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प्रवासी मजदूरों के लिए वरदान साबित हुई मनरेगा, ग्रामीण क्षेत्रों में पौने सात करोड़ लोगों को मिला रोजगार

MNREGA Scheme कोरोना संक्रमण और लाकडाउन के चलते गावों की ओर पलायन करने वाले प्रवासी मजदूरों के लिए मनरेगा वरदान साबित हुई है। गांवों में रोजगार का प्रमुख साधन बनी इस योजना में लगातार काम की मांग बढ़ी है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Wed, 28 Jul 2021 10:00 PM (IST)Updated: Wed, 28 Jul 2021 10:00 PM (IST)
गावों की ओर पलायन करने वाले प्रवासी मजदूरों के लिए मनरेगा वरदान साबित हुई

 नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कोरोना संक्रमण और लाकडाउन के चलते गावों की ओर पलायन करने वाले प्रवासी मजदूरों के लिए मनरेगा वरदान साबित हुई है। गांवों में रोजगार का प्रमुख साधन बनी इस योजना में लगातार काम की मांग बढ़ी है। चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीने में पौने सात करोड़ लोगों को रोजगार मिला है। इनमें से 5.25 लाख मजदूरों ने निर्धारित 100 कार्यदिवसों का लक्ष्य हासिल कर लिया है और उन्हें अतिरिक्त कार्यदिवसों की जरूरत है।

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योजना को पिछले साल के मुकाबले 11.50 करोड़ अधिक आवंटन

पिछले वर्ष के मुकाबले चालू वित्त वर्ष में योजना पर काम का दबाव और बढ़ा है। इसके मद्देनजर चालू वित्त वर्ष के लिए 11,500 करोड़ रुपये की वृद्धि के साथ कुल 73,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। आने वाले दिनों में मनरेगा के लिए अतिरिक्त धनराशि की जरूरत पड़ सकती है। ग्रामीण विकास मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान कुल 11.19 करोड़ लोगों को रोजगार मुहैया कराया गया था। चालू वित्त वर्ष के शुरुआती चार महीनों के भीतर ही 6.72 करोड़ लोगों को मनरेगा में काम दिया जा चुका है।

चार महीने में ही 5.25 लाख लोगों ने 100 कार्यदिवसों का लक्ष्य किया

इससे स्पष्ट है कि चालू वित्त वर्ष में काम मांगने वालों की संख्या बढ़ेगी, जिसके लिए अतिरिक्त बजट की जरूरत पड़ सकती है। अप्रैल से जुलाई के दौरान ही मनरेगा में 100 दिनों तक काम कर चुके मजदूरों की संख्या 5.25 लाख से अधिक हो चुकी है। शहरों में काम नहीं मिलने और पलायन कर गांव पहुंचे ग्रामीण मजदूरों को काम की जरूरत है, जिसके लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत रोजगार बेहद मददगार साबित हो रहा है। मांग आधारित योजना होने की वजह से इसके लिए बजट के आवंटन में कोई कमी नहीं की जा सकती है।

80 करोड़ से अधिक लोगों को दिया जा रहा मुफ्त राशन

कोरोना प्रभावित निचले तबके के लोगों और पलायन कर चुके प्रवासी मजदूरों के लिए केंद्र सरकार पहले ही कई योजनाएं चालू कर रखी है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत देश के 80 करोड़ से अधिक लोगों को प्रत्येक महीने पांच किलो प्रति व्यक्ति के हिसाब से अनाज मुफ्त दिया जा रहा है। यह अनाज राशन प्रणाली के तहत हर महीने प्राप्त होने वाले 35 किलो प्रति परिवार से अलग है। मनरेगा से जहां ग्रामीण बेरोजगारों को काम मिल रहा है, वहीं ग्रामीण बुनियादी ढांचा भी तैयार हो रहा है।

मनरेगा के माध्यम से स्थायी निर्माण को प्राथमिकता

केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह का कहना है कि मनरेगा के माध्यम से स्थायी निर्माण को प्राथमिकता दी जा रही है। चालू वित्त वर्ष के दौरान मनरेगा के तहत 73 फीसद कार्य कृषि और उससे जुड़े उद्यमों से कराने की योजना है। मनरेगा से कुल 25 लाख स्थायी निर्माण कार्य कराए जा चुके हैं।


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