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कोरोना के साढ़े चार महीने के दौरान ही मनरेगा ने तोड़ा रिकार्ड, 5.53 करोड़ मजदूरों को मिला काम

लॉकडाउन के दौरान मनरेगा में कुल 48.61 हजार करोड़ रुपये खर्च किए गए। इसमें से 35.21 हजार करोड़ रुपये मजदूरी भुगतान पर खर्च किया गया।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Wed, 19 Aug 2020 09:21 PM (IST)Updated: Wed, 19 Aug 2020 09:21 PM (IST)
कोरोना के साढ़े चार महीने के दौरान ही मनरेगा ने तोड़ा रिकार्ड, 5.53 करोड़ मजदूरों को मिला काम
कोरोना के साढ़े चार महीने के दौरान ही मनरेगा ने तोड़ा रिकार्ड, 5.53 करोड़ मजदूरों को मिला काम

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कोरोना महामारी के दौरान लागू देशव्यापी लॉकडाउन में ही मनरेगा ने रोजगार सृजन का अपना ही रिकार्ड तोड़ दिया है। चालू वित्त वर्ष के सिर्फ साढ़े चार महीने के दौरान ही योजना में 5.53 करोड़ ग्रामीण मजदूरों को रोजगार मिला है। जबकि वित्त वर्ष 2010-11 के पूरे साल में कुल 5.5 करोड़ मजदूरों को मिला था जो एक रिकार्ड के तौर पर दर्ज था।

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लॉकडाउन के चलते प्रवासी मजदूरों की घर वापसी के बाद मनरेगा में हुई जबर्दस्त वृद्धि

लॉकडाउन लागू होने के साथ ही प्रवासी मजदूरों की घर वापसी के बाद मनरेगा में काम मांगने वालों की संख्या में जबर्दस्त वृद्धि हुई। उस दौरान शहरी क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह ठप हो गई थी। इसी के मद्देनजर केंद्र सरकार ने योजना के लिए अतिरिक्त 40 हजार करोड़ रुपये का आवंटन किया। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पिछले वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में 5.48 करोड़ लोगों ने काम मांगा था। इसके मुकाबले चालू वर्ष के दौरान यह संख्या 5.53 करोड़ हो गई। काम मांगने वालों की संख्या जिस गति से बढ़ी है, उससे स्पष्ट है कि वित्त वर्ष के आखिर तक यह आंकड़ा बहुत बड़ा हो जाएगा। जबकि सर्वाधिक रोजगार सृजन वर्ष 2010-11 में हुआ जो एक रिकार्ड था।

मनरेगा 2006-07 में 200 जिलों में शुरु की गई थी आज पूरे देश में लागू है

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के तहत वर्ष 2006-07 में देश के 200 पिछड़े ग्रामीण जिलों में योजना शुरु की गई थी। अगले साल यानी 2007-08 में इस योजना में 133 अतिरिक्त जिलों को और शामिल कर लिया गया, लेकिन योजना की लोकप्रियता को देखते हुए वर्ष 2008-09 में इसे बढ़ाकर पूरे देश में लागू कर दिया गया।

मनरेगा में अप्रैल से 16 अगस्त तक 5.53 करोड़ मजदूरों को मिला काम

चालू वित्त वर्ष के दौरान लॉकडाउन के शुरुआती महीने यानी अप्रैल में पहले पखवारे में योजना बहुत गति नहीं पकड़ पाई थी। मई महीने में 3.30 करोड़ लोगों ने योजना में काम किया, जो पिछले साल के मई महीने के मुकाबले 55 फीसद अधिक है। इसी तरह जून महीने में मनरेगा में 3.89 करोड़ ग्रामीण मजदूरों ने काम किया जो पिछले साल के जून महीने के मुकाबले 77.95 फीसद अधिक है। जुलाई महीने में यह संख्या 2.70 करोड़ हो गई जो पिछले साल की जुलाई माह के मुकाबले 79.96 फीसद अधिक दर्ज की गई।

मनरेगा में 35.21 हजार करोड़ रुपये मजदूरी भुगतान पर हुए खर्च

चालू साल के 16 अगस्त तक पूरे देश में इस दौरान कुल 175.56 करोड़ मानव दिवस सृजित किए गए। इस दौरान योजना में कुल 48.61 हजार करोड़ रुपये खर्च किए गए। इसमें से 35.21 हजार करोड़ रुपये मजदूरी भुगतान पर खर्च किया गया।


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