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पीएम मोदी की दस बड़ी उपलब्धियां और चुनौतियां

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपना 65 वां जन्म दिन मनाएंगे। लोकसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत लेकर मोदी ने साल 2014 में पीएम के रुप में शपथ ली ।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Wed, 16 Sep 2015 09:19 PM (IST)Updated: Thu, 17 Sep 2015 10:11 AM (IST)
पीएम मोदी की दस बड़ी उपलब्धियां और चुनौतियां

नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपना 65वां जन्म दिन मनाएंगे। लोकसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत लेकर मोदी ने साल 2014 में पीएम के रुप में शपथ ली । मोदी ने विदेश नीति को लेकर जबरदस्त सक्रियता दिखाई। यहीं नहीं अमेरिका, चीन के साथ संबंधों को नई परिभाषा दी। मोदी के करिश्माई नेतृत्व में विदेशी निवेशकों में आत्मविश्वास जगा। यही नहीं मोदी ने डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया, जन धन योजना जैसे कार्यक्रमों को लागू कर देश के विकास को नई दिशा दी। हालांकि पीएम मोदी के सामने उपलब्धियों के साथ कई चुनौतियां भी हैं।

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10 बड़ी उपलब्धियां:

1- जन धन योजना के तहत 15 करोड़ से अधिक बैंक खाते खुले, जीवन बीमा और पेंशन वाले 10 करोड़ से अधिक रुपे डेबिट कार्ड जारी।


2- कॉरपोरेट सेक्टर ने मोदी के स्वच्छ भारत अभियान को अपनाया। 2019 तक संपूर्ण स्वच्छता का वादा।
रसोई गैस में नकद सब्सिडी हस्तांतरण योजना लागू। सब्सिडी में सालाना पांच अरब डॉलर बचत की उम्मीद।डीजल मूल्य भी नियंत्रण मुक्त।

3- मेक इन इंडिया, डिजिटल भारत और कौशल भारत पहल शुरू। मुख्य ध्यान रक्षा और इलेक्ट्रॉनिक्स पर।मुख्य ध्येय रोजगार सृजन।

4- रक्षा में विदेशी निवेश सीमा बढ़ाकर 49 फीसदी। प्रौद्योगिकी हस्तांतरण मामले में सीमा 74 फीसदी।

5- रक्षा खरीद में तेजी। 36 राफेल युद्धक विमान की खरीदारी हो रही है।

6- सेना के लिए वर्षों से लंबित OROP (वन रैंक वन पेंशन योजना) लागू करना सरकार की बड़ी उपलब्धि।

7- कोष जुटाने के लिए बैंकों को आईपीओ/एफपीओ लाने की अनुमति.। शर्त कि सरकारी हिस्सेदारी 52 फीसदी या उससे अधिक रहे।

8- 100 स्मार्ट शहर परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिए सरकार ने अपनी निति घोषित की।

9- रेलवे में पांच साल में 130 अरब डॉलर खर्च प्रस्तावित।


10- कोयला ब्लॉक नीलामी के दो चक्र सफलता पूर्वक पूरे।

10 बड़ी चुनौतियां:

1- मिडिल क्लास की सबसे बड़ी चिंता महंगाई अब भी एक बड़ा मुद्दा है। सरकारी आंकड़ों में तो महंगाई कम हुई है, लेकिन जमीनी हकीकत आंकड़ों के बिलकुल उलट है। महंगाई पर काबू पाना मोदी सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी।

2- असंतुष्ट निवेशक, सरकार कितने भी दावे करे, वैसा हुआ नहीं जैसा प्रधानमंत्री चाहते थे। महत्वपूर्ण बिल अब भी लटके हुए हैं। जमीन अधिग्रहण बिल, जीएसटी बिल और रियल एस्टेट रेगुलेशन बिल अधर में हैं। खराब फ्लोर मैनेजमेंट, आपसी मतभेद या विपक्ष की जिद, सच्चाई यही है कि अहम बिलों को पास कराने के लिए मोदी सरकार को विपक्ष की चुनौती से निपटना ही होगा।

3-सरकार के भीतर प्रतिभा की कमी, प्रधानमंत्री मोदी एक अनुभवहीन सेना के सेनापति हैं। स्मृति ईरानी जैसे मंत्रियों ने इस बात को बार-बार साबित किया है। एक के बाद दूसरा और फिर तीसरा, ईरानी के विवादों का सिलसिला चला तो चलता ही गया। कभी शिक्षाविदों से मतभेद तो कभी आईएएस अधिकारियों से विवाद। यही नहीं, पूरे कैबिनेट से एक भी ऐसा आइडिया सामने नहीं आया जिसे गेम चेंजर कहा जा सकता हो। ऐसे में एक ही रास्ता बचता है कि प्रधानमंत्री अफसरों की काबिलियत पर निर्भर रहें।

4- सहयोगी दल शिवसेना, शिरोमणि अकाली दल और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी सहयोगी कम और आलोचक ज्यादा दिखते हैं। शिरोमणि अकाली दल शुरू से ही मोदी सरकार के एकतरफा फैसले लेने का आलोचक है। शिवसेना भी खुले तौर पर केंद्र सरकार की आलोचना करती रही है और पीडीपी-बीजेपी गठबंधन में तनाव साफ दिखाई देता है।

5- यही नहीं, मोदी सरकार के लिए अपनी छवि से लड़ना भी एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि सरकार की छवि गरीबों के बजाय अमीरों के लिए काम करने वाली की बनी हुई है। वहीं, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के तेवर भी इन दिनों काफी कड़े हैं, जाहिर है आक्रामक विपक्ष से निपटना प्रधानमंत्री मोदी के लिए एक बड़ी चुनौती है।

6- मोदी सरकार के लिए बड़ी चुनौती उनकी ही चुनावी जमीन से मिली है। पाटीदार आंदोलन ने राज्य सरकार और केंद्र सरकार की नींद उड़ा दी है। पाटीदार यानी पटेलों ने ओबीसी के तहत आरक्षण की मांग की है। यही नहीं इस आंदोलन के मुखिया हार्दिक पटेल की सभा में उमड़ती भीड़ ने सरकार के माथे पर सिकन पैदा कर दी है।

7- देश में इस बार मॉनसून की स्थिति ठीक नहीं रही। उत्तर प्रदेश बिहार समेत कई राज्यों में सूखे के स्थिति बन रही है। जिसके चलते किसानों के हालात और बिगड़ सकते हैं। पिछले साल भी सूखे ने किसानों को आत्महत्या करने के लिए मजबूर कर दिया था। केंद्र सरकार के सामने सूखे से निपटना बड़ी चुनौती है।

8- पाकिस्तान के साथ संबंध लगातार खराब हो रहे हैं। दोनों देशों के बीच राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकार स्तर की वार्ता तक रद्द करनी पड़ी।

9- सीमा पर सीज फायर का लगातार उल्लंघन। कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आए।

10- विदेशी बैंकों में जमा काले धन को देश में वापस लाना सरकार के लिए चुनौती बना हुआ है। यह मुद्दा इसलिए भी गर्माया क्योंकि प्रधानमंत्री ने इसे अपना मुख्य चुनावी मुद्दा बनाया था। सभी की निगाहें इस पर टिकी हैं कि सरकार क्या करती है।


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