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मध्य प्रदेश में खनन माफिया सक्रिय, नर्मदा से रोजाना चुरा रहे एक हजार डंपर रेत

बारिश के चलते घाट बंद होने से पहले स्टॉक में जुटे रेत माफिया।

By Nitin AroraEdited By: Published: Wed, 27 May 2020 09:49 AM (IST)Updated: Wed, 27 May 2020 09:49 AM (IST)
मध्य प्रदेश में खनन माफिया सक्रिय, नर्मदा से रोजाना चुरा रहे एक हजार डंपर रेत
मध्य प्रदेश में खनन माफिया सक्रिय, नर्मदा से रोजाना चुरा रहे एक हजार डंपर रेत

भोपाल, राज्य ब्यूरो। लॉकडाउन में मध्य प्रदेश में सभी रेत खदानें बंद होने से माफियाओं की चांदी हो गई है। माफिया प्रदेश की प्रत्येक नदी में सक्रिय हैं। अकेले नर्मदा नदी से करीब एक हजार डंपर रेत प्रतिदिन चोरी-छिपे निकाली जा रही है। यह सीहोर, भोपाल, रायसेन, होशंगाबाद सहित अन्य जिले के सीमावर्ती इलाकों में बेची जा रही है। इसमें से औसतन 400 डंपर रेत प्रतिदिन भोपाल आ रही है। 300 डंपर का स्टॉक किया जा रहा है। सारी रात नेशनल हाइवे-69 (ओबेदुल्लागंज-नागपुर) पर रेत के डंपरों का रेला चलता है।

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मप्र की नदियों से रेत चोरी की यह स्थिति तब है, जब कोरोना संक्रमण के चलते भोपाल जिले की सीमाएं सील हैं और पुलिस 24 घंटे मुस्तैदी से ड्यूटी कर रही है। अगर राज्य की सभी नदियों से निकलने वाली रेत की बात करें तो प्रदिदिन करीब 1600 डंपर रेत चोरी हो रही है।

दोगुने दाम पर बेच रहे माफिया

प्रदेश में आम दिनों में प्रतिदिन 3500 से 4000 डंपर रेत बाजार में पहुंचती है, लेकिन खनिज निगम द्वारा नीलाम की गई 1450 खदानों में उत्खनन शुरू नहीं होने और लॉकडाउन की वजह से रेत की किल्लत शुरू हुई तो माफिया सक्रिय हो गए। नर्मदा, चंबल, पार्वती, बेतवा सहित प्रदेश की तमाम नदियों से रेत निकाली जा रही है। चोरी-छिपे आ रही रेत के दाम भी मनमाने हैं। माफिया 18 से 20 हजार रुपये में मिलने वाली एक डंपर रेत 32 से 36 हजार रुपये में बेच रहे हैं। भोपाल की ही बात करें तो यहां प्रतिदिन औसतन 400 डंपर रेत आ रही है। इसमें से महज 100 डंपर रेत बाजार में जाती है। शेष रेत बारिश के मद्देनजर स्टॉक की जा रही है ताकि वर्षाकाल में नदियों के घाट बंद होने के बाद मनमाने दामों पर बेची जा सके। गौरतलब है कि 15 जून से तीन माह के लिए घाट बंद हो जाएंगे। तब रेत की किल्लत और बढ़ जाएगी।

सरकार पर दोहरी मार

प्रदेश के रेत कारोबार में माफिया हमेशा से सक्रिय रहे हैं पर उनकी मौजूदा सक्रियता राज्य सरकार को भी भारी पड़ रही है। सरकार की आर्थिक स्थिति पहले से खराब है। कोरोना ने भी कमर तोड़ दी है। ऐसे में रेत से बड़ा राजस्व मिलने की उम्मीद थी तो माफिया ने कब्जा कर लिया। अब इस मामले में सरकार जल्दी नहीं चेती तो खदानों को तीन साल के लिए ठेके पर लेने वाले भी हाथ खड़े कर देंगे।

धरी रह गई पॉलिसी

मप्र सरकार की खनिज पॉलिसी धरी की धरी रह गई है। विभाग ने रेत ट्रकों की मॉनिटरिंग, चोरी की रेत पर अंकुश लगाने के लिए जीपीएस, पोर्टल सहित तमाम प्रबंध किए पर अब कुछ काम नहीं आ रहा। कोरोना संक्रमण के चलते विभाग का अमला भी घरों में है, जिसका फायदा माफिया उठा रहे हैं।


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