HIV AIDS संक्रमण में मिजोरम नंबर एक, राष्ट्रीय दर से 10 गुना ज्यादा है यहां इसकी रफ्तार
पूरे देश में एचआईवी की दर 0.2 फीसद है जबकि मिजोरम में ये दर 2.04 फीसद है। जानें- क्यों मिजोरम में तेजी से पांस पसार रहा एचआईवी एड्स।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। एक तरफ केंद्र व राज्य सरकारों की तरफ से एड्स से बचने के लिए व्यापक स्तर पर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। दूसरी तरफ पूर्वोत्तर के राज्य मिजोरम में तेजी से एड्स के मामले बढ़ रहे हैं। हाल के दिनों में मिजोरम में प्रतिदिन एचआईवी एड्स के नौ नए मामले सामने आए हैं। इस वजह से मिजोरम इन दिनों सबसे ज्यादा एड्स के मरीजों वाला राज्य बन चुका है। मिजोरम के नाम दर्ज हो रहे इस अनोखे रिकॉर्ड ने राज्य सरकार की चिंताएं बढ़ा दी हैं। राज्य सरकार ने इस बीमारी पर अंकुश लगाने की दिशा में कई पहल शुरू की है।
मिजोरम में तेजी से बढ़ रहे एड्स मरीजों की वजह से ये राज्य इन दिनों सुर्खियों में छाया है। इससे पहले इस राज्य की पहचान उच्च साक्षरता दर की वजह से होती थी। मिजोरम स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी के आंकड़ों के अनुसार राज्य में एचआईवी की चपेट में आने वाले मरीजों की संख्या, कुल आबादी की 2.04 फीसद तक पहुंच गई है। मिजोरम के बाद 1.43 फीसद आबादी के साथ मणिपुर दूसरे और 1.15 फीसद आबादी के साथ नागालैंड तीसरे स्थान पर है।
एचआईवी जांच के लिए बने हैं 44 केंद्र
मिजोरम में एचआईवी की जांच के लिए सरकार द्वारा इंटीग्रेटेड काउंसलिंग एंड टेस्टिंग सेंटर संचालित किए जा रहे हैं। मिजोरम स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी की परियोजना निदेशक डा. लालथेंगलियानी के अनुसार ये सेंटर महीने में 25 दिन खुले रहते हैं। इन केंद्रों पर प्रतिदिन एचआईवी एड्स के नौ नए मरीज जांच कराने के लिए पहुंच रहे हैं। पूरे राज्य में इस तरह के 44 केंद्र स्थापित किए गए हैं। यहां मरीजों की निशुल्क जांच की जाती है।
एचआईवी का पहला मामला 1990 में आया
डा. लालथेंगलियानी बताती हैं कि मिजोरम राज्य में एचआईवी पॉजिटिव का पहला मामला 1990 में सामने आया था। अब तक राज्य में एड्स के कुल 19,631 मामले सामने आ चुके हैं। इस घातक बिमारी की वजह से राज्य में अब तक दो हजार से ज्यादा एड्स मरीजों की मौत तक हो चुकी है।
असुरक्षित यौन संबंध और नशा सबसे बड़ी वजह
बांग्लादेश और म्यांमार की सीमा से सटे मिजोरम राज्य में तेजी से बढ़ रहे एड्स मरीजों की सबसे बड़ी वजह असुरक्षित यौन संबंध है। मिजोरम स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी के ताजा आंकड़ों के मुताबिक राज्य में कुल एड्स मरीजों में से 66.08 फीसद मरीज असुरक्षित यौन संबंध की वजह से बढ़े हैं। इसके अलावा इंजेक्शन के जरिए नशे की लत की वजह से भी 28.16 फीसद मरीज एड्स की चपेट में आए हैं। जबकि 2.96 फीसद मामलों में मरीजों को ये बीमारी उनके माता-पिता से अनुवांशिक तौर पर मिली है। होमोसेक्सुअल संबंधों या अन्य वजहों से एक फीसद एड्स मरीज इस रोग की चपेट में आए हैं।
