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आठ सौ से ज्यादा बैंककर्मियों पर कसेगा सीबीआइ का शिकंजा, जानें क्‍या है आरोप

देश के बैंकिंग सेक्टर को भ्रष्टाचार और गड़बड़ियों से मुक्त करने के लिए सीबीआइ अभी तक का सबसे बड़ा आपरेशन शुरू कर चुकी है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Mon, 10 Feb 2020 10:07 PM (IST)Updated: Mon, 10 Feb 2020 10:18 PM (IST)
आठ सौ से ज्यादा बैंककर्मियों पर कसेगा सीबीआइ का शिकंजा, जानें क्‍या है आरोप
आठ सौ से ज्यादा बैंककर्मियों पर कसेगा सीबीआइ का शिकंजा, जानें क्‍या है आरोप

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। देश के बैंकिंग सेक्टर को भ्रष्टाचार और गड़बड़ियों से मुक्त करने के लिए सीबीआइ अभी तक का सबसे बड़ा आपरेशन शुरू कर चुकी है। सफाई का यह काम बैंकों के ब्रांच स्तर से लेकर प्रबंधन तक में चल रहा है। सीबीआइ सैकड़ों बैंककर्मियों और अधिकारियों पर नजर रख रही है। छह बैंकों के शीर्ष प्रबंधन के खिलाफ जांच पड़ताल की जा रही है। सीबीआइ को यह सख्ती इसलिए दिखानी पड़ी है कि सरकारी क्षेत्र के बैंको को फ्राड और अनियमितताओं से हर वर्ष अरबों-खरबों रुपये का चूना लग रहा है। वर्ष 2014-15 से वर्ष 2018-19 के बीच बैंकों को फ्राड से कुल 51,524 करोड़ रुपये का धक्का लगा है। वैसे सख्ती दिखाने से फ्राड से हर साल होने वाला नुकसान कम होने लगा है।

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सीबीआइ की कार्रवाई को लेकर बेहद चौंकाने वाली सूचनाएं

लोकसभा में लिखित प्रश्नों का उत्तर देते हुए वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने बैंकों में होने वाली गड़बड़ी पर सीबीआइ की कार्रवाई को लेकर कुछ बेहद चौंकाने वाली सूचनाएं दी हैं। इसमें बताया गया है कि सीबीआइ ने विगत कुछ वर्षो में कुल 801 अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ जांच पड़ताल करने व कार्रवाई करने की अनुमति सरकार से मांगी थी। इनमें से 139 मामलों में अनुमति नहीं दी गई। अब सीबीआइ केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के साथ मिल कर आगे क्या कदम उठाया जाए, इस पर विमर्श चल रहा है। अभी सीबीआइ के पास बैंक कर्मियों और अधिकारियों के खिलाफ कुल 495 मामले के पास दर्ज हैं।

सीबीआइ की सख्ती का असर बैंकों के प्रदर्शन पर दिखा

जनवरी, 2020 में भी सीबीआइ के पास बैंक फ्राड के 11 मामले आए हैं। इनसे जुड़े छह बैंक अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई भी शुरू कर दी गई है। वित्त मंत्रालय मानता है कि सीबीआइ की सख्ती का असर बैंकों के प्रदर्शन पर दिखने लगा है। आरबीआइ की ताजा रिपोर्ट बताती है कि बैंकों में फ्राड से जुड़े मामलों से होने वाली हानि में कमी आई है। फंसे कर्ज (एनपीए) की राशि भी कम हुई है। पहले कानूनी दांव पेंच होने की वजह से बैंकों के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ सख्ती नहीं हो पाती थी। कई मामलों में यह सामने आया है कि बैंकों के शीर्ष अधिकारी खाता बही की जांच करने वाले आडिटर्स के साथ मिल कर गड़बड़ी करते रहे हैं लेकिन उनके खिलाफ कार्रवाई करने में देरी की गई है।

कर्ज बांटने से लेकर कर्ज माफ करने के नियमों को पारदर्शी बनाया गया

अब आरबीआइ व भारतीय बैंक संघ के साथ मिल कर कायदे कानून को काफी कड़ा बनाया गया है। कर्ज बांटने से लेकर कर्ज माफ करने के नियमों को पारदर्शी बनाया गया है और अधिकारियों को इसके लिए उत्तरदायी बनाया गया है। इसका असर यह हुआ है कि वर्ष 2014-15 में तमाम गड़बड़ि‍यों से बैंकों तो 20,005 करोड़ रुपये का चूना लगा था जो वर्ष 2018-19 में घटकर 5,149 करोड़ रह गया था।


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