भारत से ताकतवर देशों के रिश्तों को प्रगाढ़ता का रुप देते सैन्य अभ्यास
भारतीय सेना के अमेरिका, रुस, सिंगापुर, जापान और चीन के साथ होने वाले सैन्य युद्धाभ्यास ने गति पकड़ ली है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। विश्व ताकतों से मिल रही चुनौतियों से निपटने और खुद की सैन्य शक्ति को मजबूत बनाने के लिए भारतीय सेना लगातार अपनी तैयारियों को अंजाम दे रही है। एक महीने से ज्यादा समय तक भारतीय सेना अपनी सैन्य कूटनीति के सबसे व्यस्त दौर में रहने वाली है। भारतीय सेना के नवंबर से दिसंबर के महीनों में अमेरिका, रुस, सिंगापुर, जापान और चीन के साथ होने वाले सैन्य युद्धाभ्यास ने गति पकड़ ली है।
सालाना होने वाले साझा सैनिक अभ्यास कूटनीति का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा
संयुक्त राष्ट्र के तत्वाधान में उग्रवाद से निपटने के लिए भारत और रूस के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास इंद्र-2018 यूपी के बबीना छावनी स्थित फायरिंग रेंज में 18 नवंबर से शुरू होने जा रहा है। इस अभ्यास में रूसी संघ की पांचवी बटालियन और भारत की इन्फेंट्री बटालियन हिस्सा लेगी। यह अभ्यास 11 दिनों तक चलेगा। सैन्य अभ्यास संयुक्त राष्ट्र के तत्वाधान में दोनों देशों की फौजों की क्षमता बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है, ताकि शांति की स्थापना और संयुक्त रणनीतिक के क्षेत्र में सहयोग बढ़ सके।
जहां एक तरफ भारतीय फौज रुस के साथ अभ्यास में व्यस्त होगी, वही दूसरी ओर राजस्थान में अमेरिकी स्पेशल फोर्सेज के साथ भारतीय सेना की पैरा स्पेशल फोर्सेज का साझा सैन्य अभ्यास 'वज्र-प्रहार' शुरु हो जाएगा।
ठीक दो दिनों में ही 16 नवंबर से सिंगापुर के साथ तोपखाने का साझा सैनिक अभ्यास 'अग्नि वॉरियर' भी शुरू होगा जो 30 नवंबर तक चलेगा। यही नही इस साल के अंत तक भारतीय सेना चीन के साथ भी पिछले साल रद्द हुआ सालाना सैनिक अभ्यास हैण्ड इन हैण्ड में चीन जाकर हिस्सा लेंगी।
जहां एक तरफ भारतीय थलसेना खुद को मजबूती देने का काम लगातार कर रही है, वही भारतीय नौसेना भी पीछे नही है। इंडोनेशिया के द्वीप सुराबाया पर भारत और इंडोनेशिया के बीच पहला द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास समुद्र शक्ति शुरू हो गया है, जो 18 नवम्बर तक चलेगा। इस साझा अभ्यास से भारत और इंडोनेशिया के बीच नौसैनिक सहयोग का एक नया दौर शुरु होगा।
इस साझा अभ्यास का उद्देश्य आपसी रिश्तों को विस्तार देना, समुद्री सहयोग को गहरा करना और एक-दूसरे की श्रेष्ठ प्रथाओं को अपनाना है। इस दौरान दोनों देशों के नौसैनिक एक-दूसरे के युद्धपोतों का दौरा करेंगे। पनडुब्बी नाशक अभ्यास, हेलीकाप्टर आपरेशन, सतही युद्ध अभ्यास और समुद्री डाकाजनी के खिलाफ कार्रवाई आदि के अभ्यास भी इसमें शामिल है।
गत वर्ष 18 नवम्बर को प्रधानमंत्री मोदी के इंडोनेशिया दौरे में दोनों देशों के बीच सामरिक साझेदारी के रिश्तों को समग्र सामरिक साझेदारी का दर्जा दिया गया है।
उल्लेखनीय है कि मौजूदा वक्त में भारतीय सैन्य कूटनीति अपनी सबसे चुनौतीपूर्ण समय से गुजर रही है। जहां एक तरफ भारत के अमेरिका के साथ सैन्य संबंध लगातार मजबूत हो रहे हैं तो वही भारत का सबसे पुराना दोस्त रूस पिछले कुछ सालों से भारत अमेरिका के साथ बढ़ते संबंधों से नाखुश है। हालांकि हाल ही में भारत ने मिसाइल डिफेंस सिस्टम एस-400 के सौदे पर अमेरिका की नाराजगी के बावजूद मुहर लगाकर इस खाई को पाटने की कोशिश की है।
वही दूसरी ओर भारत चीन के साथ अपने रिश्तों का सामरिक संतुलन बिठाने के लिए जापान के साथ सैन्य संबंध बढ़ा रहा है। यही वजह है कि जापान के साथ सैन्य अभ्यास को भारत महत्व दे रहा है। दूसरी तरफ चीन के साथ भरोसा कायम करने के लिए भी भारत ने सैनिक कमांडरों के स्तर पर कई मैकेनिज्म बनाए हैं। इसी को देखते हुए सालाना होने वाला साझा सैनिक अभ्यास उनमें सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है।