पदोन्नति पर फैसला नहीं आने के चलते मिलिट्री कोर्ट ने ब्रिगेडियर की सेवानिवृत्ति पर लगाई रोक
एक सैन्य अदालत ने एक ब्रिगेडियर की सेवानिवृत्ति पर तब तक रोक लगा दी जब तक कि उक्त अधिकारी की पदोन्नति को लेकर बोर्ड के नतीजे रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी नहीं कर दिए जाते हैं।
नई दिल्ली, एएनआइ। एक विशेष घटनाक्रम के तहत सैन्य अदालत ने एक ब्रिगेडियर की सेवानिवृत्ति पर उससे कुछ दिन पहले तब तक के लिए रोक लगा दी है जब तक रक्षा मंत्रालय उनके प्रमोशन बोर्ड के रिजल्ट जारी नहीं कर देता। सशस्त्र बल न्यायाधिकरण (एएफटी) की प्रधान पीठ ने यह फैसला ब्रिगेडियर केके नंदवानी के पक्ष में सुनाया जो आर्मी मेडिकल कोर्प्स में डॉक्टर हैं। आर्म्ड फोर्स ट्रिब्यूनल की प्रधान पीठ ने ब्रिगेडियर केके नंदवानी के पक्ष में फैसला देते हुए कहा कि याचिकाकर्ता की सेवानिवृत्ति को पदोन्नति बोर्ड (Promotion Board, AFMS) के नतीजों के आने तक प्रभावी नहीं किया जाना चाहिए।
दरअसल, केके नंदवानी (Brigadier KK Nandwani) ने अपने रिटायरमेंट पर रोक को लेकर अपील की थी। उनकी दलील थी कि मेजर जनरल रैंक पर प्रमोशन के लिए प्रमोशन बोर्ड में उनका नाम है। अभी उनके प्रमोशन पर आदेश नहीं आया है। इसी बीच 31 अगस्त को वो रिटायर होने वाले हैं। उन्होंने सैन्य अदालत से गुहार लगाई कि जब तक उनके प्रमोशन पर फैसला नहीं आ जाता तब तक रिटायरमेंट पर रोक लगाई जाए।
एएफटी चेयरमैन राजेंद्र मेनन ने अपने आदेश में कहा, अगर आवेदक की मेजर जनरल रैंक पर पदोन्नति मंजूर हो जाती है और उस तारीख पर उनके प्रमोशन के लिए पद रिक्त है तो उन्हें 31 अगस्त, 2020 से पदोन्नत किया जाना चाहिए। लेकिन अगर उनकी पदोन्नति मंजूर नहीं होती है तो उन्हें 31 अगस्त को सेवानिवृत्त मान लिया जाएगा।
जस्टिस राजेंद्र मेनन (Rajendra Menon) ने अपने फैसले में कहा कि जब तक नंदवानी के प्रमोशन पर मामला साफ नहीं हो जाता तब तक उन्हें रिटायर नहीं किया जाएगा। यदि याचिकाकर्ता को मेजर जनरल के पद पर पदोन्नति दे दी जाती है तो 31 अगस्त 2020 से उनकी पदोन्नति को माना जाना चाहिए। हालांकि अदालत ने यह भी साफ कर दिया कि यदि उन्हें प्रमोशन नहीं दिया जाता है तो उनको 31 अगस्त के बाद पेंशन के अलावा जो रकम (वेतन या भत्ते) मिलेगी उसे लौटानी पड़ेगी।