युवाओं में तेजी से फैल रहा एड्स
डा. लालथेंगलियानी के अनुसार मिजोरम में तेजी से फैल रहा एड्स चिंता का विषय तो है ही, लेकिन इससे भी ज्यादा चिंता की बात ये है कि युवा तेजी से इसकी चपेट में आ रहे हैं। आलम ये है कि एचआईवी की चपेट में आने वाले 42.38 फीसद मरीजों की आयु 25 से 34 वर्ष है। वहीं 26.46 फीसद मरीजों की आयु 35 से 49 वर्ष है। जबकि 23.03 फीसद मरीजों की आयु मात्र 15 से 24 वर्ष के बीच है। मिजोरम में एचआईवी पीड़ित मरीजों की तादाद कुल आबादी में 2.04 फीसद है, जबकि पूरे देश का औसत आंकड़ा मात्र 0.2 फीसद है। इसी से मिजोरम की भयावह स्थिति का अनुमान लगाया जा सकता है।
राज्य सरकार ने शुरू किया जागरूकता अभियान
मिजोरम में तेजी से पांव पसार रहे एचआईवी रोग से लोगों को बचाने के लिए राज्य सरकार ने इसी सप्ताह एक विशेष जागरूकता अभियान की शुरूआत की है। अभियान की शुरूआत करते हुए मुख्यमंत्री जोरमथांगा ने कहा था कि राज्य की वर्तमान स्थिति बहुत गंभीर है। इस बीमारी की रोकथाम के लिए हमें मिलकर काम करना होगा। मालूम हो कि वर्ष 2011-12 में राज्य में एचआईवी फैलने की दर 4.8 फीसद थी, जो 2012-13 में घटकर 3.8 पहुंच गई थी। हालांकि इसके बाद इस बीमारी के फैलने की दर में लगातार इजाफा हो रहा है। वर्ष 2017-18 में एचआईवी के फैलने की दर 7.5 फीसद तक पहुंच गई थी। मार्च 2019 में एचआईवी फैलने की ये दर 9.2 फीसद तक पहुंच गई है, जो कि पूरे देश में सबसे बड़ा रिकॉर्ड है।
ऐसे बच सकते हैं एचआईवी से
एचआईवी का सबसे बड़ा खतरा ये है कि इसकी चपेट में आने वाले मरीजों को लंबे समय तक इस बीमारी का आभास ही नहीं होता है। इस वजह से उनके आसपास के लोगों के भी एचआईवी संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे लोग अगर प्री-एक्पोजर प्रोफिलेक्सिस (PrEP) गोलियां लें तो वह संक्रमण से बच सकते हैं। इन दवाओं को भी गर्भनिरोधक गोलियों की तरह रोज खाना होता है। इनका असर इस बात पर निर्भर होता है कि इन्हें कितना नियमित तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा है। चिकित्सकों के अनुसार महिलाओं को ये दवा रोज लेनी चाहिए। समलैंगिक पुरुषों में भी ये दवा काफी कारगर है।
सुरक्षित हैं PrEP गोलियां, लेकिन जानकारी नहीं
चिकित्सकों के अनुसार प्री-एक्पोजर प्रोफिलेक्सिस (PrEP) गोलियां बिल्कुल सुरक्षित हैं। इसके साइड इफेक्ट बहुत कम हैं, लगभग उतना ही जितना किसी पेनकिलर गोली का होता है। दक्षिण अफ्रीका में वर्ष 2017 में किए गए एक अध्ययन में पता चला है कि यौन रूप से सक्रिय किशोर-किशोरियों में भी ये दवा काफी सुरक्षित रही है। जानकार मानते हैं कि जागरूकता के अभाव की वजह से इतनी असरदार दवा के बारे में अब तक ज्यादातर लोगों को जनकारी नहीं है। कुछ देशों में ये दवाएं महंगी होने के कारण आम लोगों की पहुंच से दूर हैं। वहीं कुछ जगह पर स्वास्थ्यकर्मी जानबूझकर इस दवा के बारे में नहीं बताते हैं।