Move to Jagran APP

सोशल मीडिया पर लगाम लगाने का नहीं निकला रास्ता

राष्ट्रीय एकता परिषद की बैठक में सांप्रदायिक तनाव को हवा देने के लिए सोशल नेटवर्किग साइटों के दुरुपयोग का मुद्दा तो खूब उठा, लेकिन इस पर लगाम लगाने का कोई ठोस उपाय नहीं निकल पाया। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने खुद मुजफ्फरनगर दंगे के दौरान सोशल मीडिया पर बांटे गए एक फर्जी वीडियो का जिक्र कर इसपर लगाम लगाने की जरूर

By Edited By: Published: Mon, 23 Sep 2013 08:04 PM (IST)Updated: Mon, 23 Sep 2013 08:06 PM (IST)
सोशल मीडिया पर लगाम लगाने का नहीं निकला रास्ता

नई दिल्ली [जाब्यू]। राष्ट्रीय एकता परिषद की बैठक में सांप्रदायिक तनाव को हवा देने के लिए सोशल नेटवर्किग साइटों के दुरुपयोग का मुद्दा तो खूब उठा, लेकिन इस पर लगाम लगाने का कोई ठोस उपाय नहीं निकल पाया। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने खुद मुजफ्फरनगर दंगे के दौरान सोशल मीडिया पर बांटे गए एक फर्जी वीडियो का जिक्र कर इसपर लगाम लगाने की जरूरत बताई और इसके लिए सुझाव की जिम्मेदारी राष्ट्रीय एकता परिषद पर छोड़ दी।

loksabha election banner

पढ़ें : सोशल मीडिया कुनबा सक्रिय करने में जुटी कांग्रेस

प्रधानमंत्री के बाद बैठक में भाग ले रहे सभी मुख्यमंत्रियों और दूसरे वक्ताओं ने सोशल नेटवर्किग साइटों पर लगाम लगाने की जरूरत बताई। लेकिन कोई भी इसे लागू करने का ठोस उपाय नहीं सुझा पाया। बाद में सूचना व प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने कहा कि केंद्र सरकार मीडिया पर किसी भी तरह का नियंत्रण लगाने के पक्ष में नहीं है, लेकिन राष्ट्रीय एकता परिषद में आए सुझावों पर जरूर विचार किया जाएगा।

वैसे सच्चाई यही है कि अमेरिका स्थित सर्वर और वहीं के कानून से संचालित यू-ट्यूब, फेसबुक या ट्विटर को नियंत्रित करना सरकार के लिए आसान नहीं है। पिछले साल असम दंगे के दौरान सोशल साइटों पर चले फर्जी फोटो व वीडियो को हटाने में गृह मंत्रालय के अधिकारियों के पसीने छूट गए थे। अमेरिकी सरकार पर दबाव के सहारे एक हफ्ते के बाद वीडियो और फोटो को इन साइटों से हटाया जा सका। यही नहीं, देश भर में पूर्वोत्तर को लोगों को निशाना बनाने की अफवाह फैलाने वालों को सजा तो दूर, आज तक उनकी पहचान भी नहीं पाई।

बात सिर्फ सोशल मीडिया पर नियंत्रण की नहीं है, उस पर नजर रखने की ठोस प्रणाली विकसित करने में भी सरकार विफल रही है। दंगे और फसाद होने के बाद सरकार को पता चलता है कि इसके पीछे फर्जी फोटो या वीडियो का हाथ था और उसे हटाने की कोशिश शुरू होती है। लेकिन फर्जी फोटो, वीडियो या भाषण को पहले ही पहचान कर उसे प्रसारित होने से रोकने का कोई कारगर तरीका नहीं है। सरकार अपनी इस कमजोरी को मीडिया की स्वतंत्रता की आड़ में छुपाने की कोशिश कर रही है।

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.