चीन से डोकलाम विवाद के बावजूद घटा जीडीपी में रक्षा बजट का हिस्सा
सेनाओं के आधुनिकीकरण के काम में इस बार 99563.86 करोड़ रुपये होगा। पिछले साल यह 86,488 करोड़ रुपये तय किया गया था।
नई दिल्ली, जेएनएन। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को संसद में 2018-19 का आम बजट पेश किया, जिसे संतुलित कहा जा सकता है। बजट में हर वर्ग का ध्यान रखा गया है। वित्त मंत्री ने बजट में रक्षा खर्च में भी इजाफा किया है, जिसकी चीन के साथ हुए डोकलाम गतिरोध के बाद उम्मीद की जा रही थी। लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि रक्षा खर्च बढ़ा है, लेकिन जीडीपी में हिस्सा घटा है।
रक्षा खर्च पर प्रस्तावित बजट में 2,95,511.41 करोड़ रुपये रखे गए हैं। यह पिछले बजट अनुमान के मुकाबले 7.81% ज्यादा है, जबकि संशोधित अनुमान के मुकाबले यह 5.91% ज्यादा है। लेकिन देश की जीडीपी के मुकाबले रक्षा खर्च लगातार गिर रहा है। 2017-18 में रक्षा बजट के 1.62 फीसदी होने का आकलन है। अब इसे 1.57 फीसदी करने का प्रस्ताव है। यह 1962 के युद्धा के बाद से सबसे कम है। अर्थव्यवस्था का विस्तार होने के साथ-साथ यह आंकड़ा लगातार प्रतिशत में गिर रहा है।
सेनाओं के आधुनिकीकरण के काम में इस बार 99563.86 करोड़ रुपये होगा। पिछले साल यह 86,488 करोड़ रुपये तय किया गया था। इस बार इसमें कोई राशि वापस नहीं की गई है। सैलरी आदि का भुगतान राजस्व खर्च से किया जाता है, जो 1,95,947.55 करोड़ रुपये होगा। डिफेंस पेंशन के लिए अलग से रकम का इंतजाम किया गया है, जो 1,08,853 करोड़ रुपये होगा।
इस साल के रक्षा बजट में मामूली बढ़ोतरी की वजह से तीनों सेनाओं के लिए पूंजीगत परिव्यय में भी मामूली बढ़ोतरी हो सकी है जिससे तीनों सेनाओं के हथियारों की खरीद की योजनाओं पर भी असर पड़ेगा।