डीआरडीओ प्रमुख के वित्तीय अधिकारों पर लगी रोक
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान [डीआरडीओ] की आंतरिक ऑडिट रिपोर्ट एवं सीएजी की चल रही जांच में कई फैसलों पर सवाल उठाए जाने के बाद सरकार ने अभूतपूर्व निर्णय लेते हुए संस्थान केप्रमुख के वित्तीय अधिकारों पर प्रतिबंध लगा दिए हैं।
नई दिल्ली। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान [डीआरडीओ] की आंतरिक ऑडिट रिपोर्ट एवं सीएजी की चल रही जांच में कई फैसलों पर सवाल उठाए जाने के बाद सरकार ने अभूतपूर्व निर्णय लेते हुए संस्थान के प्रमुख के वित्तीय अधिकारों पर प्रतिबंध लगा दिए हैं।
सामरिक प्रकृति के कार्यो से संबद्ध होने के कारण डीआरडीओ के फैसलों पर शायद ही कभी सवाल उठे हों और यही वजह है उसे काफी वित्तीय स्वायत्ता भी मिली हुई है। हालांकि, अब सब कुछ बदल चुका है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी एक आदेश में कहा गया है कि डीआरडीओ प्रमुख डॉ. वीके सारस्वत अब सभी वित्तीय फैसले मंत्रालय के वित्त विभाग से सलाह के बाद ही ले सकेंगे। अब तक डीआरडीओ प्रमुख 50 करोड़ तक के खर्च का निर्णय अपने स्तर पर लेते थे। इसके लिए उन्हें मंत्रालय के वित्त विभाग से संपर्क करने की आवश्यकता नहीं होती थी।
सरकार ने 2010 में एक आदेश जारी कर डीआरडीओ प्रमुख के वित्तीय अधिकारों को बढ़ाया था, लेकिन अब सरकार को लग रहा है कि यह मनादंडों के खिलाफ था। संस्थान प्रमुख के अधिकारों में बढ़ोतरी के बाद फैसले के लिए केवल डीआरडीओ के वित्तीय सलाहकार की सहमति की ही आवश्यकता होती थी। यहां यह उल्लेखनीय है कि वित्तीय सलाहकार डीआरडीओ प्रमुख को रिपोर्ट करता है।
सूत्रों का कहना है कि रक्षा मंत्रालय के तत्कालीन सचिव व वर्तमान सीवीसी प्रदीप कुमार की अध्यक्षता में गठित पैनल की सिफारिशों के विपरीत डीआरडीओ प्रमुख के अधिकारों में वृद्धि का फैसला किया गया था। आरोप तो यह भी लग रहा है कि 2010 में डीआरडीओ प्रमुख के वित्तीय अधिकारों को बढ़ाए जाने को लेकर रक्षा मंत्री एके एंटोनी को गुमराह भी किया गया हो सकता है।
डॉ. सारस्वत डीआरडीओ प्रमुख, रक्षा सचिव [अनुसंधान एवं विकास], रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार के पद पर तैनात हैं। गौरतलब है कि डॉ. सारस्वत के पास डीआरडीओ प्रमुख के रूप में 50 करोड़ तक खर्च करने का वित्तीय अधिकारी था, जबकि रक्षा सचिव [अनुसंधान एवं विकास] के रूप में 75 करोड़ खर्च करने की छूट है, लेकिन इसके लिए रक्षा मंत्रालय से अनुमोदन लेने की आवश्यकता होती है।
डॉ. सारस्वत ने पिछले दो वर्षो में ज्यादातर ठेके डीआरडीओ प्रमुख की हैसियत से ही बांटे, जिसके लिए उन्हें रक्षा मंत्रालय से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होती थी।
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