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डर के आगे जीत है, कोरोना महामारी के डर में जी रही दुनिया की जीत की ओर बढ़ते कदम

विज्ञानी अब तक लांग कोविड की पहेली को पूरी तरह सुलझा नहीं पाए हैं। लांग कोविड वह स्थिति है जिसमें कोरोना संक्रमण से ठीक होने के बाद भी व्यक्ति लंबे समय तक कुछ लक्षणों से जूझता रहता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Mon, 26 Jul 2021 12:03 PM (IST)Updated: Mon, 26 Jul 2021 12:03 PM (IST)
डर के आगे जीत है, कोरोना महामारी के डर में जी रही दुनिया की जीत की ओर बढ़ते कदम
विज्ञानी कोरोना संक्रमण को सामान्य फ्लू मानने के पक्ष में नहीं हैं।

नई दिल्‍ली, जेएनएन। ब्रिटेन ने कोरोना महामारी से संबंधित लगभग सभी पाबंदियां हटा दी हैं। जर्मनी ने टीका लगवा चुके लोगों को बिना क्वारंटाइन यात्र की अनुमति दे दी है। इटली में अब मास्क लगाना अनिवार्य नहीं रहा और सिंगापुर में सभी माल खोल दिए गए हैं। ये सब डेढ़ साल से कोरोना महामारी के डर में जी रही दुनिया की जीत की ओर बढ़ते कदमों का कुछ उदाहरण हैं।

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जीना इसी का नाम है: एशिया और यूरोप की कई सरकारें सामान्य तरीके से जीने के लिए अपने लोगों को प्रोत्साहित कर रही हैं। आफिस, रेस्तरां और एयरपोर्ट पर फिर भीड़ जुटने लगी है। मूल मंत्र यही है कि हमें वायरस के साथ जीना है। हालांकि विज्ञानी अभी भी बंदिशों से बाहर निकलने की इस रणनीति को समय से पहले का कदम मान रहे हैं।

रणनीति बदलने लगे हैं देश: आस्ट्रेलिया जैसे देश अपनी सीमाओं को बंद रखने के बाद अब समझ गए हैं कि वायरस को मिटाना फिलहाल संभव नहीं है। इसलिए सरकारों का जोर अब इस पर है कि संक्रमित व्यक्ति की स्थिति ज्यादा गंभीर न हो और किसी की जान न जाए। संक्रमित होना तो ऐसी स्थिति है, जिसे टाला नहीं जा सकता है। जीरो-कोविड का लक्ष्य रखने वाले देश भी अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करने लगे हैं।

सिंगापुर बन रहा उदाहरण: सिंगापुर कोरोना संक्रमण के प्रत्येक मामले को बहुत संजीदगी से ले रहा था। पहली बार मामले दहाई में पहुंचने पर वहां अफरा-तफरी सी मच गई थी। सीमाएं बंद कर दी गईं। लेकिन कोई भी कदम संक्रमण को रोक नहीं पाया। पाबंदियों से ऊब चुके लोग पूछने लगे कि महामारी का अंत कब होगा? अब वहां अधिकारियों ने पाबंदियों से बाहर निकलने और महामारी के साथ जीवन आगे बढ़ाने के लिए नई रणनीति तैयार की है।

केस स्टडी: ब्रिटेन: तीसरी लहर की आशंकाओं के बीच यह बड़ा सवाल है कि अगर महामारी की ऐसी कोई लहर आई, तो कितनी घातक होगी। ब्रिटेन इस समय तीसरी लहर से जूझ रहा है। ब्रिटेन के आंकड़ों से इस महामारी को समझने की कोशिश करते हैं।

असहमतियों के भी सुर: कुछ लोग सरकारों की इन नीतियों से नाखुश भी हैं। उनका कहना है कि सरकारें बिना टीकाकरण वाले लोगों की जिंदगी को खतरे में डाल रही हैं। उनका कहना है कि सरकारें गतिविधियों को खोलने के लिए शार्टकट अपना रही हैं।

खतरे की बात: न्यू नार्मल की ओर बढ़ते कदमों के बीच खतरे की आशंकाएं भी पूरी तरह खत्म नहीं हुई हैं। खतरे ही आहट ही है कि अब भी बहुत से देश पाबंदियों को खत्म करने में हिचकिचा रहे हैं।

लांग कोविड की पहेली: विज्ञानी अब तक लांग कोविड की पहेली को पूरी तरह सुलझा नहीं पाए हैं। लांग कोविड वह स्थिति है, जिसमें कोरोना संक्रमण से ठीक होने के बाद भी व्यक्ति लंबे समय तक कुछ लक्षणों से जूझता रहता है। यही कारण है कि विज्ञानी कोरोना संक्रमण को सामान्य फ्लू मानने के पक्ष में नहीं हैं।


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