ज्वैलरी और करेंसी सहित 150 से अधिक वस्तुओं को ई-वे बिल टैकस से छूट
50 हजार रुपये से अधिक मूल्य की वस्तु की अंतरराज्यीय ढुलाई के लिए एक ई-वे बिल जनरेट कर साथ रखकर चलना जरूरी है।
हरिकिशन शर्मा, नई दिल्ली। जीएसटी काउंसिल ने ज्वैलर्स को बड़ी राहत देते हुए ज्वैलरी और कीमती रत्नों को ई-वे बिल से छूट दी है। ज्वैलरी को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए ई-वे बिल जनरेट करने की जरूरत नहीं होगी। इसी तरह रोजमर्रा की जरूरत की चीजों तथा करेंसी नोट सहित डेढ़ सौ से अधिक चीजों के लिए भी ई-वे बिल लेना आवश्यक नहीं होगा।
एक अप्रैल से देशभर में अंतर-राज्य व्यापार के लिए जीएसटी के तहत ई-वे बिल की व्यवस्था लागू हो गयी है। इसके तहत व्यापारियों को 50 हजार रुपये से अधिक मूल्य की वस्तु की अंतरराज्यीय ढुलाई के लिए एक ई-वे बिल जनरेट कर साथ रखकर चलना जरूरी है। हालांकि कर्नाटक को छोड़ बाकी राज्यों के भीतर व्यापार के लिए ई-वे बिल लागू नहीं किया गया है। सरकार ने यह कदम जीएसटी चोरी रोकने के इरादे से उठाया है। केंद्र और राज्यों के अधिकारियों ने इस तरह की आशंका व्यक्त की थी कि ई-वे बिल की व्यवस्था लागू न होने की वजह से कुछ व्यापारी टैक्स चुकाने से बच रहे हैं। जीएसटी लागू होने के बाद अलग-अलग राज्यों में ऐसे मामले पकड़े भी गए हैं।
सूत्रों ने कहा कि सुरक्षा कारणों की वजह से ज्वैलरी, मोती और कीमती रत्नों को ई-वे बिल से छूट दी गयी है। इसका मतलब है कि ज्वैलरों को जॉब वर्क या ग्राहकों के पास ज्वैलरी की आपूर्ति करने के लिए ई-वे बिल लेने की जरूरत नहीं होगी।
आर एन मारवाह एंड कंपनी एलएलपी के एग्जीक्युटिव डाइरेक्टर (इनडाइरेक्ट टैक्स) नितिश शर्मा का कहना है कि जीएसटी काउंसिल ने रोजमर्रा जरूरत की वस्तुओं को भी ई-वे बिल से बाहर रखा है ताकि आम उपभोक्ताओं को कोई दिक्कत न हो। इससे ई-वे बिल के क्रियान्वयन में भी आसानी होगी।
जिन चीजों को ई-वे बिल से छूट दी गयी है उनमें सभी तरह के गर्भनिरोधक, पैसेन्जर बैगेज, डाक विभाग द्वारा भेजे जाने वाले पोस्टल बैगेज, घरेलू इस्तेमाल के लिए रसोई गैस, पूजा सामग्री, कांच की चूडि़यां, अनाज, आटा, फल और सब्जियों को भी ई-वे बिल से छूट दी गयी है। ई-वे बिल से छूट-प्राप्त वस्तुओं की सूची में 150 के करीब चीजें शामिल हैं।
क्या है ई-वे बिल?
ई-वे बिल एक टोकन है जिसे ऑनलाइन जनरेट किया जा सकता है। यह एक क्यूआर कोड या ई वे बिल नंबर के रूप में होता है। 50 हजार रुपये से अधिक मूल्य की वस्तु को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए इसकी जरूरत होती है। यह पूरे देश में वैध है। क्रेता, विक्रेता या ट्रांसपोर्टर कोई भी इसे ऑनलाइन जनरेट कर सकता है। अगर माल ढुलाई के दौरान ई-वे बिल नहीं मिलता है तो ट्रांसपोर्टर पर पांच हजार रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है जबकि क्रेता या बिक्रेता की वस्तुओं को जब्त किया जा सकता है।