अमेरिकी एजेंसियों का अनुमान, भारतीय मानसून को प्रभावित कर सकता है अल नीनो
प्रशांत महासागर में पेरू के पास समुद्री तट के गर्म होने वाली घटना को अल नीनो कहा जाता है।
नई दिल्ली, जेएनएन। भारत में इस बार बेहतर मानसून की संभावनाओं के बीच अमेरिकी एजेंसियों ने आशंका जताई है कि इस बार अल नीनो का प्रभाव भारतीय मानसून पर दिखाई दे सकता है। अमेरिकी एजेंसी सीआरसी के मुताबिक, अगस्त से सितंबर माह के बीच अल नीनो से भारतीय मानसून में बदलाव देखने को मिल सकता है। अल नीनो के ताजा अपडेट को देखते हुए यह आशंका जताई गई है।
अमेरिकी जलवायु पूर्वानुमान केंद्र (सीआरसी) और अन्य एजेंसियों द्वारा जारी अल नीनो बुलेटिन में बताया गया है कि अगस्त और सितंबर के दौरान तटस्थ परिस्थितियों के लिए थोड़ी अधिक संभावना दिख रही है। अलनीनो को आसान भाषा में गर्म जलधारा कहा जा सकता है। प्रशांत महासागर में पेरू के पास समुद्री तट के गर्म होने वाली घटना को अल नीनो कहा जाता है। हिंद महासागर और अरब सागर की ओर से भारत के दक्षिण-पश्चिम तट पर आने वाली हवाएं जो भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश आदि में भारी वर्षा कराती हैं।
इधर भारत मौसम विज्ञान विभाग ने कहा कि इस वर्ष मानसून के सामान्य रहने तथा पूरे 100 फीसद बारिश होने की संभावना है। पहले 96 प्रतिशत वर्षा का पूर्वानुमान लगाया गया था। अगर मौसम विभाग का अनुमान सही रहता है, तो आर्थिक विकास की संभावनाएं बढ़ जाएंगी। भारत मौसम विज्ञान विभाग के महानिदेशक केजे रमेश ने कहा कि एल-नीनो प्रभाव की आशंका कम होने के साथ ही मानसून बेहतर होने की संभावनाएं बढ़ गयी हैं। उन्होंने कहा कि एल-नीनो में तात्कालीक बदलावों से संकेत मिलता है कि इस वर्ष मानसून सामान्य रहेगा और दीर्घावधिक औसत में 100 प्रतिशत तक जा सकता है।
एल-नीनो प्रशांत महासागर में जलधाराओं के गर्म होने से जुड़ा मौसमी प्रभाव है। शुरुआती पूर्वानुमान में मौसम विभाग ने कहा था कि दीर्घावधिक औसत में मानसून 96 प्रतिशत रहने की संभावना है जो सामान्य के आसपास है।
इसे भी पढ़ें: इस वर्ष मानसून के सामान्य रहने और 100 फीसद बारिश होने की संभावना