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मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने प्रशासन से पूछा, कोरोना संक्रमण काल में झोलाछाप डॉक्टर्स कैसे कर रहे इलाज

जिनके पास आयुर्वेदिक-होम्योपैथिक या अन्य तरह की डिग्री-डिप्लोमा आदि हैं वे अंग्रेजी दवाएं लिखते हैं और सर्दी-जुकाम बुखार आदि के लक्षणों के आधार पर मरीजों का उपचार कर रहे हैं।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Mon, 22 Jun 2020 11:41 PM (IST)Updated: Mon, 22 Jun 2020 11:42 PM (IST)
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने प्रशासन से पूछा, कोरोना संक्रमण काल में झोलाछाप डॉक्टर्स कैसे कर रहे इलाज
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने प्रशासन से पूछा, कोरोना संक्रमण काल में झोलाछाप डॉक्टर्स कैसे कर रहे इलाज

जबलपुर, जेएनएन। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर जवाब-तलब कर लिया है। इसके लिए राज्य शासन, प्रमुख सचिव लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, पुलिस महानिरीक्षक, संभागायुक्त जबलपुर, कलेक्टर-एसपी और सीएमएचओ जबलपुर को चार सप्ताह की मोहलत दी गई है। मामला कोरोना संक्रमण-काल में झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा मनमाने तरीके से इलाज किए जाने के रवैये को चुनौती से संबंधित है। मामले में अगली सुनवाई 26 जून को होगी।

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मुख्य न्यायाधीश अजय कुमार मित्तल व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान जनहित याचिकाकर्ता जबलपुर के ऋषिकेश सराफ की ओर से अधिवक्ता परितोषष गुप्ता ने पक्ष रखा। उन्होंने वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिए दलील दी कि एक तरफ कोरोना संक्रमण जैसी वैश्विक विडंबना सामने है, दूसरी तरफ जबलपुर सहित राज्य भर में झोलाछाप डॉक्टर्स धड़ल्ले से एलोपैथिक इलाज के जरिए मरीजों की जान लेने पर तुले हुए हैं। जिनके पास आयुर्वेदिक-होम्योपैथिक या अन्य तरह की डिग्री-डिप्लोमा आदि हैं, वे अंग्रेजी दवाएं लिखते हैं और सर्दी-जुकाम, बुखार आदि के लक्षणों के आधार पर मरीजों का उपचार कर रहे हैं। यह स्थिति बेहद खतरनाक है। इससे कोरोना संक्रमण फैलने का खतरा भी बना हुआ है।

28 झोलाछाप की लिखित शिकायत पर कार्रवाई नहीं

जनहित याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि अकेले जबलपुर में 28 झोलाछाप डॉक्टर्स की नामजद शिकायत की गई। इसके बावजूद उनके खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं हुई। न तो उनके खिलाफ केस दर्ज हुए, न गिरफ्तार किया गया और न ही क्लीनिक सील किए गए। इससे उनके हौसले बढ़े हुए हैं। जाहिर सी बात है कि स्वास्थ्य विभाग से सांठगांठ के बिना झोलाछाप डॉक्टरों का अस्तित्व संभव ही नहीं है।

13 दोषी पाए गए, सिर्फ पांच पर कार्रवाई

हाई कोर्ट को अवगत कराया गया कि बार-बार शिकायत करने पर 28 में से 13 दोषी पाए गए। उनमें से महज पांच के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर रस्म अदायगी के जरिए कर्तव्य की इतिश्री कर ली गई। आश्चर्य की बात तो यह है कि इस तरह के डॉक्टर के पास न तो संबंधित परिषद का पंजीयन है और न ही सीएमएचओ कार्यालय से अनुमति। स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना काल में झोलाछाप डॉक्टर्स पर नकेल कसने के लिए पुलिस महानिरीक्षक के समक्ष एक रिपोर्ट पेश की थी। जिसके बाद एसपी को एफआइआर दर्ज करने के निर्देश भी दिए गए। संभागायुक्त व कलेक्टर ने भी मामले को गंभीरता से लिया। लेकिन अब तक ठोस कार्रवाई के अभाव में झोलाछाप डॉक्टर्स समाज के लिए खतरा बने हुए हैं। लिहाजा, हाई कोर्ट इस मामले में हस्तक्षेप करे।


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