार करे। बताया जाए कि यह अनुमति क्यों नहीं दी जा रही। कोर्ट ने यह भी बताने को कहा कि 19 अप्रैल के आदेश के अनुसार राज्य को आवंटित रेमडेसिविर का कोटा 20 फीसद क्यों नहीं बढ़ाया गया ?


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.