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बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर मोदी सरकार सचेत, मिड-डे मील में तीन फीसद से ज्यादा की बढ़ोत्तरी

मिड-डे मील योजना के तहत स्कूलों में पढ़ने वाले करीब 12 करोड़ बच्चों को दोपहर का खाना दिया जाता है। एक अप्रैल 2019 से लागू होगी बढ़ी हुई कीमतें।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Tue, 16 Jul 2019 10:12 PM (IST)Updated: Tue, 16 Jul 2019 11:37 PM (IST)
बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर मोदी सरकार सचेत, मिड-डे मील में तीन फीसद से ज्यादा की बढ़ोत्तरी
बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर मोदी सरकार सचेत, मिड-डे मील में तीन फीसद से ज्यादा की बढ़ोत्तरी

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। स्कूलों में बच्चों को मिलने वाले दोपहर के खाने (मिड-डे मील) को तैयार करने पर राज्यों को अब ज्यादा पैसा मिलेगा। केंद्र सरकार ने राज्यों की मांग पर खाना बनाने पर आने वाले खर्च में बढ़ोत्तरी का फैसला लिया है।

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खर्च में तीन फीसद से ज्यादा की बढ़ोत्तरी की गई है। फिलहाल यह बढ़ोत्तरी एक अप्रैल से ही देश भर में प्रभावी होगी। मौजूदा समय में देश के 11 लाख से ज्यादा स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को दोपहर का खाना दिया जाता है।

यह योजना वैसे तो पूरी तरह से केंद्र सरकार की है, लेकिन इसको तैयार करने पर होने वाले खर्च में केंद्र और राज्यों दोनों की हिस्सेदारी रहती है। इसका फैसला केंद्रीय फंडिंग पैटर्न के आधार पर तय होता है।

मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने स्कूलों में दोपहर के खाने पर तैयार करने वाली कीमतों में जो बढ़ोत्तरी की है, उसके तहत प्राइमरी तक के लिए प्रति छात्र 13 पैसे की बढ़ोत्तरी की गई है, जबकि अपर प्राइमरी यानि छह से आठवीं तक के लिए प्रति छात्र 20 पैसे की बढोत्तरी की गई है।

इसके तहत प्राइमरी स्तर के प्रति छात्रों के खाना तैयार करने का खर्च अब 4.48 रुपए हो गया है, इनमें केंद्र 2.69 रुपए देगा, जबकि राज्य 1.79 रुपए का खर्च उठाएगा। वहीं बढ़ोत्तरी के बाद अपर प्राइमरी स्तर के प्रति छात्र खाना बनाने का खर्च 6.71 रुपए कर दिया गया है। इनमें से 4.03 रुपए केंद्र देगा, जबकि 2.66 रुपए राज्य को देना होगा।

स्कूलों में तैयार होने वाले दोपहर के खाने की कुकिंग खर्च में इससे पहले यह बढ़ोत्तरी नवम्बर 2018 में की गई थी। उस समय में इनमें करीब साढ़े पांच फीसद की बढ़ोत्तरी की गई थी।

फिलहाल इस योजना के तहत स्कूलों में पढ़ने वाले करीब 12 करोड़ बच्चों को दोपहर का खाना दिया जाता है। इसके तहत सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले पहली से आठवीं तक के बच्चों को ही खाना दिया जाता है।


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