जानिए किस तरह ज्यादातर भारतीय ओमिक्रोन वैरिएंट से हो सकते हैं संरक्षित, जाने-माने विषाणु विज्ञानी ने बताया
भारत में कोरोना जीनोमिक कंसोर्टियम (इंसाकाग) के सलाहकार समूह के अध्यक्ष रह चुके विषाणु विज्ञानी डा. शाहिद जमील ने यह भी कहा है कि लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है और मास्क पहनने के साथ ही संक्रमण से बचाव के दूसरे नियमों का सख्ती से पालन करते रहना है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रोन के मामले पूरी दुनिया में बढ़ते जा रहे हैं। हालांकि, भारत में अभी इसका कोई केस सामने नहीं आया है, लेकिन केंद्र से लेकर राज्यों तक इसको लेकर चिंता बढ़ती जा रही है। इसको रोकने की तैयारियां भी हो रही हैं। इन सबके बीच देश के जाने माने एक विषाणु विज्ञानी ने कहा है कि घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि ज्यादातर भारतीय कोरोना वायरस के इस नए या दूसरे वैरिएंट से संरक्षित हो सकते हैं।
भारत में कोरोना जीनोमिक कंसोर्टियम (इंसाकाग) के सलाहकार समूह के अध्यक्ष रह चुके विषाणु विज्ञानी डा. शाहिद जमील ने यह भी कहा है कि लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है और मास्क पहनने के साथ ही संक्रमण से बचाव के दूसरे नियमों का सख्ती से पालन करते रहना है।
एंटीबाडी ओमिक्रोन के साथ ही दूसरे वैरिएंट से भी लोगों का करेगी बचाव
डा. जमील का कहना है कि चौथ राष्ट्रीय सीरो सर्वे के मुताबिक जब देश में टीकाकरण स्तर बहुत कम था, तब करीब 67 फीसद यानी 93-94 करोड़ लोगों में कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबाडी बन चुकी है। यह डेल्टा और अन्य वैरिएंट से व्यापक पैमाने पर संक्रमण के चलते हुआ था। अब यही एंटीबाडी ओमिक्रोन के साथ ही दूसरे वैरिएंट से भी लोगों का बचाव करेगी।
उन्होंने कहा कि ओमिक्रोन के खिलाफ मौजूदा वैक्सीन के प्रभाव पर अभी और आंकड़ों की जरूरत है। अब तक जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक ओमिक्रोन पर मौजूदा वैक्सीन का असर कुछ हद तक कम हो सकता है, लेकिन वो पूरी तरह से बेकार नहीं हो सकतीं।
बता दें कि अफ्रीका के कुछ देशों में कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रोन के मामले देखे गए हैं। इसके बाद से भारत सरकार सतर्क हो गई है। गृह मंत्रालय (एमएचए) ने मंगलवार को नए वैरिएंट के प्रसार को रोकने के लिए कोविड रोकथाम उपायों की वैधता को 31 दिसंबर तक बढ़ा दिया है। राज्य सरकारों को सक्रिय तौर पर वायरस के रोकथाम के उपाय करने का निर्देश दिया गया है।
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